Friday, January 15, 2021

EPS 95 Higher Pension Cases Latest News From Supreme Court: 21 महीने के बाद 18 जनवरी को ईपीएफ पेंशन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

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21 महीने के लम्बे इंतजार के बाद, सुप्रीम कोर्ट कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा दायर अपील पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर समीक्षा याचिका पर होने के आसार दिखाई दे रहे है।


न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली तीन पीठ 18 जनवरी को इन याचिकाओं पर विचार करेगी। 65 लाख EPS पेंशनधारक उम्मीद कर रहे हैं कि पुरे वेतन के अनुसार पेंशन के लिए उनका लंबा इंतजार इस फैसले के साथ समाप्त होगा। इससे पहले, केरल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों ने 65 लाख EPS पेंशनधारको के पक्ष में फैसला सुनाया था। EPFO द्वारा पुरे वेतन पर पेंशन के आवेदन को यह कहकर अस्वीकार कर दिया जाता रहा है की श्रम और रोजगार मंत्रालय की अपील और EPFO ​​की समीक्षा याचिका को लंबित है।


भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 1 अप्रैल, 2019 को केरल उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था जिसमे कहा गया था की कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (EPS 95) से पुरे वेतन पर मासिक पेंशन दिए जाये। इसके बाद, श्रम मंत्रालय ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दायर की बावजूद EPFO ​​द्वारा पहलेसे दायर समीक्षा याचिका के।


तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 12 जुलाई, 2019 को खुली अदालत में दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करने का आदेश दिया। हालांकि, इस संबंध में आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बीच, संसदीय स्थायी समिति ने पिछले अक्टूबर में इस मामले के बारे में स्पष्टीकरण मांगा।


 

Thursday, January 14, 2021

Good News From Supreme Court: EPS 95 Higher Pension Cases Hearing Date Update, This Day is Very Important for EPS 95 Pensioners


अप्रेल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने EPS 95 पेंशनधारको के हक़ मे फैसला सुनाते हुये और केरला हाईकोर्ट फैसले को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने EPS 95 पेंशनर्स को उनकी अंतिम महीने की सैलरी के हिसाब से पेंशन का भुगतान करने का आदेश दिया था। 


लेकिन आज डेढ़ साल से ज्यादा होने के बाद भी EPS 95 पेंशनर्स के हाथ में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पेंशन नहीं आयी है। आपको बता दे की लम्बे समय से चल रहे EPS 95 पेंशनधारको की पेंशन बढ़ोतरी और उच्चतम पेंशन पर भूकतान के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर , EPFO की ओर से दायर की गई पुनःविचार याचिका के कारण यह मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट में अटका हुया है। 

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सुप्रीम कोर्ट बढ़ा रहा है तारीख पर तारीख

EPFO की ओर से दायर पुनःविचार याचिका को करीबन दो साल होने को है EPS 95 पेंशनर्स अपनी हायर पेंशन बढ़ोतरी के लिए इंतजार कर रहे है। इस बिच सुप्रीम कोर्ट इन मामलों को कई बार आगे बढ़ा चूका है, हाल ही में खबर थी की WP No. 1134/2018 के साथ और जो सलग्न मामले है उनके ऊपर 18 जनवरी 2021 को सुनवाई हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में होनेवाली सुनवाई के बारे जानकारी के मुताबिक इन मामलों के साथ अन्य ममलों को भी 18 जनवरी 2021  सूचीबद्ध किया गया है। 


वही EPS 95 पेंशनधारको की 58 से 80 वर्ष के बुजुर्ग है वह धीरे धीरे परलोक सिधार रहे है। लेकिन फिर भी इस उम्र में EPS 95 पेंशनधारको के द्वारा सरकार को चेताने और अपनी ओर ध्यान केंद्रित करने के लिए कई बार श्रममंत्री, वित्तमंत्री व् प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखे व् प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मुलाकात भी की गई है जरुरत के समय धरने और आंदोलन भी किये गए है. लेकिन इन पेंशनर्स की कोई सुनवाई अभी तक नहीं हो पाई है। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कितनी बड़ेगी EPS 95 पेंशनधारको की पेंशन ?

1 अप्रेल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के पेंशनधारको के हित मे एक बड़ा फैसला किया था। जिसमे कर्मचारियो की मासिक पेंशन मे कई गुना व्रद्धि की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से अब EPS 95 पेंशनधारको को उनके अन्तरिम महीने की सेलरी के हिसाब से पेंशन मिलेंगी। जहा पहले कर्मचारियो को पिछले 60 महीनो के औसतन वेतन पर पेंशन मिलती थी।


2014 मे ईपीएस 95 पेंशन मे किए गए बदलाओ को लेकर नाराज EPS 95 पेंशनधारको की निम्न मांगे है जिसको लेकर ईपीएफ़ओ कार्यालयो पर कई बार धरना दिया जा चूका है।

  • EPFO द्वारा जारी किया गया अन्तरिम पत्र दिनांक 31/05/2017 को रद्द कर माननीय सुप्रीम कोर्ट के अनुसार वास्तविक वेतन व मंहगाई पर पेंशन दी जाए।

  • कम से कम 7500 /- रुपये बेसिक व मंहगाई भत्ता दिया जाए।

  • सभी eps 95 पेंशन कर्मचारियों और उनके परिवार को फ्री मेडिकल सुविधा दी जाए।

  • जिन सेवानिव्रत कर्मचारियों को इस स्कीम मे सामील नहीं किया गया है उन्हे योजना का सदस्य बनाया जाए या 5000/- रुपये न्यूनतम पेंशन दी जाए।


    इसके साथ 2 नए मामलों पर भी इस दौरान  सकती है।
 
 



Sunday, January 10, 2021

EPS 95 MINIMUM PENSION 7500 HIKE: EPS-95 पेंशनधारको की पेंशन बढ़ोतरी पर श्रम और रोजगार राज्य मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवारजी ने दिया जवाब

देश के 68 लाक EPS-95 पेंशनधारक उनकी पेंशन बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं। 15 सितंबर 2020 को माननीय प्रतापराव जाधव संसद सदस्य बुलढाणा द्वारा माननीय श्री संतोष कुमार गंगवार जी श्रम और रोजगार राज्य मंत्री को एक पत्र EPS-95 पेंशन धारकों की पेंशन बढ़ोतरी के संदर्भ में लिखा गया था। जिसमें उनके द्वारा EPS-95 पेंशनधारकों की जो न्यूनतम पेंशन बढ़ोतरी की मांग है रुपए 7500 और उसे महंगाई भत्ते के साथ जोड़ा जाना, EPS-95 पेंशनधारकों और उनके पति या फिर पत्नी को चिकित्सा सुविधा दिए जाने की सिफारिश की गई थी।


उनके द्वारा इस संदर्भ में विस्तार में लिखा गया था महोदय, आपको अवगत कराना चाहता हूं कि EPS-95 पेंशनर्स द्वारा विगत काफी समय से अनुरोध किया जा रहा है कि उन्हें माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार पूछे पेंशन की सुविधा दिया जाए और कम से कम सारे rs.7000 बेसिक पेंशन तथा उस पर महंगाई भत्ता दिया जाए और उनकी पति या फिर पत्नी को मुफ्त में स्वास्थ्य सुविधाएं दिए जाए तथा जिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ईपीएस 95 योजना में शामिल नहीं किया गया है उन्हें उसका सदस्य बनाकर पेंशन योजना में शामिल किया जाए अथवा उन्हें ₹5000 की राशि परीक्षण के तौर पर दी जाए। लेकिन, मुझे अत्यधिक दुख के साथ लिखना पड़ रहा है कि अभी तक इस विषय में सकारात्मक कदम उठाए गए नहीं है जिस कारण eps-95 के पेंशनर को बहुत असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।


आगे उन्होंने उनके पत्र में लिखा था इस संबंध में, मैं भी यह अवगत कराना चाहूंगा कि मेरे संसदीय क्षेत्र बुलढाणा की EPS-95 नेशनल एजुकेशन कमिटी भी विगत काफी समय से अनुरोध करती चली आ रही है। लेकिन अभी भी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। मैं भी इनकी समस्याओं के निराकरण के बारे में अनेको पत्र लिख चुका हूं।

यह किसी से छिपा नहीं है कि पेंशन योजना,आखिरकार कर्मचारियों के कल्याण के लाभों के लिए है, जिन्हे  सेवानिवृत्ति के बाद अपने पेंशन योगदान पर एक सभ्य मूल्य प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। लेकिन, यह वास्तविकता है कि EPS-95 के पेंशनरों के रूप में देश के लगभग लाखों बुजुर्गों को गरिमा के साथ जीने की अधिकार से वंचित रखती है। यह दुखद है कि EPS-95 पेंशनरों को पेंशन के रूप में अल्प राशि मिलती है, क्योंकि ईपीएफओ पेंशन की गणना के लिए उपयोग की जाने वाले वेतन को कैपिंग करता है और EPS 95 में योगदान को कम करता है।


मेरी जानकारी में यह भी आया है कि eps-95 से संबंधित पदाधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने माननीय प्रधानमंत्री जी से भेंट करके अपनी समस्याओं से अवगत कराया था ,जिसपर उन्होंने श्री जितेंद्र सिंह माननीय राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय को इनकी समस्याओं के निराकरण कराया जाने हेतु कहा था। तत्पश्चात श्री जितेंद्र सिंहजी ने उनकी समस्याओं के बारे में संबंधित अधिकारियों से को निर्देशित किया था। लेकिन कोविड-19 के चलते इनकी समस्याओं के निराकरण में व्यवधान आ रहा है। 

यह सही है कि कोविड-19 के वजह से देश अनेकों जटिल परेशानियों से जूझ रहा है। लेकिन यह भी सही है कि EPS-95 के पेंशनर्स कोविड-19 जैसी स्थिति में और भी अधिक गंभीर कठिनाई से जूझ रहे हैं। तथा उनकी आयु भी बढ़ती जा रही है और यह भी देखने में आया है कि इन पेंशनर्स के पारिवारिक सदस्यों की कोविड-19 महामारी के कारण मृत्यु भी जोति जा रही है। अतः यह अच्छा होगा कि दीपावली से पूर्व पेंशनर्स की नन्यायोचित मांगों को स्वीकार कर इनको राहत प्रदान किए जाए किए जाने हेतु सकारात्मक कदम उठाया जाए।


अतः मेरा आपसे पुनः अनुरोध है कि EPS-95 पेंशन उसकी उपरोक्त सभी ने उचित मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए उन्हें स्वीकार किए जाए हेतु उन्हें स्वीकार किए जाने हेतु समुचित निर्देश प्रदान करके की गई कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराने का कष्ट करें। 

बुलढाणा महाराष्ट्र से माननीय सांसद प्रतापराव जाधव संसद सदस्य द्वारा  eps-95 पेंशनधारकों की जो पेंशन बढ़ोतरी है तो उसके लिए सिफारिश की गई थी। यह पत्र EPS-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति के अनुरोध पर मांगों के संदर्भ में माननीय श्रम मंत्री जी को लिखा गया था। अंत में इस पत्र में यह कहा गया था कि EPS-95 पेंशनधारकों की पेंशन बढ़ोतरी के संदर्भ में आपके द्वारा जो भी समुचित निर्देश प्रदान किए जाएंगे तो उस की गई कार्रवाई से मुझे आप से अवगत कराएं।


इस पत्र के जवाब में श्रम मंत्रालय से EPS-95 पेंशनधारकों की पेंशन बढ़ोतरी की मांगे है तो उस के संदर्भ में कहा गया है कि, कृपया अपने अ. शा. पत्र दिनांक 15 सितंबर 2020 जो माननीय प्रधानमंत्री जी को संबंधित है का संदर्भ ले, जो EPS राष्ट्रीय संघर्ष समिति का 1995 कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत बढ़ोतरी एवं अन्य मांगों के संबंध में है। 

कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत पेंशन रुपए 7500 और महंगाई भत्ता संबंधी मांगों के संबंध में मैं यह सूचित करना चाहता हूं कि, कर्मचारी पेंशन योजना 1995 नियोक्ता से वेतन का 8.33 तथा केंद्र सरकार द्वारा वेतन का 1.16 फ़ीसदी दर पर अंशदान सहित एक स्वस्थ वित्त पोषित योजना है। ऐसी संचित राशि से योजना के अंतर्गत सभी लाभों का भुगतान किया जाता है। इस तरह के मूल्य के परिणामों कर्मचारी पेंशन कोष के स्वास्थ्य के आधार पर और EPS-1995 की स्थिरता और व्यवहारता सुनिश्चित करते हुए योजना के तहत लाभ का फैसला किया जाता है और इस तरह के संचय से भुगतान किया जाता है। योजना में बजटीय समर्थन देने का कोई प्रावधान नहीं होने पर व्यापक रूप से प्रासंगिक मांग को ध्यान में रखते हुए बजटीय समर्थन के द्वारा केंद्र सरकार ने ₹1000 प्रतिमाह की न्यूनतम पेंशन के रूप में वृद्धि की थी। न्यूनतम पेंशन में पुनःवृद्धि में वित्तीय प्रभाव निहितार्थ है।


EPS-95 के अंतर्गत महंगाई भत्ता देने संबंधी मां के संबंध में यह सूचित किया जाता है कि, इस मामले की जांच केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्च अधिकार निगरानी समिति द्वारा की गई थी। हालांकि, समिति ने इसे EPS 95 जैसी नीतिबध्य योजना के अंतर्गत व्यवहारिक नहीं पाया।

माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश अनुसार उच्च पेंशन पर अंशदान स्वीकार कर देने संबंध में यह सूचित किया जाता है कि, मामला न्यायाधीन है।

ईपीएस 1995 के पेंशन धारक तथा उनके पति या फिर पत्नी को चिकित्सा सुविधा देने के संबंध में यह सूचित किया जाता है कि eps-95 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।


सेवानिवृत्त तक काम गांव जो EPS-95 के सदस्य नहीं थे, उन्हें सदस्य के रूप में शामिल किया जाए और उनसे योगदान लेकर ₹5000 मासिक पेंशन देने संबंध में यह सूचित किया जाता है कि, इस संबंध में EPS-95 में कोई प्रावधान नहीं है। 

माननीय श्री प्रताप्राव जाधव जी संसद सदस्य लोकसभा बुलढाणा खासदार जनसंपर्क कार्यालय को यह जो पत्र माननीय श्रम मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार जी द्वारा लिखा गया है जिसमें eps-95 पेंशन धारकों के मांगों के संदर्भ में माननीय  संसद सदस्य  लोकसभा श्री प्रतापराव जाधव जी द्वारा जो सिफारिश eps-95 पेंशनधारकों की पेंशन बढ़ोतरी के लिए की गई थी तो उसके जवाब में माननीय श्रम मंत्री जी द्वारा यह पत्र उनको लिखा गया। इस पत्र क्लीयरली बताया गया है कि, देश के EPS 95 पेंशनधारकों की जो मौजूदा स्थिति है तो उसमें क्या बदलाव आ सकता है और क्या बदलाव नहीं आ सकता है। यह जो दोनों पत्र है तो आपकी जानकारी के लिए नीचे संलग्न किए हुए हैं जिन्हें आप आसानी से देख सकते हैं।




EPS 95 Pensioners News: EPS 95 न्यूनतम पेंशन 7500 बढ़ोतरी की मांग को लेकर बैठक संपन्न 68 लाख EPS 95 पेन्शनर्स के लिए जरुरी जानकारी

EPS 95 PENSION HIKE NEWS | EPS 95 HIGHER PENSION ORDER FROM SUPREME COURT


देश के 68 लाख EPS 95 पेन्शनर्स की मांगे मंजूर करवाने के लिए राष्ट्रीय संघर्ष समिति द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे है। राष्ट्रीय संघर्ष समिति द्वारा EPS 95 पेन्शनर्स को न्यूनतम पेंशन 7500 बढ़ोतरी समेत महंगाई भत्ते जोड़े जाने के साथ, चिकित्सा सुविधा, मा. उच्चतम न्यायलय के आदेशानुसार उच्च्चतम वेतन पर पेंशन के भुगतान की मांगे की जा रही है। इसी मांगो को जल्द से जल्द पूरा कराने के लिए दि. 10 जनवरी 2021 को EPS 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति कानपुर मंडल के हमीरपुर, झाँसी और उरई की मासिक बैठक संयुक्त रूप से उरई बस स्टैंड उरई पर 11बजे और आजमगढ़ मंडल के बलिया जिले की मासिक बैठक 11 बजे संपन्न हुई, इन बैठको में काफी ज्यादा संख्या में EPS 95 पेंशनधारक बढ़ चढ़ कर सम्मिलित हुए थे।


कानपुर मंडल बैठक की में सर्वप्रथम, माननीय राष्ट्रीय सचिव  श्री ओम शंकर तिवारी जी के अध्यक्षता मे संपन्न हुआ अब तक की गयी कारवाही पर विस्तार से चर्चा हुयी। राष्ट्रीय सचिव अपने सम्बोधन मे बताया की  4 मार्च 2020 को माननीय श्रीमती मथुरा सांसद के नेतृत्व मे 4 सदस्यीय  राष्ट्रीय संघर्ष समिति का प्रतिनिधि मंडल के मुलाक़ात और अस्वासन पर विस्वास करते पूरी उम्मीद है की इस बजट सत्र मे हमारी मांग 7500+ महगाई भत्ता, मुफ्त चिकित्सा की मांग मान ली जाएगी, नहीं मानी गई तो हमें बड़े आंदोलन को हर समय तैयार रहना होगा।


EPS 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति, कानपुर मण्डल की बैठक में श्री तिवारी जी के भाषण के दौरान पेंशनरों ने पेंशन में वृद्धि करने के नारे लगाकर सरकार से रुपए 7500 न्यूनतम पेंशन के साथ महंगाई भत्ते की मांग की। साथ ही वक्ताओं ने चेतावनी दी है की यदि केंद्र सरकार फरवरी बजट में पेंशन वृद्धि की घोषणा नहीं करती तो हम सभी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

इस बैठक मे मुख्य वक्ता के रूप मे श्री जगरूप सिंह परिहार अध्यक्ष उरई, श्री टी सी मिश्रा अध्यक्ष झांसी, श्री कृपाशंकर शुक्ला अध्यक्ष उन्नाव, श्री डी एन शुक्ला, श्री ओ एन बाजपेई, श्री हरिशंकर शुक्ला एवं श्री आर सी शुक्ला मुख्य रूप से उपस्थित रहे। सभी उपस्थित सदस्यों को धन्यवाद।


आजमगढ़ मंडल की बैठक श्री हनुमान मंदिर रोडवेज बस स्टैंड पर श्री कमलेश श्रीवास्तव प्रान्तीय संगठन मंत्री के अध्यक्षता  मे संपन्न हुआ, अभी तक की गयी कार्यवाही पर  बिस्तार से चर्चा किया  गया। इस बैठक मे मुख्य रूप से निम्नलिखित सदस्य उपस्थित रहे श्री तेज बहादुर यादव, श्री मुहम्मद मुस्तकीम, श्री राम किशन सिंह, श्री शिवशंकर राम, श्री ठाकुर सिंह, जितेंदर सिंह, श्री हरिशंकर प्रसाद  एवं श्री  विशेस्वर राम उपस्थित रहे। सभी उपस्थित सदस्यों को धन्यवाद।

इन बैठकों में सभी पेंशनधारकों को अवगत है की EPS 95 वृद्ध पेंशनधारकों की उम्र तक़रीबन 60 से 80 साल है, क़रीब पिछले आठ वर्षो से न्यूनतम पेंशन बढ़ोतरी की मांगो के लिए संघर्षरत है। वर्ष 2013 में कोश्यारी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में EPS 95 पेंशनधारको को पेंशन बढ़ोतरी के साथ मंहगाई भत्ता देने की भी शिफारिश की थी।



साथ ही सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी पेंशनधारको के पक्ष में है जिसपर अभी पुनः विचार याचिका के तहत सुनवाई चल रही है। लेकिन पेंशनधारको को कोई भी लाभ अभी तक मिला नहीं है। वर्ष 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद EPS 95 पेंशनधारको की न्यूनतम पेंशन को 1000/- रुपये सुनिश्चित किया है। लेकिन EPS 95 पेंशनधारको की मांगे न्यूनतम पेंशन 7500/- के साथ मंहगाई भत्ता और फ्री मेडिकल सुविधा की है।


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Saturday, January 9, 2021

EPFO Pension Latest Update: Big change in recomended in PF structure! EPS 95 Pension to be made proportional to PF contributions on actual salary

EPS 95 PENSION HIKE NEWS | EPS 95 HIGHER PENSION ON ACTUAL SALARY


निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन में भारी बदलाव की बड़ी खबर है। यह खबर उनके भविष्य निधि (PF) के बारे में है क्योंकि EPFO के ढांचे में बदलाव हो सकता है। श्रम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस संबंध में श्रम पर संसदीय समिति को कुछ प्रस्ताव दिए हैं। संसदीय समिति के अधिकारी इस पर विचारकर रहे है कि EPFO को जारी रखने और निधियों को अधिक प्रासंगिक बनाने और इसमें संरचनात्मक परिवर्तन करने की आवश्यकता है।



समाचार रिपोर्ट के अनुसार, संसदीय समिति को दी गई सिफारिशों में कहा गया था कि 'निर्धारित लाभों' की मौजूदा प्रणाली के बजाय 'परिभाषित योगदान' मॉडल शुरू किया जाना चाहिए। वर्तमान में, EPFO पेंशन की न्यूनतम सीमा तय की गई है। यह सुझाव एक तरह से परिभाषित लाभ है। परिभाषित योगदान’ का लाभ उठाने पर, EPF के सदस्यों को उनके योगदान के अनुसार लाभ दिया जाएगा। मतलब, आपका योगदान आपके वेतन के सीधे आनुपातिक होगा।

मीडिया रिपोर्टों में मिली जानकारी के अनुसार, EPFO में 23 लाख से अधिक EPS 95 पेंशनधारक हैं, जिन्हें हर महीने 1,000 रुपये पेंशन मिलती है। जबकि PF में उनका योगदान इसके एक-चौथाई से भी कम है। अधिकारियों ने कहा कि अगर ऐसा ही होता रहा तो भविष्य में इसका प्रबंधन करना मुश्किल हो जाएगा। यही कारण है कि इसे और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए 'परिभाषित योगदान' को अपनाया जाना चाहिए।


अगस्त 2019 में, EPFO  के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) ने कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के अनुसार न्यूनतम पेंशन को 2,000 रुपये से बढ़ाकर रुपये 3,000 करने की मांग की है, हालांकि, इसे लागू अभीतक लागू नहीं किया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार को Rs. 2,000 की न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने से 4500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च करना होगा और अगर इसे 3,000 रुपये तक बढ़ा दिया जाता है, तो इससे सरकारी खजाने पर 14,595 करोड़ रुपये खर्च होंगे ऐसा बताया जा रहा है।

अधिकारियों के अनुसार, शेयर बाजार में निवेश की गई EPFO राशि के एक बड़े हिस्से ने कोरोना महामारी के कारण नकारात्मक रिटर्न दिया है। EPFO कॉर्पस के 13.7 करोड़ रुपये में से केवल पांच प्रतिशत या 4600 करोड़ रुपये शेयर बाजार में निवेश किए गए थे ऐसी जानकारी अधिकारियों के वक्तव्य से मिली है।


अगर श्रम मंत्रालय द्वारा यह जो सुझाव दिया गया है तो इसे अगर मान्यता मिल जाती है तो इससे मौजूदा समय में जो कर्मचारी है तो उनके भविष्य में मिलने वाली पेंशन का रास्ता साफ हो जाएगा। पर सवाल अभी यह भी है कि मौजूदा समय में जो EPFO के लगभग 68 लाख EPS-95 पेंशनधारक है तो उनकी पेंशन बढ़ोतरी के बारे में क्या है? जी हां यहां पर यह सवाल काफी बड़ा है क्योंकि मौजूदा समय में कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के अंतर्गत लगभग मौजूदा समय में 68 लाख पेंशनधारियों की न्यूनतम पेंशन बढ़ोतरी की मांग कर रहे है।

इस जानकारी में बताया गया है कि 23 लाख से अधिक eps-95 पेंशनधारकों को ₹1000 की मासिक पेंशन मिलती है और भविष्य में यह पेंशन ऐसी चलती रही तो इनके द्वारा जो किया गया योगदान है तो उससे इनको पेंशन देना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में यह सुझाव दिया गया है कि कर्मचारी के वेतन के अनुपात में कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में योगदान होना चाहिए ताकि उसको ज्यादा पेंशन भी मिल पाए और कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में योगदान भी बढ़ाई जा सके।


इस प्रस्ताव में कहीं भी नजर नहीं आ रहा है कि मौजूदा समय में कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के जो पेंशनधारक है तो उनकी पेंशन बढ़ोतरी कितनी होगी? जो सुझाव दिए गए हैं तो यह मौजूदा समय में जो कर्मचारी है तो उनके वेतन के अनुपात में कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में योगदान के संदर्भ में है, पर मौजूदा समय में जो कर्मचारी सेवानिवृत्त होकर कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के अंतर्गत पेंशन प्राप्त कर रहे हैं उनकी पेंशनमें बढ़ोतरी नजर नहीं आ रहा है। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के अंतर्गत है देश भर में लगभग 68 लाख पेंशनधारक है। जो उनकी पेंशन बढ़ोतरी की मांग लगातार कर रहे है। EPS 95 पेंशनधारकों की मांग है कि पेंशन को ₹7500 बढ़ाकर महंगाई भत्ते के साथ भी जोड़ा जाए।


इससे पहले केंद्रीय न्यास बोर्ड के जो सदस्य हैं तो उनके द्वारा भी कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के पेंशनधारकों की पेंशन को ₹2000 से बढ़ाकर ₹3000 करने की सिफारिश की गई थी। पर इसे भी अभी तक लागू नहीं किया गया है। बताया जा रहा था कि अगर पेंशन को बढ़ाया जाता है तो इसकी वजह से EPFO पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। अगर ₹2000 की न्यूनतम पेंशन बढ़ा दी जाती है तो  ₹4500 करोड रुपए का अतिरिक्त खर्च होगा। वही अगर इसे ₹3000 तक बढ़ाया जाता है तो ₹14595 का अतिरिक्त खर्च होगा ऐसा बताया जा रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के नियोक्ता की तरफ से कर्मचारी पेंशन योजना में जो उनकी बेसिक सैलरी है तो उसका 8.3 फ़ीसदी जमा किया गया है जो की लगभग 20 से 22 लाख रुपए का अंशदान हो जाता है क्योंकि यह जो सेवानिवृत्त कर्मचारी है तो उन्होंने 20-20 25-25 साल तक अपनी सेवा दी है। और इतने समय तक के लिए कर्मचारी पेंशन योजना में उनका योगदान भी होता रहा है।



EPS 95 PENSION LATEST NEWS TODAY: APRPA State committee members Submtting of memorandum to Sri Nandigam Suresh Hon'ble M. P. for EPS 95 Pension Hike


Why the committee did not focus on non remittance of govt. part of 1.16% contribution for several years which was pointed by the CAG? Due to the failure of epfo's fund manager's, the pensioners are put to heavy loss in the fag end of life.


Even the Govt is also neglecting their primary and fundamental obligation of providing food and health security to the epf pensioners who are also part of citizens of India. The possibility of approaching court of law on this issue by raising contributions from members may be thought of by APRPA.


Submtting of memorandum by APRPA State committee members and others to Sri Nandigam Suresh Hon'ble M. P. of Bapatla constituency, A. P. requesting to raise the EPF pensioners' issues in the ensuing budget parliament sessions. He has assured to represent the issues and responded positively





Very Important Information to 68 Lakh EPS 95 Pensioners: Reference Honorable Kerala High Court Order Dated 21-12-2020

From - Dada Zode, Nagpur

Regarding

The  Reference Order dated 21-12-2020 of honorable Kerala High Court, in the appeals,  W A No.811 & others, filed by Employees Provident Fund Organisation.

To,
The EPS-95 Pensioner's Friends.

The Reference Order dated 21-12-2020 passed by the honorable Kerala High Court, Division Bench, in the appeals filed by the Employees Provident Fund Organization,  is totally wrong and erroneous and is passed in misunderstanding. EPFO has been always trying to misguide the courts by pleading with irrelevant facets and false data. During the pleadings of these appeals, EPFO seems to be successful in misguiding and confusing the honorable court, and consequently, the Division Bench made very wrong and illegal observations and passed a very wrong reference order,  referring the matter to the higher bench of three judges. The facts in brief, in my opinion, are as below-


1). The honorable Division Bench observed the circular dated 31-05-2017 issued by the EPFO, in their views, to be correct one, in law. The circular dated 31-05-2017  was issued, mainly, to clarify whether the employees/pensioners of the exempted establishment  (exempted from the operation of Provident Fund Scheme 1952)   are covered by the circular dated 23-03-2017 or not, and by this circular dated 31-05-2017  employees/pensioners, governed by the EPS-95 pension scheme, are discriminated and classified into two irrational classes. These facts are mentioned in the first para of the said circular, however, the honorable Division Bench didn't peruse this and they made their observations on the very wrong grounds.

The Division Bench considered this circular to clarify whether the earlier circular can be extended to the employees/pensioners who had actually exercised the option to pay the provident fund contribution on actual salary. Moreover, the main mistake committed by the honorable Division Bench is that the Division Bench considered the " provident fund " that referred in  R. C. Gupta case, by the honorable Supreme Court, is the provident fund maintained by the  EPFO  only.

The honorable Supreme Court in R. C. Gupta never said the provident fund means the provident fund maintained by the EPFO. The honorable Supreme Court in R. C. Gupta mentioned the only condition that "the employee must have contributed to his actual salary and not on the statutory limit ". The provident fund referred therein is the respective provident fund (maintained by EPFO or Trust) depending upon the employee concerned. It is the EPFO that derived the meaning and said that the provident fund referred by the honorable Supreme Court is the provident fund of EPFO only and the EPFO inculcated this imagination in the minds of the honorable Court. This is one of the reasons for the erroneous order of the Division Bench.

Moreover, the main judgment in the R. C. Gupta case is that the honorable Supreme Court interpreted the law and explained the meaning of law and held that " there is no any cut off date to exercise the option for the provision to para 11(3) of pension scheme". Then the question arises how the meaning explained by the honorable Supreme Court will be applicable to the unexempted establishments employees only and it will not be applicable to the exempted establishment employees when both are governed by the same  EPS 95 pension scheme. The stand taken by EPFO through the circular dated 31-05-2017 is very strange and illegal too. However, this is not pleaded before the court.

2). The honorable Division Bench divided the respondents/petitioners in those appeals into three groups and the employees/pensioners from the exempted establishments are placed in the third category.  For this group, it is considered by the honorable Division Bench that contribution made by the employees/pensioners on their actual salary is not deposited in the fund of EPFO. At this point, it was necessary to point out and bring to the notice of the Division Bench that the employees of the exempted establishment are not being the members of EPFO provident fund, their contribution could not be deposited in the said fund, however,  by virtue of the exemption as per the provisions of Act, it is deposited in the respective provident fund of the Trust.  As per the decision of the honorable Supreme Court in R C Gupta, the employee must have contributed to the actual salary and not on the statutory limit.  An employee can deposit his contribution in the funds of which he is a member and not in others. These facts were required to be brought to the notice of the Division Bench by the respondents/petitioners, however, these are not pointed out and consequently, misunderstanding of the court could not be removed.


3). Till this period  Six High Courts have decided and held the circular dated 31-05-2017  as illegal, arbitrary, and unconstitutional and passed the Judgements in the favour of pensioners and quashed the circular dated 31-05-2017. These judgments are as under-

High Court.                    Date of Order​
Telangana High Court-  24-09-2018
Rajasthan High Court-11-12-2018
Madras High Court.   -27-03-2019
Karnataka High Court-27-03-2019
Delhi High Court.        -22-05-2019
Jharkhand High Court -10-02-2020

Out of these judgments, the Delhi High Court judgment is the decision of  Division Bench, in the case of Bhartiya Khadya Nigam Karmachari Sangha,  WP (C) 5678/2018 & CM APPL22107/2018. This judgment is in detail covering all the points and in this judgment of Delhi High Court, all the questions raised by the EPFO are answered and all questions raised by the honorable Division Bench Kerala High in the instant appeals will also have the answers in this judgment.  However, this judgment of the Delhi High Court, Division Bench is not cited before the Kerala High Court by the respondents/ petitioners. The judgment of the honorable  Madras High Court and that of Telangana High Court are cited, which are earlier judgments to that of the Delhi High Court. If this judgment of honorable Delhi High Court Division Bench would have been cited, all the doubts of Kerala High Court would have been cleared.

Delhi High court in  BKNK  case directed to refund the amount of contribution difference along with the interest @ rate of 6% and then the trust has to refund all gains and profit that earned by the trust on the contributions of the employee in the past, to the EPFO, so that no any loss will be caused to the EPFO. Thus this is a full proof judgment on the subject matter and quashing the circular dated 31-05-2017 and therefore, was required to be placed before the Kerala High Court.

4). The EPFO is pleading now that the scheme of EPS 95 is a contributory scheme, however, when this scheme was apposed by employees and trade unions and challenged, EPFO and  Govt of India pleaded before the honorable Supreme Court that the EPS-95 pension scheme is the welfare scheme of the Government of India and only on this ground, the honorable Supreme Court held the scheme constitutionally valid,  while deciding the transfer petition in the case of M/s Otis Elevator Employees Union, in 2003.  At the beginning of the scheme, the bank's rate of interest was being high 12- 14 %,  EPFO was earning profit through the scheme, and because of this, there was a growth in Corpus of the EPFO. The honorable High Court noted that the Corpus is more than sufficient to meet the demand, however, the pension is not based on Corpus but on the pensionable salary. This Corpus is belonging to the employees/pensioners and the Government of India and EPFO want to grab it.  Similarly, EPFO may have afraid of exposure of the misappropriation of the fund and losses caused to the fund due to mismanagement of EPFO.

5) The judgment dated 4-10-2016 of honorable Supreme Court in R C Gupta case and that the judgment dated 12-10-2018  of honorable Kerala High Court in case of Sasikumar & others, settings asides the amendments in the pension scheme from 1-09-2014 are very distinct and separate. Neither is any of the above judgments, either the honorable Supreme Court or the honorable Kerala High Court directed EPFO to allow the benefits of higher pension to the employees/pensioners who have not contributed on their actual salary. It is the EPFO, creating confusion and misguiding the Court. Observations of the Division Bench regarding the reconsideration of the decision of the Division Bench of Kerala High Court  Order dated 12-10-2018, in  Sasikumar case to that extent, is only due to the misunderstanding and pleading of irrelevant facts by the EPFO.

6) The honorable Kerala High Court, Division Bench in the instant case has made exercise to examine the NPS pension scheme and pension calculated for different contributions and situations which is of no use, both schemes are being on the different base. The EPFO demonstrated a case of one of the petitioners  KB  Prakasan to impress the Court and the honorable Court, without going into more detail, seems to be believed the same. Real facts in this regard are already circulated / Posted on the group by respected Shri  Praveen  Kohali Saheb. 28- 12-202, which may please be referred by the concerned. In my opinion, respondents/ petitioners have not pleaded properly and the EPFO succeeded in misguiding the Court and erroneous order is a result.


Thus the reference Order dated 21-12-2020 by the honorable Division Bench, Kerala High Court, referring the case to the higher bench is wrong and erroneous, being based on the misunderstanding and irrelevant facets. Therefore, the respondents/  petitioners are required to be more prepared to plead before the larger bench and to take more precautions so that EPFO will not be succeeded in misguiding the Court.

With regards.
Dada Tukaram Zode

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EPS 95 Pension Hike Latest News: EPS 1995 के सभी 68 लाख पेंनशर्स और उनकी धर्मपत्नियो के समस्याओं का समाधान प्रधानमंत्री कार्यालय, भारत सरकार,नई दिल्ली

EPS 95 PENSION NEWS | EPS 95 PENSION HIKE NEWS | EPS 95 HIGHER PENSION NEWS


दिनाँक 01 जनवरी 2021

अहमदनगर

प्रति,

आदरणीय,

मा.श्री.नरेन्द्रजी मोदी साहब,

मा.प्रधानमंत्री,भारत सरकार,

प्रधानमंत्री कार्यालय, भारत सरकार,नई दिल्ली।

Email - 

connect@mygov.nik.in

narendramodi1234@gmail.com


आपको सविनय सादर ......

सादर कर्ता - श्री.आर.बी.रोहोकले,अहमदनगर, (महाराष्ट्र राज्य)

आदरणीय महोदय,

आपको,

मैं,भारत देश के EPS 1995 के 67 लाख पेंशनर्स और उनकी पत्नियों की ओर से आपको दिल से प्रणाम!!! और करबद्ध नमन करता हूँ।

विषय - EPS -1995 के 67 लाख गरीब और वयोवृद्ध पेंशनर्स की कुछ दैनिक वास्तव समस्याओं का समाधान करने हेतू आपको सविनय निवेदन।......

संदर्भ - 

  1. मा.सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा दिनाँक 04 अक्तूबर 2016 को आर सी गुप्ता के बारे में दिया गया फैसला।
  2. मा.उच्च न्यायालय केरल, हैदराबाद, इंदौर,राजस्थान,मद्रास,आदि दूसरे मा.न्यायालयों के विविध फैसले।
  3. भारत सरकार की हाय एम्पावर कमिटी द्वारा की गई शिफारिशें।

आदरणीय महोदय,

आपको उपरोक्त विषय और सभी सन्दर्भ के अनुसार हमारी ओर से अतिशय विनम्रतापूर्वक करबद्ध बिनती की जाती हैं कि,अपने भारत देश के EPS 1995 के  67 लाख ग़रीब और वयोवृद्ध पेंशनर्स और उनकी पत्नियों की कुछ वास्तव समस्याओं का आपके द्वारा बड़ी आस्थापूर्वक समाधान किया जाए। 

ये सभी पेंशनर्स 60 से लेकर 80 साल और अधिक उम्र के  पुरुष तथा महिला भी सीनियर सिटिजंस है। 

हमारे EPFO के पास हमारे पेंशन के लिए पर्याप्त मात्रा में यानी 05 लाख  हजार करोड़ से भी कहीं अधिक ज्यादा फंड होंनेके बावजूद भी,इन में से किसी को भी 30 से 35 सालों की सर्विस प्रामाणिकता के साथ करनेके बाद भी 1000 ₹ से लेकर ज्यादा से ज्यादा 2500 ₹ तक की पेंशन EPFO द्वारा मिलती है।


ईतनी सी कम पेंशन की रक़म में वयोवृद्ध और गरीब पेंशनर और उन की पत्नि का दैनंदिन गुजारा और दोनों का हॉस्पिटल का खर्चा,घर का किराया,बिजली का बिल,गैस सिलेंडर आदी का खर्चा करना कत्तई सम्भव नहीं हो जाता हैं।

हमारे इस भारत देश को महासत्ता की कगारपर लाकर खड़ा करनेवाले इन गरीब और वयोवृद्ध EPS 1995 के पेंशनरोंको और उनकी पत्नीयोंको बहुतही खस्ता हालत में जिना पड़ रहा है।बुढ़ापे की तमाम मर्यादाओं के बीच में अमर्याद समस्याओं का सामना करते करते और दर दर की ठोकरें खाते खाते बहुतही यातनामय और साथ साथ अपमानजनक जीवन भी जिना पड़ रहा हैं।क्योंकि इनको अपनेही घर में अल्प पेंशनधारक होने से अपनी ही बहुएँ और बेटोद्वारा हमेशा अवमानित किए जाने से और मजबूर होकर भिखारी से भी ज्यादा बदहाल स्थिति में असह्य ऐसे बुढ़ापे में जिना पड़ रहा है।हम सब अभागी बूढ़े पेंशनर्स ऐसी घरेलू जिंदगी जी रहे हैं कि, जिसकी आप थोड़ी सी भी कल्पना  नहीं कर सकते।हमारी पेंशन बहुतही कम यानी की,ना के बराबर है।इसलिए हम में से हर किसी को इतनी उम्र होने के बावजूद और बढ़ती उम्र के साथ साथ शारिरिक कमजोरी, बी.पी., शुगर, घुटनों का दर्द और अन्य शारिरिक समस्याओं के बावजूद भी केवल और केवल मजबूर होकर ही कहीं होटलों में वेटर का काम करना पड़ता हैं,तो किसी को कही किसी बंगले पर रखवाली करनी पड़ती हैं,तो किसी को ड्राइविंग करनी पड़ती हैं, तो किसी को किराना दुकान में काम करना पड़ता हैं।अगर कोई पेंशनर भाई खुद कुछ पैसे नहीं कमा सकता हैं,तो उसकी धर्मपत्नी को पैसों के लिए ही किसी के घर के बर्तन माँजना, झाडू पोछा करना, किसी के बच्चोंको संभालना, बाकी का अन्य घरकाम करना पड़ता हैं। हम सभी के जीवन में सदा के लिए हमारी जिने की राह पर संघर्ष का सामना अंत तक शुरू रहता हैं। मृत्यु होने तक हमारी यह जिने की लड़ाई खत्म नहीं होती हैं। आपको इन सब बातों से दर्द हो रहा होगा,और क्या यह सब सच भी हो सकता हैं? 


यह सवाल भी आपको जरूर सताएगा।

आदरणीय सर,

हमारे भारत देश के मा.सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तथा अनेकों मा.उच्च न्यायालयों द्वारा भी उपरोक्त सभी संदर्भ के अनुसार मा.न्यायलयोंद्वारा उचित न्याय मिलने के बावजूद भी हम जैसे वयोवृद्ध गरीबों का कोई वाली नहीं है।अपने देश की पैंतीस पैतीस साल की अखण्ड सेवा बहुत ही प्रामाणिकता के साथ साथ करते समयही मंथली सैलरी में से  इन्कम टैक्स के साथ साथ और भी दूसरे सभी प्रकार के टैक्सेस देंनेवाले ये ग़रीब और वयोवृद्ध बूढ़े सीनियर सिटीजन पेंशनर्स अपनी बूढ़ी धर्मपत्नि के साथ 1000 ₹ या ज्यादा से ज्यादा 2500 ₹ की बहुत ही थोड़ी सी रकम में एक महीने का  दैनंदिन गुजारा करतें करतें हॉस्पिटल का खर्चा भी कैसे करतें होंगें इसका आपको बराबर अंदाजा आ जाएगा।


आदरणीय महोदय,

आपको हम सभी 68 लाख पेंशनधारक एवं हमारी धर्मपत्नियों को सम्मानजनक जिंदगी के साथ जिना सम्भव हो इसलिए कम से कम 10,000 ₹ (दस हजार ₹ ) पेंशन और उसके साथ साथ समय समय पर दिया जानेवाला महँगाई भत्ता भी अगर दिया गया तो ये बुजुर्ग और गरीब पेंशनर्स आपको जिंदगी के साथ साथ हमेशा के लिए याद करते रहेंगें। साथ में ही आपको यह भी बिनती की जाती हैं कि,पेंशनर की खुद की मृत्यु हो जाने के बाद उनकी विधवाओं को जो 50% पेंशन दिया जाता हैं, और यह बात सरासर गलत है,अन्यायकारी भी है।इसलिए पेंशनरोकी विधवाओं भी 50% के बजाय 100 % ही पेंशन देने के लिए आप हमारे श्रम मंत्रालय तथा EPFO को आदेशित करने की कृपादृष्टि करनेकी बिनति करते हैं।

साथ ही EPS 1995 के पेंशनर्स और उसके पत्नी को आयुष्यमान भारत नाम की जो हमारे सरकार की मेडिकल इन्शुरन्स योजना हैं,उसमें समाविष्ट करें जिससे ये गरीब और वयोवृद्धों को मेडिकल फैसिलिटी मिलने में निश्चित तौर पर मदद मिलेगी।


आदरणीय सर !!

आपने हाल ही के करोना की भयंकर वैश्विक महामारी के संकटमें जिस धीरज का और स्थितप्रदन्यता का अतुलनीय परिचय समूचे विश्व को जिस रूप से दिया हैं,वह बेमिसाल ही है। धारा 370 हो,या सीएए हो,तीन तलाक जैसे दूरगामी परिणाम साध्य करनेवाले कार्य हो,सभी का कोई जवाब नहीं है।बस इन सभी बातों जितनी ही EPS 1995 के वयोवृद्ध और गरीब सीनियर सिटीजन पेंशनर्स की सम्मानजनक जीवन जिने के लिए पेंशन की समस्या का भी सुलझना आवश्यक हो गया हैं।

कृपया आप कृपावन्त होकर हमें जरूर न्याय प्रदान करें, यह आपके चरणों में सविनय प्रार्थना करतें हैं।

आपका  कृपाभिलाषी

श्री आर बी रोहोकले

और

EPS 1995 के सभी 68 लाख पेंनशर्स और उनकी धर्मपत्नियाँ

आर बी रोहोकले, अहमदनगर(महाराष्ट्र)



 

Good News For Pensioner: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार द्वारा जारी पेंशन विरोधी अध्यादेश 2020 के पारित करने को चुनौती देने वाली याचिका को किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा और विधिमान्यकरण अध्यादेश 2020 के पारित करने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को उचित वैकल्पिक फोरम में संपर्क करने की स्वतंत्रता दी। जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने 1978 से 1986 तक उत्तर प्रदेश सरकार में सिंचाई, भूजल विभाग, पीडब्लूडी में कार्य प्रभार कर्मचारियों के रूप में नियुक्त 159 याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें बताया गया था की, 2019 में प्रेम सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अस्वीकृत किए गए काम प्रभारित कर्मचारियों के खिलाफ भेदभाव का उपचार किए बिना अध्यादेश को पारित कर दिया गया है।


न्यायमूर्ति रस्तोगी ने सवाल किया की, "आपने 2020 अध्यादेश को चुनौती दी है? क्या आप उच्च न्यायालय में अध्यादेश को चुनौती नहीं दे सकते?" याचिकाकर्ताओं के लिए अधिवक्ता मुकेश कुमार शर्मा ने जोर डाला कि प्रेम सिंह में 2 सितंबर, 2019 को निर्णय लेने के बाद, कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा शीर्ष अदालत के समक्ष एक अवमानना ​​याचिका दायर की गई है, जिस पर नोटिस भी जारी किया गया है। शर्मा ने यह भी बताया कि बुधवार को जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस केएम जोसेफ की एक अन्य पीठ ने उत्तर प्रदेश ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट नॉन गजेटेड इम्प्लाइज एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें 2020 के अध्यादेश की वैधता को चुनौती दी गई है जो पिछले साल 21 अक्टूबर को पारित किया गया था।


शर्मा से जस्टिस सरन ने पूछा, "क्या सबूत है कि आप इस और इस तारीख के बीच कार्य प्रभार कर्मचारियों के रूप में भर्ती हुए थे?" 72 साल के एक अन्य याचिकाकर्ता ने अपनी पेंशन की मांग की, हालांकि अध्यादेश को चुनौती दिए बिना, जिसे भी साथ ही सुना गया पर, न्यायमूर्ति सरन ने कहा, "सेवा रिकॉर्ड गढ़ा गया है या नहीं, हम 32 वर्ष से कम नहीं देख सकते हैं। आप उच्च न्यायालय, श्रम न्यायालय या सिविल न्यायालय में जा सकते हैं। हम 32 वर्ष से पीछे के सबूत नहीं ले सकते। "अंततः, पीठ ने अध्यादेश को चुनौती देने वाले 159 याचिकाकर्ताओं की याचिका को खारिज कर दिया और उपयुक्त वैकल्पिक मंच से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी।


जस्टिस अरुण मिश्रा के साथ ज‌स्टिस नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने सेवा के अंतिम दिनों में नियमित हुए हजारों कार्य-प्रभार कर्मचारियों के पेंशन के अधिकार पर सुनवाई करते हुए प्रासंगिक नियमों को रद्द कर दिया था, और पेंशन के लिए अर्हकारी सेवा की गणना के प्रावधानों को पढ़ा था और यह निर्धारित किया था कि उत्तर प्रदेश राज्य में कार्य-प्रभार कर्मचारियों की सेवा की अवधि को पेंशन के लिए अर्हकारीसेवा की अवधि की ओर गिना जाना चाहिए। इस फैसले को स्वीकार कर लिया गया था और हजारों प्रभावित कर्मचारियों को पेंशन प्रदान की गई थी। हालांकि, लागू अध्यादेश के माध्यम से, सरकार ने यह प्रावधान किया है कि "अर्हकारी सेवा" में अस्थायी या स्थायी पद पर प्रदान की गई सेवा शामिल होगी, जो सरकार द्वारा पद के लिए निर्धारित सेवा नियमों के प्रावधानों के अनुसार है।

अध्यादेश गैर- रोक का खंड प्रदान करके न्यायालय के किसी भी निर्णय, डिक्री या आदेश को भी रद्द कर देता है। नतीजतन, क्योंकि पद के लिए सरकार द्वारा निर्धारित सेवा नियमों के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी अस्थायी या स्थायी पद के विरुद्ध कार्य प्रभार के कर्मचारियों को नियोजित नहीं किया जाता है, ऐसी सेवाएं 'अर्हकारी सेवाओं' का हिस्सा नहीं बनेंगी। 159 याचिकाकर्ताओं की याचिका में उत्तर प्रदेश सेवानिवृति नियम, 1961 के नियम 3(8) की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई है, जिसे प्रेम सिंह केस में 2019 में तीन जजों की बेंच ने पढ़ा था।


उक्त नियम के उद्देश्य के लिए 'अर्हकारी सेवाएं' का अर्थ था वह सेवा जो सिविल सेवा विनियम के अनुच्छेद 368 के प्रावधानों के अनुसार पेंशन के लिए योग्य हो। नियम के अनुसार प्रोविज़ो में कहा कि "उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन सतत या अस्थायी रूप से सेवा जारी रखने के बाद, उसी या किसी अन्य पद में पुष्टि के बिना किसी रुकावट के बिना पात्रता होगी - (i) गैर-पेंशन योग्य स्थापना में अस्थायी या कार्यशील सेवा की अवधि; (ii) कार्य प्रभार प्रतिष्ठान में सेवा की अवधि; तथा (iii) आकस्मिकताओं से प्रदान किए गए पदों में सेवा की अवधि को योग्य सेवा के रूप में भी गिना जाएगा " 2019 फैसले का ऑपरेटिव भाग प्रदान करता है: "36. उत्तर प्रदेश सेवानिवृति नियम, 1961 के नियम 3 (8) को पढ़ने के मद्देनज़र, हम मानते हैं कि कार्य प्रभार स्थापना में प्रदान की गई सेवाओं को पेंशन देने के लिए पूर्वोक्त नियम को अर्हकारी सेवा के तहत माना जाएगा। पेंशन की बकाया राशि आदेश की तारीख से तीन साल पहले ही सीमित कर दी जाएगी।


स्वीकार्य लाभों का भुगतान तीन महीने के भीतर किया जाना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप, कर्मचारियों द्वारा दायर अपील की अनुमति दी जाती है और राज्य द्वारा दायर अपील खारिज की जाती है। " 159 याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सेवानिवृत्ति के बाद उत्तर प्रदेश सरकारी सेवा के कर्मचारियों को पेंशन पाने के लाभ प्राप्त करने के लिए नियम बनाए गए थे, और यह कि अध्यादेश केवल कर्मचारियों के अधिकारों को समाप्त करने के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया है, जिसकी उच्चतम न्यायालय द्वारा भी पुष्टि की गई है। गुरुवार को खारिज की गई याचिका में अदालत द्वारा परीक्षण के लिए निम्नलिखित कानूनी प्रश्न थे:

(i) क्या उत्तरदाता / राज्य सरकार अध्यादेश पारित करके या अधिनियम में संशोधन करके इस माननीय न्यायालय के निर्णय को पलट / रद्द कर सकता है?

(ii) क्या उत्तरदाता / राज्य सरकार द्वारा अनुपालन ना करके, अध्यादेश को पारित करके या इस अधिनियम के संशोधन के आधार पर माननीय न्यायालय के निर्णय को पलट / रद्द कर भारत के संविधान के मूल ढांचे पर हमला नहीं किया गया है जैसा कि इस माननीय न्यायालय द्वारा केसवानंद भारती श्रीपद्गलवारु और अन्य बनाम केरल राज्य में 1973 (3) SCC 225, में कानून तय किया गया है।


(iii) क्या उत्तरदाता / राज्य सरकार / कार्यपालिका के पास अध्यादेश या अधिनियम के संशोधन को पारित करके भारत के संविधान के "बुनियादी ढांचे" में संशोधन करने की शक्ति है?

(iv) क्या उत्तरदाता / राज्य सरकार / कार्यपालिका, अध्यादेश के संशोधन या संशोधन अधिनियम पारित करके भारत के संविधान के भाग-III में नागरिक / कर्मचारियों के " मौलिक अधिकारों" को संशोधित / अंकुश करने की शक्ति रखती है?

(V) क्या उत्तरदाताओं का अध्यादेश का संशोधन पारित करके या अधिनियम में संशोधन करने का कार्य भारत के संविधान के अनुच्छेद 141 के प्रकाश में शून्य और अमान्य है।