Wednesday, September 30, 2020

उमंग ऐप में EPS 95 स्कीम सार्टिफिकेट आवेदन करना हुआ आसान | EPS 95 PENSION SCHEME CIRTIFICATE CAN APPLY ON UMANG App

श्रम मंत्रालय (Labour Ministry) ने एक बयान जारी कर कहा है कि EPF के सदस्य अब UMANG App (उमंग ऐप) पर कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employees Pension Scheme - EPS) के तहत सार्टिफिकेट के लिए आवेदन कर सकते हैं। कोरोना वायरस महामरी के दौरान Unified Mobile Application for New-age Governance (UMANG) ऐप EPF के सदस्यों के लिए बेहतर रहा। कई सदस्यों ने इस ऐप के जरिए घर बैठे सुविधा का लाभ लिया।

 

उमंग ऐप में पहले से ही 16 सर्विस मुहैया कराई जा रही है। अब इसमें एक और सर्विस जुड़ गई है। EPFO ने इस ऐप के जरिए कर्मचारियों को कर्मचारी पेंशन योजना EPS, 1995 के तहत Scheme Certificate के लिए अप्लाई करने की सुविधा शुरू कर दी है।

Scheme Certificate उन EPF सदस्यों को जारी किया जाता है, जो अपना EPF कंट्रीब्यूशन निकाल लेते हैं, लेकिन रिटायरमेंट की उम्र पर पेंशन कर सुविधा का फायदा लेने के लिए EPFO के साथ अपनी मेंबरशिप बनाए रखना चाहते हैं। एक सदस्य सिर्फ तभी पेंशन के लिए पात्र होता है, जब वो कर्मचारी पेंशन योजना (Employees Pension Scheme) 1995 का कम से कम 10 साल तक सदस्य रहता है।


नई नौकरी ज्वाइन करने पर स्कीम सर्टिफिकेट ये सुनिश्चित करता है कि पिछली पेंशन योग्य सर्विस को नई कंपनी के साथ पेंशन योग्य सर्विस के साथ जोड़ दिया जाए। इससे कर्मचारी को मिलने वाली पेंशन राशि बढ़ जाती है। इसके अलावा पेंशन के लिए योग्य मेंम्बर के असामयिक मौत की स्थिति में परिवार के सदस्यों के लिए परिवार पेंशन हासिल करने में भी ये स्कीम सर्टिफिकेट काफी उपयोगी है।

आसान है आवेदन करना 

उमंग ऐप के जरिए स्कीम सर्टिफिकेट अप्लाई करना बहुत आसान हो जाएगा। अब इस सर्टिफिकेट के लिए कर्मचारी या परिवार के किसी भी सदस्य को EPFO के दफ्तर में जाने की जरूरत नहीं होगी। खास तौर से इस समय कोरोना वायरस महामारी के समय कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही पेपर वर्क भी कम हो जाएगा।


मंत्रालय ने कहा है कि इस स्कीम सार्टिफिकेट की सुविधा से 5.89 करोड़ से ज्यादा सदस्यों को फायदा होगा।  EPFO का उमंग ऐप बेहतर सर्विस के चलते सदस्यों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है। अगस्त 2019 के बाद से उमंग ऐप को 47.3 करोड़ हिट्स मिले। जिसमें से 41.6 करोड़ यानी 88 फीसदी EPFO सर्विस के लिए थे। बता दें कि उमंग ऐप पर सभी सुविधाओं का लाभ लेने के लिए एक्टिव यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) और EPFO में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर होना जरूरी है।




EPS 95 पेंशनधारकों को भगतसिंह कोशियारी समिति शिफारसो के अनुसार पेंशन 7500 बढ़ोतरी और महंगाई बत्ता लागु किया जाये, प्रधान मंत्रीजी को निवेदन

सभी 65 लाख ईपीएस 95 पेंशनधारकों को अवगत करना चाहता हु की हल ही में प्रकाश पाठकजी National General Secretary Employees Pension (1995), National Coordination Committee द्वारा ईपीएस 95 पेंशनधारको को भगतसिंह कोशियारी समिति की संशोधन रिपोर्ट के अनुसार पेंशन बढ़ोतरी के लिए मा. प्रधानमंत्री जी को निवेदन किया है।आइये इसके बारे जानते है। 


मा. प्रकाश पाठकजी द्वारा कहा गया है, मैं हमारी समिति की ओर से सभी सम्मानित, संसद सदस्यों और राज्यसभा सदस्यों को विनम्र निवेदन करता हूं कि हमारे इस मुद्दे को कृपया लोकसभा और राज्यसभा में बलपूर्वक रखा जाये।

क्या हम जानते हैं कि सरकार को यह सुविधा क्यों नहीं है कि पिछले 2013 से संशोधन की रिपोर्ट लंबित है।



भगतसिंह कोशियारी समिति की संशोधन रिपोर्ट का अध्ययन नहीं किया गया है। डी. ए. के लिए प्रावधान है और इसके लिए धन कैसे जुटाया जाता जाये इसके बारे में भी बताया गया है। कई, कई पेंशनरों ने कई बार मुझसे राष्ट्रीय महासचिव कर्मचारी पेंशन (1995), राष्ट्रीय समन्वय समिति नागपुर (पूछे गए प्रश्नो) के बारे में पूछा। भगतसिंह कोशियारी की रिपोर्ट को सरकारों ने अभी तक क्यों नहीं अपनाया है?।

इसलिए फिर से मैं एक सवाल पूछ रहा हूं माननीय प्रधान मंत्री भारत सरकार और संसद सदस्य क्यों नहीं भगतसिंह कोश्यारी समिति की संशोधन रिपोर्ट लागु नहीं किया जा रहा है? इसलिए हमारा विनम्र अनुरोध है कि कृपया असंगठित क्षेत्र के पेंशनरों और काम करने वाले श्रमिकों के लिए जो ई.पी.एस. 95 या एन.पी.एस में कवर है उनके लिए भगतसिंह कोश्यारी समिति की संशोधन की सिफारिसो लागु कर इन्हे कृतार्थ करे।

महोदय,
दिन पर दिन बैंक की ब्याज दर कम होती जा रही है। सरकार महंगाई भत्ते की मांग को व्यवस्थित रूप से टाल रही हैं। प्रकाश पाठक



 

 

CBT सदस्यों ने EPS 95 पेंशन बढ़ोतरी 7500 करने की श्रम मंत्रालय से की मांग | EPS 95 MINIMUM PENSION MAY INCREASE TO 7500

EPS 95 पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन 1,000 से बढ़ाकर 7,500 करने का प्रस्ताव


हलाकि EPFO के अंतर्गत आने वाले ईपीएस 95 पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन 1,000 से बढ़ाकर 7,500 करने की मांग सालो से चली आ रही है अपनी पेंशन वृद्धि के लिए पेंशनर्स ने धरना , आंदोलन , ज्ञापन जैसे कई रास्ते अपनाये है और अब केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की अगली बैठक में पेंशनधारको की इस मांग को भी अजेंडा के रूप में रखने का प्रस्ताव दिया गया है।

केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) के सदस्यों के द्वारा ईपीएफओ खाताधारकों के लिए पीएफ कटौती की सिमा 15 हजार से बढाकर 25 हजार रुपए और ईपीएस 95 पेंशन धारको की न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये करने को लेकर श्रम मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है।


मिडिया की एक खबर के मुताबित केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) के सदस्य हरभजन सिंह ने बताया है की आने वाली केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की बैठक में ईपीएफओ खाताधारकों के लिए पीएफ कटौती की सिमा 25000 रुपए और ईपीएस 95 पेंशन धारको की न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपये करने के प्रस्ताव को रखा जायेंगा। जिसे लेकर श्रम मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जा चूका है। साथ ही ईपीएफओ के अंतर्गत अनक्लाइमेड पीएफ की राशि जो वर्ष 2014 में 40 हजार करोड़ रुपये बताई गई थी। जिसे वर्ष 2019 में 27 हजार करोड़ रुपये बताया गया है इसके बारे में भी जानकारी ली जाएगी।


इसके आलावा PF में कटौती की सिमा 15000 से बढ़ाकर 25000 करने का प्रस्ताव

वर्तमान में कर्मचारी भविष्य निधि के अंतर्गत आने वाले पीएफ खाताधारकों की वेतन का 12% पीएफ में जमा करना होता है जिसमे यदि 15 हजार रुपये से ज्यादा किसी कर्मचारी की वेतन है तब भी उनका पीएफ में अंशदान 15 हजार रुपये की सीलिंग लिमिट पर ही होता है। जिसके हिसाब से कर्मचारी का अधिकतम 1,800 रुपये ही प्रति महीने पीएफ में जमा होते है। यदि इस प्रस्ताव को आने वाली केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की बैठक में मंजूरी मिलती है तो पीएफ खाताधारकों का पीएफ में अंशदान बढ़ जायेंगा जिससे की पीएफ की राशि भी ज्यादा मिलेंगी और रिटायरमेंट पर पेंशन में वृद्धि होंगी। लेकिन इन हेंड सैलरी में थोड़ी कमी आएँगी।

21000 रुपए तक वेतन वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा देने का प्रस्ताव तैयार

कर्मचारियों की समाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाने के मकसद से सरकार आने वाले दिनों में एक बड़ा फैसला लेने जा रही है। श्रम मंत्रालय ने आवश्यक कवरेज के तहत वेतन सीमा में 6 हजार की बढ़त का प्रस्ताव तैयार किया है। नए प्रस्ताव के तहत ईपीएफओ के तहत आवश्यक कवरेज के लिए वेतन की सीमा 15 हजार से बढ़कर 21 हजार कर दिया जाएगा। 



ऐसा करने ईपीएफओ सदस्यों की संख्या भी बढ़ेगी, साथ ही सदस्यों की तरफ से आने वाला कंट्रीब्यूशन भी बढ़ेगा। सरकार का ये प्रस्ताव फिलहाल वित्त मंत्रालय के पास दोबारा भेजा गया है। पहले का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय ने कुछ संशोधनों के लिए श्रम मंत्रालय के पास भेज दिया था। अब श्रम मंत्रालय ने एक नया प्रस्ताव तैयार किया है और वित्त मंत्रालय को भेज दिया है। सरकार इस प्रस्ताव पर फिलहाल आगे नहीं बढ़ पा रही है, क्योंकि इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर से पहले सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की मंजूरी भी चाहिए होती है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में सरकारी सदस्यों की संख्या तो नियत रहती है और लेकिन गैर सरकारी सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का ही होता है। पुराने बोर्ड का कार्यकाल इस साल मई में खत्म हो गया है। नए सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज यानि सीबीटी का गठन मई के बाद शुरू हो जाना था लेकिन अब तक केवल सरकार ने सभी संगठनों से इसके लिए नाम मांगे हैं। सूत्रों की माने तो इस पूरी प्रक्रिया में एक से दो महीने का वक्त और लग सकता है। इस बोर्ड के गठन के बाद ही कर्मचारियों से जुड़े प्रस्ताओं को अमलीजामा पहनाना शुरू किया जाएगा। 


अभी क्या है प्रावधान

ईपीएफ एंड एमपी एक्ट में ये प्रावधान हैं कि कंपनी और कर्मचारी आमतौर पर मूल वेतन का 12 फीसदी एम्प्लॉयी प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ) एकाउंट में जमा करते हैं। कर्मचारी की तरफ से जमा कराया गया 12 प्रतिशत ईपीएफ के मद में ही जाता है। वहीं कंपनी की तरफ से जमा कराए गए 12 फीसदी में से 8.33% को ईपीएस या कहें पेंशन फंड में जमा किया जाता है जबकि बाकी बचे 3.67 फीसदी हिस्से को ईपीएफ में निवेश किया जाता है। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद ईपीएफओ के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन की राशि में भी इजाफा संभव है क्योंकि वेतन सीमा बढ़ाए जाने के बाद एंप्लॉई पेंशन स्कीम के तहत सरकार का योगदान भी बढ़ जाएगा।

(नोट : यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से मिली जेकरि के आधार पर सांझा की गई है, अतः इसकी सत्यता आप आपके स्तर पर जरूर जाँच ले। इसकी सत्यता की दावा नहीं करते)



 

Tuesday, September 29, 2020

EPS 95 HIGHER PENSION | FALSE EPF MUST END | IMPLEMENT HIGHER PENSION TO EPS 95 PENSIONER AS PER COURT ORDER

EPS 95 HIGHER PENSION NEWS | EPS 95 LATEST NEWS | EPS 95 PENSION 7500 HIKE

 
जीवन की शाम में पेंशनरों के दलिया के कटोरे से चोरी न करें। सुप्रीम कोर्ट ने 12 अक्टूबर, 2018 के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को पूरी तरह से लागू कर दिया .....

पेंशन एक आस्थगित भुगतान है और श्रमिक वर्ग का एक वैध अधिकार है। देश में उच्चतम न्यायपालिका द्वारा इस पर जोर दिया गया है और अतीत में कई बार सरकार को सूचित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी श्रमिकों से योगदान के साथ लागू की गई पेंशन योजना को खत्म करने के लिए सरकार की कई बार आलोचना की है। इसके बावजूद कि श्रम मंत्रालय और ईपीएफ संगठन पेंशनरों को श्रमिकों को लाभ से वंचित करने के अपने प्रयास के साथ जारी है।


यह 10 साल से अधिक समय से प्रभावित है, अपने न्यायिक अधिकारों के लिए अदालती मामलों से लड़ रहे हैं। उनमें से अधिकांश को 1000 / -मुख्य रूप से पेंशन भी नहीं मिलती है। कई मामलों में पीएफ पेंशन राज्य सरकार द्वारा कई स्थानों पर दी गई कल्याणकारी पेंशन से कम है। ईपीएफओ / श्रम मंत्रालय न्यायपालिका द्वारा दिए गए न्याय को अस्वीकार करने का प्रयास कर रहा है।

EPFO Recruitment 2020: 27 Vacancies For the Post of Assistant Director (Vigilance)

12 अक्टूबर 1018 को दिए गए वीडियो फैसले में, केरल उच्च न्यायालय डिवीजन बेंच ने घोषणा की है कि ईपीएफ योगदान करने वाले कर्मचारी अपने योगदान के लिए पेंशन अनुपात के हकदार हैं और 2014 में ईपीएफओ द्वारा उनके अधिकार को रद्द करने का संशोधन गैरकानूनी है। 1 सितंबर 2014 का ईपीएफओ संशोधन अधिकतम सीमित था। वेतन 15000 / -pm और इस संबंध में श्रमिकों के लिए आगे के विकल्प से वंचित। यह संशोधन उच्च न्यायालय के कई फैसलों के संदर्भ में लाया गया था जिसमें कहा गया है कि कटऑफ की तारीख पर प्रतिबंध और वेतन के एक हिस्से के लिए पेंशन भी अनुचित है।


ईपीएफओ ने उच्च न्यायालय के आदेशों को लागू करने से इंकार करने के संदर्भ में लाभार्थियों को अवमानना ​​याचिकाओं के साथ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। कई मामलों में न्यायालय ने बकाया राशि के साथ उच्च पेंशन का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। पूरे देश में उच्च न्यायालय के आदेश लागू होते हैं, EPFO ​​ने केवल ऐसे व्यक्तियों को लाभ प्रदान करने की एक अजीब प्रक्रिया को अपनाया जिन्होंने अवमानना ​​याचिका को प्राथमिकता दी।

अब उन्होंने यह भी बंद कर दिया है- पुराने तर्कों पर वापस जाकर वे लाभ से इनकार कर रहे हैं। ईपीएफओ जोर दे रहा है कि जिन लोगों ने सेवा में रहते हुए कोई विकल्प नहीं बनाया है और मैचिंग योगदान नहीं दिया है उन्हें अब कोई विकल्प नहीं दिया जा सकता है। उनका रुख यह है कि जब तक समीक्षा याचिका पर फैसला नहीं हो जाता तब तक पुराने नियम ही लागू रहेंगे। इस पर निर्देश पारित किए गए हैं कि जो लोग अवमानना ​​याचिका के लिए गए हैं, उन्हें भी बढ़ा हुआ लाभ दिया जाना चाहिए।


इसके द्वारा जीवन के लाखों पीएफ सदस्यों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए दयनीय बना दिया गया है। अधिकारियों को यह याद रखना चाहिए कि मजदूर वर्ग के कल्याण के लिए जो योजना लाई गई है, वह स्थिति को बदतर नहीं बनाना चाहिए जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में दयनीय बताया था। अधिकारियों को पेंशनरों को अपने जीवन के अंतिम छोर पर लूटने का प्रयास नहीं करना चाहिए। प्रधान मंत्री को व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ठीक किया गया 12 अक्टूबर 2018 का केरल उच्च न्यायालय का निर्णय समग्रता में लागू हो।

(नोट : मल्यालम  भाषा  का ट्रांसलेशन आपको हिंदी भाषा में बताया गया है इसमें कुछ संभावित त्रुटिया हो सकती है। अतः इसकी सत्यता आप आपके स्तर पर जरूर जाँच ले। इसकी सत्यता की दावा नहीं करते)

 

 

EPFO Recruitment 2020: 27 Vacancies For the Post of Assistant Director (Vigilance)

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने सहायक निदेशक (सतर्कता) के पद के लिए भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। 


अधिसूचना के अनुसार इच्छुक उम्मीदवार निर्धारित आवेदन प्रारूप के माध्यम से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) भर्ती 2020 के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

 ईपीएफओ भर्ती 2020 में 27 खाली पदों को भरा जाएगा। सरकारी संगठन ने आवश्यक योग्यता रखने वाले पात्र व्यक्तियों से 27 सहायक निदेशक (सतर्कता) पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। 


ये भर्तियां दिल्ली, मुंबई, महाराष्ट्र, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, तेलंगाना कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति के आधार पर की जाएंगी। इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को आधिकारिक वेबसाइट www.epfindia.gov.in पर लॉग इन करना होगा। 

ईपीएफओ भर्ती 2020 रिक्ति विवरण 

-हेड ऑफिस दिल्ली - 5 पद 

-नोर्थ जोन दिल्ली - 6 पद 

-वेस्ट जोन मुंबई - 05 पद 


-SZ हैदराबाद - 5 पद 

-ईस्ट ज़ोन कोलकाता - 6 पद



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Monday, September 28, 2020

EPS 95 HIGHER PENSION NEWS | EPFO ATTEMPT TO BLOCK EPS 95 HIGHER PENSION

EPS 95 HIGHER PENSION NEWS | EPS 95 MINIMUM PENSION 7500+DA NEWS | EPFO NEWS


27 सितंबर को EPS 95 उच्च पेंशन के संबंध में मल्यालम भाषा में समाचार दिखाई दिए। सभी EPS 95 पेंशनभोगी की जानकारी के लिए हिंदी भाषा में अनुवाद किया है। सभी पेंशनरों की ओर से उन्हें मेरा हार्दिक धन्यवाद।

हिंदी अनुवाद को नीचे के रूप में साझा किया जा रहा है

ईपीएफओ के नियमों में संशोधन लाने के लिए संकेत हैं कि वेतन में पेंशन अनुपात का भुगतान करने के लिए केएचसी जजमेंट को दूर करने का लक्ष्य रखा गया है।


संशोधन श्रम संहिता नियमों के अनुरूप होगा जो संसद द्वारा पारित किए गए थे।

अदालती आदेश द्वारा समर्थित उच्च पेंशन के आवेदनों पर विचार नहीं करने के लिए ईपीएफओ के क्षेत्रीय और क्षेत्रीय अधिकारियों को मौखिक निर्देश दिए गए हैं।

यह कदम या तो लेबर कोड में संशोधन या ईपीएफ पेंशन स्कीम में नए नियम लाने के अदालती आदेश पर काबू पाने के लिए है।

यह 2018 में था कि केएचसी ने फैसला दिया कि पेंशन को वेतन के अनुपात में दिया जाएगा। केएचसी फैसले के खिलाफ ईपीएफओ की अपील को एससी ने खारिज कर दिया था।


EPFO और मंत्रालय द्वारा बाद में दायर की गई समीक्षा याचिका पर SC द्वारा विचार किया जाना बाकी है।

इसी समय, जो लोग अदालत के फैसले की ओर इशारा करते हुए अपने दृष्टिकोण पर अदालत का रुख कर रहे थे, उन्हें उच्च पेंशन मिल रही थी। अब, इन आवेदनों को भी वापस करने का निर्देश दिया गया है। यह भी निर्देश दिया जाता है कि नियमों में संशोधन होने तक अदालत से अनुकूल आदेश प्राप्त करने वालों से संबंधित फाइलों को संसाधित न करें।

हालांकि नए सदस्यों के लिए यह प्रस्तावित किया गया था कि यदि उन्हें अधिक योगदान दिया जाता है तो उन्हें अधिक पेंशन दी जाती है, लेकिन ट्रस्ट बोर्ड में निर्णय नहीं लिया गया और स्थगित कर दिया गया।


श्री एन के प्रेमचंद्रन, सांसद (एलएस) 

"उस क्षेत्र में संशोधन की संभावना है जहां श्रम संहिता में ईपीएफ पेंशन का उल्लेख किया गया है। यह श्रम मंत्री द्वारा इंगित किया गया था। जब मामला अदालत में आया, तो पीएमओ ने हस्तक्षेप किया। न्यायपालिका का विरोध करने के लिए एक सामरिक आंदोलन और साजिश है। आंदोलन अत्यधिक आशंका है " 

(नोट : मल्यालम  भाषा  का ट्रांसलेशन आपको हिंदी भाषा में बताया गया है इसमें कुछ संभावित त्रुटिया हो सकती है।)




EPS 95 Pension Calculation on Higher/Actual salary and also Calculation of NORMAL Pension & Pension on Higher/Actual Salary

Calculate EPS 95 Higher Pension Below:

As Parveen Kohali Sir, receiving a large number of telephonic requests for sharing an UPDATED TEMPLATE for calculating Differential amount & Interest amount payable to EPFO for revision of Pension on Higher/Actual salary and also Calculation of NORMAL Pension & Pension on Higher/Actual  Salary (Tentative) in accordance with EPFO HQ circular dt. 23.3.2017. 

Accordingly, on Parveen Kohali Sirs personal request, his Ld. friend Mr. Neeraj Bhargava of Jaipur with constant interactions/ consultations with me and technical support from Mr. C. Ramasamy of Bangalore has developed the said updated Template wherein data can be calculated upto 31.3.2021. 

FIRST, PLEASE READ THE INSTRUCTIONS AND THEN FEED DATA IN THE INPUT WORK SHEET IN PINK CELLS ONLY.  YOU WILL GET THE TENTATIVE RESULTS IN THE RESULT WORKSHEET INSTANTANEOUSLY.

Please see the file and also share the same in all the groups so that maximum beneficiaries i.e. pensioners as well as serving employees may make full use of our effort.

From all the EPS 95 Pensioner sincere thanks to Mr. Bhargava and Mr. Ramasamy on behalf of all the EPS’95 Pensioners and serving employees covered under the EPS’95 Scheme.

Instruction:

Please read Instructions given in INSTRUCTIONS sheet carefully before proceeding for EPS-95 Pension Calculations

1. This Excel file is prepared for the benefit of pensioners, “who joined the Scheme prior to the introduction of Employees' Pension Scheme-1995,
Before 16-11-1995”, for knowing pension & allied calculations based on their monthly salaries."

2. Pension Calculations for All retirees i.e. before or after 01.09.2014
  • a. Normal Pension
  • b. Higher Pension
  • c. Differential amount to be paid to EPFO
  • d. Interest amount from 16-11-1995 till retirement
  • e. Interest amount from retirement till commencement of Higher Pension
  • f. Pension Revision Arrears (Higher & Normal Pension difference)"
3. Calculations done for Superannuation Pension only, i.e. cases wherein there is NO Commutation, NO Return of capital, NO Early/Reduced pension etc.

4. The calculations in this file are formulae based, whereas calculations done by EPFO has manual interventions also 

5. The calculations have been developed based on few pensioners actual data, if anyone has further inputs to improve it, please mail on “pensionseva.jpr@gmail.com”

6. Rate of Interest for 2019-20 is yet to be approved by Ministry of Finance and Rate of Interest for the year 2020-21 is yet to be declared

7. The "Pensionable Salary" has been calculated on the average salary of last 12 months for all, (whether pre 01.09.2014 or post 01.09.2014) because Hon'ble Kerala High Court's judgment was upheld by Hon'ble Supreme Court on 01.04.2019 and implemented as such to Petitioners of Contempt cases by EPFO ROs, Kerala
8. Refer Judgment dt. 05/10-02-2020 of High Court of Jharkhand at Ranchi in WPC No. 1856 of 2018 - Case title: Steel Executives Federation of India (SEFI) vs UOI, CPFC & ors wherein at Para 6, it has been specified that the Hon’ble Supreme Court in case of Kusum Ingots & Alloys Ltd vs UOI [(2004) 6 SCC 254)] while considering the effect of the order passed by the High Court under Article 226 of Constitution of India questioning the Constitutionality of a central legislation has held as under:

The Court must have the requisite territorial Jurisdiction. An order passed on a writ petition questioning the constitutionality of a parliamentary Act, whether interim or final keeping in view the provisions contained in clause (2) of Article 226 of the Constitution of India, will have effect throughout the territory of India subject to course to the applicability of the Act.”"

"9. The “Inputs” to be fed as follows
a. Fill data only in PINK cells, One can make entries in ""Input"" sheet only, other sheets are protected
  1. Fill Name
  2. Fill dates from existing Normal pension from existing Normal ""Pension Pay Order"" (PPO)
  • (a) Date of birth,
  • (b) Date of joining PF and
  • (c) Date of Commencement of Normal Pension

Non Contributory Period, if any (nos. in Days), during service period except noncontributory period for last 12 months, if NCP exist in last 12 months, the calculation results will vary, NCP for last 12 months are not considered, if NCP exists in last 12 months, the calculations results will vary

iv. Service weightage 2 or 0 as per PPO
v. Date of commencement of Higher Pension (proposed)
vi. Last 12 months PF'able salary, it includes Basic wages, Dearness allowance (Cost of living allowance or under any other heading), Retaining allowance (production bonus or under any other heading) and Cash value of food concession.

(a) These monthly salaries must be without arrears, if any.
vii. Monthly Salary (on right side in L20 to O20, D22 to O22 etc., cells, below each month) (For Dec.95 -Input 15 days salary only)"

10. E & OE: This is rough indicative calculation and may vary from the actual figures of EPFO by (+/-) 1-2% approx.




Sunday, September 27, 2020

Very Important Guidlines For 65 Lakh EPS 95 Pensioners for Minimum Pension 7500 Hike By NAC National President

EPS 95 MINIMUM PENSION HIKE 7500+DA | EPS 95 HIGHER PENSION NEWS | NAC MEETING


As we all know, the meeting was organized by the National Agitation Committee through online ZOOM. Further strategy regarding EPS 95 pension increase was discussed in this meeting. In this meeting Commander Ashok Raut joined the National President, National Agitation Committee along with C. S. Prasad Reddy, Chief Coordinator, Southern Region, P. N. Patil, Tapan Dutta, Dilip Bhattacharya, Arjun Koleya, Gopal Kishore Pol, S. N. Mishra, and other pensioners. Let us know which issues were discussed in this meeting.



This is my humble regards….

Commander Sir said in his speech at the Zoom meeting ... that now our only duty is to include lower level EPS pensioners, we have to form committees in taluka levels.

They do not have a smart phone, so they cannot be included in our zoom meeting or WhatsApp group. They should be contacted in person or over the phone. Commander Sir also said that we have to wait till 31 October 2020 or till 15 November 2020.

We should not go for any agitation program under the banner of the NAC until we get any negative feedback by 15 November 2020. As per the speech by Commander Ashok Raut Sir, our NAC Central team will wait till 31 October for a favorable decision as the Hon'ble PM assured us.

If no favorable response is received from the Government of India, the NAAC central team will issue a letter to the PM for a direct action plan outside the country from 16 November 2020. A nation-wide movement will be chalked according to the program. So please be more active to make more members from lower levels who can succeed, our nation wide movement program.

We NAC West Bengal are trying their best at the level. Every day we are increasing our membership to a minimum of 5 per day. Sometimes it even goes up to 40. If anyone wants to take our membership but is in a position to pay full membership (Rs. 10 / per month or Rs. 120 / per year).

In that case we consider them as a special case (as per Commander Sir's request) as a token money for our membership for 1 year only for Rs. 10 / -.

Friends money is not an important part of any association. We need to make our organization more strong. Members are the real strength of an organization.

We seek every person's participation in our NAC activities. This time we have to go out of the country and make more intensive movement program.

Thanks and regards..
Tapan Dutt
State President West Bengal




 

National Level Meeting of NAC Members & EPS 95 Pesioners for Minimum Pension 7500 Hike | Very Important Guidlines For 65 Lakh EPS 95 Pensioners

जैसा की हम सभी को पता है राष्ट्रिय संघर्ष समिति द्वारा ऑनलाइन ZOOM के माध्यम से बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में ईपीएस 95 पेंशन बढ़ोतरी को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। इस बैठक में मा. कमांडर अशोक राउत राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रिय संघर्ष समिति के साथ C S Prasad Reddy, Chief coordinator, Southern Region, P. N. पाटिल, तपन दत्ता,दिलीप भट्टाचार्य, अर्जुन कोलेय, गोपाल किशोर पोल, S. N. मिश्रा, और अन्य पेंशनधारक शामिल हुए। आइये जानते है इस बैठक में कोनसे मुद्दों पर चर्चा की गई। 

यह मेरा विनम्र सादर है ....।

जूम मीटिंग में कमांडर सर ने अपने भाषण में कहा ... कि अब निचले स्तर के ईपीएस पेंशनरों को शामिल करना हमारा एकमात्र कर्तव्य है, हमें तालुका स्तरों में समितियों को बनाना होगा।

उनके पास स्मार्ट फोन नहीं है, इसलिए उन्हें हमारे जूम मीटिंग या व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल नहीं किया जा सकता है। उनसे व्यक्तिगत रूप से या फोन पर संपर्क किया जाना चाहिए। कमांडर सर ने यह भी कहा कि हमें 31 अक्टूबर 2020 तक या 15 नवंबर 2020 तक इंतजार करना होगा।
जब तक हमें 15 नवंबर 2020 तक कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल जाती तब तक हमें एनएसी के बैनर तले किसी भी आंदोलन कार्यक्रम के लिए नहीं जाना चाहिए। कमांडर अशोक राउत सर के भाषण के अनुसार हमारी एनएसी केंद्रीय टीम अनुकूल निर्णय के लिए 31 अक्टूबर तक प्रतीक्षा करेगी क्योंकि माननीय पीएम ने हमें आश्वासन दिया।

यदि भारत सरकार की ओर से कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो नैक केंद्रीय टीम 16 नवंबर 2020 से देश के बाहर प्रत्यक्ष कार्य योजना के लिए पीएम को पत्र जारी करेगी। एक राष्ट्र व्यापी आंदोलन कार्यक्रम के अनुसार चाक-चौबंद किया जाएगा। तो कृपया कम स्तरों से अधिक सदस्य बनाने के लिए अधिक सक्रिय रहें जो सफल हो सके, हमारा राष्ट्र व्यापी आंदोलन कार्यक्रम। 

हम एनएसी पश्चिम बंगाल अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। हर दिन हम न्यूनतम 5 प्रति दिन अपनी सदस्यता बढ़ा रहे हैं। कभी-कभी यह 40 तक भी चला जाता है। यदि कोई हमारी सदस्यता लेना चाहता है लेकिन पूर्ण सदस्यता (रु। 10 / प्रति माह या रु 120 / प्रति वर्ष) का भुगतान करने की स्थिति में है।

उस स्थिति में हम उन्हें एक विशेष मामले के रूप में मानते हैं (कमांडर सर के अनुरोध के अनुसार) केवल 1 वर्ष के लिए हमारी सदस्यता के लिए एक टोकन मनी के रूप में रु। 10 / -।

दोस्तों पैसा किसी एसोसिएशन का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं है। हमें अपने संगठन को और अधिक मजबूत बनाना होगा। सदस्य एक संगठन की वास्तविक ताकत हैं। 
 
हम अपनी एनएसी गतिविधियों में हर व्यक्ति की भागीदारी चाहते हैं। इस बार हमें देश से बाहर जाकर अधिक गहन आंदोलन कार्यक्रम बनाना है।
 
सादर धन्यवाद..
तपन दत्त।
स्टेट प्रेसिडेन्ट पच्छिम बंगाल 



PM Modi's Mann Ki Baat with the Nation, 27 September 2020 | मन की बात | प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरुरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। लेकिन, इतने लम्बे समय तक, एक साथ रहना, कैसे रहना, समय कैसे बिताना, हर पल खुशी भरी कैसे हो ? तो, कई परिवारों को दिक्कतें आईं और उसका कारण था, कि, जो हमारी परम्पराएं थी, जो परिवार में एक प्रकार से संस्कार सरिता के रूप में चलती थी, उसकी कमी महसूस हो रही है, ऐसा लग रहा है, कि, बहुत से परिवार है जहाँ से ये सब कुछ खत्म हो चुका है, और, इसके कारण, उस कमी के रहते हुए, इस संकट के काल को बिताना भी परिवारों के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया, और, उसमें एक महत्वपूर्ण बात क्या थी? हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। हमें, जरुर एहसास हुआ होगा, कि, हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो, आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है। ऐसी ही एक विधा जैसा मैंने कहा, कहानी सुनाने की कला story telling। साथियो, कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता।


‘where there is a soul there is a story’

कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें। मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक (A wandering ascetic) के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गाँव, नए लोग, नए परिवार, लेकिन, जब मैं परिवारों में जाता था, तो, मैं, बच्चों से जरुर बात करता था और कभी-कभी बच्चों को कहता था, कि, चलो भई, मुझे, कोई कहानी सुनाओ, तो मैं हैरान था, बच्चे मुझे कहते थे, नहीं uncle, कहानी नहीं, हम, चुटकुला सुनायेंगे, और मुझे भी, वो, यही कहते थे, कि, uncle आप हमें चुटकुला सुनाओ यानि उनको कहानी से कोई परिचय ही नहीं था। ज्यादातर, उनकी जिंदगी चुटकुलों में समाहित हो गई थी।

साथियो, भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी है, जहाँ, हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, जहाँ, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। हमारे यहाँ कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियाँ कहने की प्राचीन पद्धति है। इसमें ‘कताकालक्षेवम्’ भी शामिल रहा। हमारे यहाँ तरह-तरह की लोक-कथाएं प्रचलित हैं। तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है। इसे ‘विल्लू पाट्’ कहा जाता है। इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है। भारत में कठपुतली की जीवन्त परम्परा भी रही है। इन दिनों science और science fiction से जुड़ी कहानियाँ एवं कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है। मैं देख रहा हूँ कि कई लोग किस्सागोई की कला को आगे बढाने के लिए सराहनीय पहल कर रहे हैं। मुझे gaathastory.in जैसी website के बारे में जानकारी मिली, जिसे, अमर व्यास, बाकी लोगों के साथ मिलकर चलाते हैं। अमर व्यास, IIM अहमदाबाद से MBA करने के बाद विदेशों में चले गए, फिर वापिस आए। इस समय बेंगलुरु में रहते हैं और समय निकालकर कहानियों से जुड़ा, इस प्रकार का, रोचक कार्य कर रहे है। कई ऐसे प्रयास भी हैं जो ग्रामीण भारत की कहानियों को खूब प्रचलित कर रहे हैं। वैशाली व्यवहारे देशपांडे जैसे कई लोग हैं जो इसे मराठी में भी लोकप्रिय बना रहे हैं।

 

चेन्नई की श्रीविद्या वीर राघवन भी हमारी संस्कृति से जुड़ी कहानियों को प्रचारित, प्रसारित, करने में जुटी है, वहीँ, कथालय और The Indian story telling network नाम की दो website भी इस क्षेत्र में जबरदस्त कार्य कर रही हैं। गीता रामानुजन ने kathalaya.org में कहानियों को केन्द्रित किया है, वहीँ, The Indian story telling network के ज़रिये भी अलग-अलग शहरों के story tellers का network तैयार किया जा रहा है I बेंगलुरु में एक विक्रम श्रीधर हैं, जो बापू से जुड़ी कहानियों को लेकर बहुत उत्साहित हैं। और भी कई लोग, इस क्षेत्र में, काम कर रहे होंगे - आप ज़रूर उनके बारे में Social media पर शेयर करेंI

आज हमारे साथ बेंगलुरु Story telling society की बहन Aparna Athreya और अन्य सदस्य जुड़े हैं। आईये, उन्हीं से बात करते हैं और जानते हैं उनके अनुभव।

प्रधानमंत्री:- हेलो

Aparna :- नमस्कार आदरणीय प्रधानमंत्री जी। कैसे हैं आप ?

प्रधानमंत्री :- मैं ठीक हूँ। आप कैसी है Aparna जी ?

Aparna :- बिल्कुल बढ़िया सर जी। सबसे पहले मैं Bangalore Story Telling Society की ओर से धन्यवाद देना चाहती हूँ कि आपने हमारे जैसे कलाकारों को इस मंच पर बुलाया है और बात कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री:- और मैंने सुना है कि आज तो शायद आप की पूरी टीम भी आपके साथ बैठी हुई है।

Aparna :- जी... जी बिल्कुल। बिल्कुल सर।

प्रधानमंत्री :- तो अच्छा होगा की आप की टीम का परिचय करवा दें| ताकि ‘मन की बात’ के जो श्रोता हैं उनको परिचय हो जाए कि आप लोग कैसा बड़ा अभियान चला रहे है।

Aparna:- सर। मैं Aparna Athreya हूँ, मैं दो बच्चों की माँ हूँ, एक भारतीय वायुसेना के अफसर की बीवी हूँ और एक passionate storyteller हूँ सर। Storytelling की शुरुआत 15 साल पहले हुई थी जब मैं software industry में काम कर रही थी। तब मैं CSR projects में voluntary काम करने के लिए जब गई थी तब हजारों बच्चों को कहानियों के माध्यम से शिक्षा देने का मौका मिला और ये कहानी जो मैं बता रही थी वो अपनी दादी माँ से सुनी थी। लेकिन जब कहानी सुनते वक़्त मैंने जो ख़ुशी उन बच्चों में देखी, मैं क्या बोलू आपको कितनी मुस्कराहट थी, कितनी ख़ुशी थी तो उसी समय मैंने तय किया कि Storytelling मेरे जीवन का एक लक्ष्य होगा, सर।


प्रधानमंत्री:- आपकी टीम में और कौन है वहाँ ?

Aparna:- मेरे साथ हैं, शैलजा संपत।

शैलजा:- नमस्कार सर।

प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी।

शैलजा:- मैं शैलजा संपत बात कर रही हूँ। मैं तो पहले teacher थी, उसके बाद जब मेरे बच्चे बड़े हुए तब मैंने theatre में काम शुरू किया और finally कहानियों को सुनाने में सबसे ज्यादा संतृप्ति मिला। प्रधानमंत्री:- धन्यवाद !

शैलजा:- मेरे साथ सौम्या है।

सौम्या:- नमस्कार सर !

प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी !

सौम्या:- मैं हूँ सौम्या श्रीनिवासन। मैं एक psychologist हूँ। मैं जब काम करती हूँ, बच्चे और बड़े लोगों के साथ उसमें मैं कहानियों के द्वारा मनुष्य के नवरसाओं को जगाने में कोशिश करती हूँ और उसके साथ चर्चा भी करती हूँ। ये मेरा लक्ष्य है – ‘Healing and transformative storytelling’।

Aparna:- नमस्ते सर !

प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी।

Aparna: मेरा नाम Aparna जयशंकर है। वैसे तो मेरा सौभाग्य है कि मैं अपनी नाना-नानी और दादी के साथ इस देश के विभिन्न भागों में पली हूँ इसलिए रामायण, पुराणों और गीता की कहानियाँ मुझे विरासत में हर रात को मिलती थी और Bangalore Storytelling Society जैसी संस्था है तो मुझे तो storyteller बनना ही था। मेरे साथ मेरी साथी लावण्या प्रसाद है।

प्रधानमंत्री:- लावण्या जी, नमस्ते !


लावण्या:- नमस्ते, सर ! I am an Electrical Engineer turned professional storyteller. Sir, I grew up listening to stories from my grandfather. I work with senior citizens. In my special project called ‘Roots’ where I help them document their life stories for their families.

प्रधानमंत्री:- लावण्या जी आपको बहुत बधाई। और जैसा आपने कहा मैंने भी एक बार ‘मन की बात’ में सबको कहा था कि आप परिवार में अपने दादा-दादी, नाना-नानी है तो, उनसे, उनकी बचपन की कहानियाँ पूछिए और उसको tape कर लीजिये, record कर के लीजिये बहुत काम आयेगा ये मैंने कहा था। लेकिन मुझे अच्छा लगा कि एक तो आप सबने जो परिचय दिया अपना उसमें भी आपकी कला, आपकी communication skill और बहुत ही कम शब्दों में बहुत ही बढ़िया ढंग से आपने अपना परिचय करवाया इसलिए भी मैं आपको बधाई देता हूँ।

लावण्या:- Thank you sir! Thank you !

अब जो हमारे श्रोता लोग हैं ‘मन की बात’ के उनका भी मन करता होगा कहानी सुनने का। क्या मैं आपको request कर सकता हूँ एक-दो कहानी सुनाएँ आप लोग?

समूह स्वर: जी बिल्कुल, ये तो हमारा सौभाग्य है जी।

“चलिए चलिए सुनते हैं कहानी एक राजा की । राजा का नाम था कृष्ण देव राय और राज्य का नाम था विजयनगर । अब राजा हमारे थे तो बड़े गुणवान । अगर उनमें कोई खोट बताना ही था, तो वह था अधिक प्रेम अपने मंत्री तेनाली रामा की ओर और दूसरा भोजन की ओर। राजा जी हर दिन दोपहर के भोजन के लिए बड़े आस से बैठते थे - कि आज कुछ अच्छा बना होगा और हर दिन उनके बावर्ची उन्हें वही बेजान सब्जियाँ खिलाते थे - तुरई, लौकी, कददू, टिंडा उफ़। ऐसे ही एक दिन राजा ने खाते खाते गुस्से में थाली फ़ेंक दिया और अपने बावर्ची को आदेश दिया या तो कल कोई दूसरी स्वादिष्ट सब्ज़ी बनाना या फिर कल मैं तुम्हें सूली पे चढ़ा दूंगा । बावर्ची, बिचारा, डर गया। अब नयी सब्ज़ी के लिए वह कहाँ जाये । बावर्ची भागा भागा चला सीधे तेनाली रामा के पास और उसे पूरी कहानी सुनाई । सुनकर तेनाली रामा ने बावर्ची को उपाय दिया । अगले दिन राजा दोपहर के भोजन के लिए आये और बावर्ची को आवाज़ दिया । आज कुछ नया स्वादिष्ट बना है या मैं सूली तैयार कर दूँ । डरे हुए बावर्ची ने झट पट से थाली सजाया और राजा के लिए गरमा-गर्म खाना परोसा । थाली में नयी सब्जी थी । राजा उत्साहित हुए और थोड़ी सी सब्ज़ी चखी । ऊंह वाह ! क्या सब्जी थी ! न तुरई की तरह फीकी थी न कददू की तरह मीठी थी । बावर्ची ने जो भी मसाला भून के, कूट के, डाला था, सब अच्छी तरह से चढ़ी थी ।


उंगलिया चाटते हुए संतुष्ट राजा ने बावर्ची को बुलाया और पुछा कि यह कौन सी सब्ज़ी हैं ? इसका नाम क्या हैं ? जैसे सिखाया गया था वैसे ही बावर्ची ने उत्तर दिया । महाराज, ये मुकुटधारी बैंगन है । प्रभु, ठीक आप ही की तरह यह भी सब्जियों का राजा है और इसीलिए बाकी सब्ज़ियों ने बैंगन को मुकुट पहनाया । राजा खुश हुए और घोषित किये आज से हम यही मुकुटधारी बैंगन खाएंगे ! और सिर्फ हम ही नहीं, हमारे राज्य में भी, सिर्फ बैंगन ही बनेगा और कोई सब्ज़ी नहीं बनेगी। राजा और प्रजा दोनों खुश थे । यानि पहले-पहले तो सब खुश थे कि उन्हें नई सब्जी मिली है, लेकिन जैसे ही दिन बढ़ते गये सुर थोड़ा कम होता गया । एक घर में बैंगन भरता तो दूसरे के घर में बैगन भाजा । एक के यहाँ कत्ते का सांभर तो दूसरे के यहाँ वांगी भात । एक ही बैंगन बिचारा कितना रूप धारण करे । धीरे-धीरे राजा भी तंग आ गए । हर दिन वही बैगन ! और एक दिन ऐसा आया कि राजा ने बावर्ची को बुलाया और खूब डांटा । तुमसे किसने कहा कि बैंगन के सर में मुकुट है । इस राज्य में अब से कोई बैगन नहीं खायेगा । कल से बाकी कोई भी सब्ज़ी बनाना, लेकिन बैंगन मत बनाना । जैसी आपकी आज्ञा, महाराज कहके बावर्ची सीधा गया तेनाली रामा के पास । तेनाली रामा के पाँव पड़ते हुए कहा कि मंत्री जी, धन्यवाद, आपने हमारी प्राण बचा ली । आपके सुझाव की वजह से अब हम कोई भी सब्जी राजा जी को खिला सकते हैं। तेनाली रामा हॅसते हुए कहाँ, वो मंत्री ही क्या, जो, राजा को खुश न रख सके। और इसी तरह राजा कृष्णदेवराय और मंत्री तेनाली रामा की कहानियाँ बनती रही और लोग सुनते रहे ! धन्यवाद।

प्रधानमंत्री: आपने, बात में, इतनी exactness थी, इतनी बारीकियों को पकड़ा था मैं समझता हूँ बच्चे, बड़े जो भी सुनेंगे कई चीजों का स्मरण रखेंगे। बहुत बढ़िया ढंग से आपने बताया और विशेष coincidence ऐसा है कि देश में पोषण माह चल रहा है, और, आप की कथा भोजन से जुड़ी हुई है।

महिला: जी

प्रधानमंत्री: और, मैं जरुर, ये जो story tellers आप लोग हैं व और भी लोग हैं। हमें किस प्रकार से हमारे देश की नई पीढ़ी को हमारे महान महापुरुष, महान माताएं-बहनें जो हो गई हैं। कथाओं के माध्यम से उनके साथ कैसे जुड़ा जाए। हम कथा-शास्त्र को और अधिक कैसे प्रचारित करें, popular करें, और, हर घर में अच्छी कथा कहना, अच्छी कथा बच्चों को सुनाना, ये जन-जीवन की बहुत बड़ी credit हो। ये वातावरण कैसे बनाएं, उस दिशा में हम सबने मिल करके काम करना चाहिए, लेकिन, मुझे, बहुत अच्छा लगा आप लोगों से बात करके, और मैं, आप सब को बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। धन्यवाद।

समूह स्वर: धन्यवाद सर।

कहानी के द्वारा, संस्कार सरिता को आगे बढ़ाने वाली इन बहनों को हमने सुना। मैं, जब उनसे फोन पर बात कर रहा था, इतनी लम्बी बात थी, तो, मुझे लगा कि ‘मन की बात’ के समय की सीमा है, तो, मेरी उनसे जो बातें हुई है, वो सारी बातें, मैं, मेरे NarendraModiApp पर upload करूँगा - पूरी कथाएँ, ज़रूर वहाँ सुनिए। अभी, ‘मन की बात’ में तो, मैंने, उसका बहुत छोटा सा अंश ही आपके सामने प्रस्तुत किया है। मैं, ज़रूर आपसे आग्रह करूँगा, परिवार में, हर सप्ताह, आप, कहानियों के लिए कुछ समय निकालिए, और ये भी कर सकते हैं कि परिवार के हर सदस्य को, हर सप्ताह के लिए, एक विषय तय करें, जैसे, मान लो करुणा है, संवेदनशीलता है, पराक्रम है, त्याग है, शौर्य है - कोई एक भाव और परिवार के सभी सदस्य, उस सप्ताह, एक ही विषय पर, सब के सब लोग कहानी ढूँढेंगे और परिवार के सब मिल करके एक-एक कहानी कहेंगे।

आप देखिये, कि, परिवार में कितना बड़ा खजाना हो जाएगा, Research का कितना बढ़िया काम हो जाएगा, हर किसी को कितना आनन्द आएगा और परिवार में एक नयी प्राण, नयी उर्जा आएगी - उसी प्रकार से हम एक काम और भी कर सकते हैं। मैं, कथा सुनाने वाले, सबसे, आग्रह करूँगा, हम, आज़ादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं! विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब, हमारी नयी पीढ़ी को, कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं। मुझे विश्वास है कि आप लोग ज़रूर इस काम को करेंगे। कहानी कहने की ये कला देश में और अधिक मजबूत बनें, और अधिक प्रचारित हो और सहज बने, इसलिए, आओ हम सब प्रयास करे। 


मेरे प्यारे देशवासियो, आईये, कहानियों की दुनिया से अब हम सात समुन्द्र पार चलते हैं, ये आवाज़ सुनिए!

“नमस्ते, भाइयो और बहनों, मेरा नाम सेदू देमबेले है। मैं West Africa के एक देश माली से हूँ। मुझे फरवरी में भारत में visit पे सबसे बड़े धार्मिक त्यौहार कुम्भ मेला में शामिल होने का अवसर मिला। मेरे लिए ये बहुत ज्यादा गर्व की बात है। मुझे कुम्भ मेला में शामिल होकर बहुत अच्छा लगा और भारत के culture को देखकर बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं विनती करना चाहता हूँ, कि, हम लोगों को एक बार फिर भारत visit करने का अवसर दिया जाए, ताकि हम और, भारत के बारे में, सीख सकें। नमस्ते।” 

प्रधानमंत्री: है न मज़ेदार, तो ये थे माली के सेदू देमबेले। माली, भारत से दूर, पश्चिम अफ्रिका का एक बड़ा और Land Locked देश है। सेदू देमबेले, माली के एक शहर, Kita के एक पब्लिक स्कूल में शिक्षक हैं, वे, बच्चों को English, Music और Painting, drawing पढ़ाते हैं, सिखाते हैं। लेकिन उनकी एक और पहचान भी है - लोग उन्हें माली के हिंदुस्तान का बाबू कहते हैं, और, उन्हें ऐसा कहलाने में बहुत गर्व की अनुभूति होती है। प्रत्येक रविवार को दोपहर बाद वे माली में एक घंटे का रेडियो कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, इस कार्यक्रम का नाम है Indian frequency on Bollywood songs। इसे वे पिछले 23 वर्षों से प्रस्तुत करते आ रहे हैं। इस कार्यक्रम के दौरान वे French के साथ-साथ माली की लोकभाषा ‘बमबारा’ में भी अपनी commentary करते हैं और बड़े नाटकीय ढ़ंग से करते हैं। भारत के प्रति उनके मन में अगाध प्रेम है। भारत से उनके गहरे जुड़ाव की एक और वजह ये भी है, कि, उनका जन्म भी 15 अगस्त को हुआ था I सेदू जी ने दो घंटे का एक और कार्यक्रम अब प्रत्येक रविवार रात 9 बजे शुरू किया है, इसमें वे बॉलीवुड की एक पूरी फिल्म की कहानी French और बमबारा में सुनाते हैं। कभी-कभी किसी emotional scene के बारे में बात करते समय वे स्वयं भी, और उनके श्रोता भी, एक-साथ रो पड़ते हैं। सेदू जी के पिता ने ही भारतीय संस्कृति से उनकी पहचान करवाई थी। उनके पिता, cinema, theatre में काम करते थे और वहाँ भारतीय फ़िल्में भी दिखाई जाती थी। इस 15 अगस्त को उन्होंने हिंदी में एक video के माध्यम से भारत के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी थी। आज, उनके बच्चे भारत का राष्ट्रगान आसानी से गाते हैं। आप, ये दोनों video ज़रूर देखें और उनके भारत प्रेम को महसूस करें। सेदू जी ने जब कुम्भ का दौरा किया था और उस समय वे उस delegation का हिस्सा थे, जिससे मैं मिला था, भारत के लिए उनका, इस प्रकार का जूनून, स्नेह और प्यार वाकई हम सब के लिए गर्व की बात है।


मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहाँ कहा जाता है, जो, ज़मीन से जितना जुड़ा होता है, वो, बड़े-से-बड़े तूफानों में भी उतना ही अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं। संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमख़म दिखाया है। साथियो, देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गाँव, आत्मनिर्भर भारत का आधार है। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियाँ मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है। जो मैंने उन से सुना है, जो मैंने औरों से सुना है, मेरा मन करता है, आज ‘मन की बात’ में उन किसानों की कुछ बातें जरूर आप को बताऊँ। हरियाणा के सोनीपत जिले के हमारे एक किसान भाई रहते हैं उनका नाम हैं श्री कंवर चौहान। उन्होंने बताया है कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियाँ बेचने में बहुत दिक्कत आती थी। अगर वो मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियाँ बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियाँ तक जब्त हो जाती थी। लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ। चार साल पहले, उन्होंने, अपने गाँव के साथी किसानों के साथ मिलकर एक किसान उत्पादक समूह की स्थापना की। आज, गाँव के किसान Sweet Corn और baby Corn की खेती करते हैं। उनके उत्पाद, आज, दिल्ली की आजादपुर मंडी, बड़ी Retail Chain तथा Five Star होटलों में सीधे supply हो रहे हैं। आज, गाँव के किसान sweet corn और baby corn की खेती से, ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इसी गाँव के 60 से अधिक किसान, net house बनाकर, Poly House बनाकर, टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, इसकी, अलग-अलग variety का उत्पादन करके, हर साल प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रूपये तक की कमाई कर रहें हैं। जानते हैं, इन किसानों के पास क्या अलग है! अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है। अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। फल-सब्जियों के लिए ही नहीं, अपने खेत में, वो जो पैदा कर रहें हैं - धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जो उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार, जहाँ ज्यादा दाम मिले, वहीँ पर, बेचने की, अब, उनको आज़ादी मिल गई है।

साथियो, तीन–चार साल पहले ही, महाराष्ट्र में, फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली, इसका उदाहरण हैं, Sri Swami Samarth Farmer’s producer company limited - ये किसानों का समूह है। पुणे और मुंबई में किसान साप्ताहिक बाज़ार खुद चला रहे हैं। इन बाज़ारों में, लगभग 70 गाँवों के, साढ़े चार हज़ार किसानों का उत्पाद, सीधे बेचा जाता है - कोई बिचौलिया नहीं। ग्रामीण-युवा, सीधे बाज़ार में, खेती और बिक्री की प्रक्रिया में शामिल होते हैं - इसका सीधा लाभ किसानों को होता है, गाँव के नौजवानों को रोजगार में होता है।


एक और उदाहरण, तमिलनाडु के थेनि जिले का है, यहाँ पर है तमिलनाडु केला farmer produce company, ये farmer produce company कहने को तो company है, हकीकत में, ये, किसानों ने मिल करके अपना एक समूह बनाया है। बड़ा लचीली व्यवस्था है, और वो भी पांच–छ: साल पहले बनाया है। इस किसान समूह ने lockdown के दौरान आसपास के गाँवों से सैकड़ों metric tonne सब्जियाँ, फलों और केले की खरीद की, और, Chennai शहर को, सब्जी combo kit दिया। आप सोचिये, कितने नौजवानों को उन्होंने रोजगार दिया, और मज़ा ये है, कि, बिचौलियोँ ना होने के कारण, किसान को भी लाभ हुआ, और, उपभोक्ता को भी लाभ हुआ। ऐसा ही एक लखनऊ का, किसानों का समूह है। उन्होंने, नाम रखा है ‘इरादा फार्मर प्रोडयूसर’ इन्होंने भी, lockdown के दौरान किसानों के खेतों से, सीधे, फल और सब्जियाँ ली, और, सीधे जा करके, लखनऊ के बाज़ारों में बेची - बिचौलियों से मुक्ति हो गई और मन चाहे उतने दाम उन्होंने प्राप्त किये। साथियो, गुजरात में बनासकांठा के रामपुरा गाँव में इस्माइल भाई करके एक किसान है। उनकी कहानी भी बहुत दिलचस्प है। इस्माइल भाई खेती करना चाहते थे, लेकिन, अब, जैसे ज्यादातर सोच बन गई है, उनके परिवार को भी लगता था कि इस्माइल भाई ये कैसी बात कर रहे हैं। इस्माइल भाई के पिता खेती करते थे, लेकिन, इसमें उनको अक्सर नुकसान ही होता था। तो पिताजी ने मना भी किया, लेकिन, परिवार वालों के मना करने के बावजूद इस्माइल भाई ने तय किया कि वो तो खेती ही करेंगे। इस्माइल भाई ने सोच लिया था, कि खेती घाटे का सौदा है, वो, ये सोच, और स्थिति, दोनों को, बदलकर दिखायेंगे। उन्होंने, खेती शुरु की, लेकिन, नये तरीकों से, innovative तरीके से। उन्होंने, drip से सिंचाई करके, आलू की खेती शुरू की, और आज, उनके आलू, एक पहचान बन गए हैं। वो, ऐसे आलू उगा रहें हैं, जिनकी quality बहुत ही अच्छी होती है। इस्माइल भाई, ये आलू, सीधे, बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेचते हैं, बिचौलियों का नामों-निशान नहीं, और परिणाम - अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अब तो उन्होंने, अपने पिता का सारा कर्जा भी चुका दिया है और सबसे बड़ी बात जानते हैं! इस्माइल भाई, आज, अपने इलाके के सैंकड़ों और किसानों की भी मदद कर रहे हैं। उनकी भी ज़िंदगी बदल रहे हैं।

साथियो, आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही, वो, आगे बढ़ेगी, उसमें नये-नये तौर-तरीके आयेंगे, नये innovations जुड़ेंगे। मणिपुर की रहने वाली बिजयशान्ति एक नये innovation के चलते ख़ूब चर्चा में है, उन्होंने कमल की नाल से धागा बनाने का start up शुरू किया है। आज, उनके innovation के चलते कमल की खेती और textile में एक नया ही रास्ता बन गया है। 

मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आपको अतीत के एक हिस्से में ले जाना चाहता हूँ। एक-सौ-एक साल पुरानी बात है। 1919 का साल था। अंग्रेजी हुकूमत ने जलियांवाला बाग़ में निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया था। इस नरसंहार के बाद एक बारह साल का लड़का उस घटनास्थल पर गया। वह खुशमिज़ाज और चंचल बालक, लेकिन, उसने जलियांवाला बाग में जो देखा, वह उसकी सोच के परे था। वह स्तब्ध था, यह सोचकर कि कोई भी इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। वह मासूम गुस्से की आग में जलने लगा था। उसी जलियांवाला बाग़ में उसने अंग्रेजी शासन के खिलाफ़ लड़ने की कसम खायी। क्या आपको पता चला कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ? हाँ! मैं, शहीद वीर भगतसिंह की बात कर रहा हूँ। कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगतसिंह की जयन्ती मनायेंगे। मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूँ। क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, इसके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। इतनी ताकतवर हुकूमत, एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गयी थी। शहीद भगतसिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे, चिन्तक थे। अपने जीवन की चिंता किये बगैर भगतसिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान रहा। शहीद वीर भगतसिंह के जीवन का एक और खूबसूरत पहलू यह है कि वे team work के महत्व को बख़ूबी समझते थे। लाला लाजपतराय के प्रति उनका समर्पण हो या फिर चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु समेत क्रांतिकारियों के साथ उनका जुड़ाव, उनके लिये, कभी व्यक्तिगत गौरव, महत्वपूर्ण नहीं रहा। वे जब तक जिए, सिर्फ एक mission के लिए जिए और उसी के लिये उन्होंने अपना बलिदान दे दिया - वह mission था भारत को अन्याय और अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाना। मैंने NaMoApp पर हैदराबाद के अजय एस. जी का एक comment पढ़ा। अजय जी लिखते हैं - आज के युवा कैसे भगत सिंह जैसे बन सकते हैं ? देखिये! हम भगत सिंह बन पायें या ना बन पायें, लेकिन, भगत सिंह जैसा देश प्रेम, देश के लिये कुछ कर-गुजरने का ज़ज्बा, जरुर, हम सबके दिलों में हो। शहीद भगत सिंह को यही हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। चार साल पहले, लगभग यही समय था, जब, surgical strike के दौरान दुनिया ने हमारे जवानों के साहस, शौर्य और निर्भीकता को देखा था। हमारे बहादुर सैनिकों का एक ही मकसद और एक ही लक्ष्य था, हर कीमत पर, भारत माँ के गौरव और सम्मान की रक्षा करना। उन्होंने, अपनी ज़िंदगी की जरा भी परवाह नहीं की। वे, अपने कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ते गए और हम सबने देखा कि किस प्रकार वे विजयी होकर के सामने आये। भारत माता का गौरव बढ़ाया।


मेरे प्यारे देशवासियो, आने वाले दिनों में हम देशवासी, कई महान लोगों को याद करेंगे, जिनका, भारत के निर्माण में अमिट योगदान है। 02 अक्टूबर हम सबके लिए पवित्र और प्रेरक दिवस होता है। यह दिन माँ भारती के दो सपूतों, महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिन है। 

पूज्य बापू के विचार और आदर्श आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं, महात्मा गाँधी का जो आर्थिक चिन्तन था, अगर उस spirit को पकड़ा गया होता, समझा गया होता, उस रास्ते पर चला गया होता, तो, आज आत्मनिर्भर भारत अभियान की जरूरत ही नहीं पड़ती। गाँधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी, भारत की खुशबू थी। पूज्य बापू का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम ये सुनिश्चित करें कि हमारा हर कार्य ऐसा हो, जिससे, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति का भला हो। वहीं, शास्त्री जी का जीवन, हमें, विनम्रता और सादगी का संदेश देता है। 11 अक्टूबर का दिन भी हमारे लिए बहुत ही विशेष होता है। इस दिन हम भारत रत्न लोक नायक जय प्रकाश जी को’ उनकी जयंती पर स्मरण करते हैं। जे० पी० ने हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है। हम, भारत रत्न नानाजी देशमुख को भी याद करते हैं, जिनकी जयंती भी, 11 तारीख को ही है। नानाजी देशमुख, जय प्रकाश नारायण जी के बहुत निकट साथी थे। जब, जे० पी० भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग लड़ रहे थे, तो, पटना में उन पर प्राणघातक हमला किया गया था। तब, नानाजी देशमुख ने, वो वार, अपने ऊपर ले लिया था। इस हमले में नानाजी को काफ़ी चोट आई थी, लेकिन, जे० पी० का जीवन बचाने में वो कामयाब रहे थे। इस 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की भी जयंती है, उन्होंने, अपना पूरा जीवन, लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। वे, एक राज परिवार से थीं, उनके पास संपत्ति, शक्ति, और दूसरे संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन फिर भी उन्होंने, अपना जीवन, एक माँ की तरह, वात्सल्य भाव से, जन-सेवा के लिए खपा दिया। उनका ह्रदय बहुत उदार था। इस 12 अक्टूबर को उनके जन्म शताब्दी वर्ष के समारोह का समापन दिवस होगा, और, आज जब मैं, राजमाता जी की बात कर रहा हूँ, तो, मुझे, भी एक बहुत ही भावुक घटना याद आती है। वैसे तो, उनके साथ बहुत सालों तक काम करने का मौका मिला, कई घटना हैं। लेकिन, मेरा मन करता है, आज, एक घटना का जरूर जिक्र करूं। कन्याकुमारी से कश्मीर, हम एकता यात्रा लेकर निकले थे। डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी के नेतृत्व मे यात्रा चल रही थी। दिसम्बर, जनवरी कड़ाके के ठण्ड के दिन थे। हम रात को करीब बारह-एक बजे, मध्य प्रदेश, ग्वालियर के पास शिवपुरी पहुँचे, निवास स्थान पर जा करके, क्योंकि, दिन-भर की थकान होती थी, नहा-धोकर के सोते थे, और, सुबह की तैयारी कर लेते थे। करीब, 2 बजे होंगें, मैं, नहा-धोकर के सोने की तैयारी कर रहा था, तो, दरवाजा किसी ने खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला तो राजमाता साहब सामने खड़ी थी। कड़ाके की ठण्ड के दिन और राजमाता साहब को देखकर के मैं हैरान था। मैंने माँ को प्रणाम किया, मैंने कहा, माँ आधी रात में! बोले, कि, नहीं बेटा, आप, ऐसा करो, मोदी जी दूध पी लीजिए ये गर्म दूध पीकर के ही सो जाइए। हल्दी वाला दूध खुद लेकर के आईं। हाँ, लेकिन जब, दूसरे दिन मैंने देखा, वो, सिर्फ मुझे ही नहीं, हमारी यात्रा की व्यवस्था में, जो 30-40 लोग थे, उसमें ड्राइवर भी थे, और भी कार्यकर्ता थे, हर एक के कमरे में जाकर के, खुद ने रात को 2 बजे सबको दूध पिलाया। माँ का प्यार क्या होता है, वात्सल्य क्या होता है, उस घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ। यह हमारा सौभाग्य है कि ऐसे महान विभूतियों ने हमारी धरती को, अपने त्याग और तपस्या से सींचा है। आईये, हम सब मिल करके, एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जिस पर, इन महापुरुषों को गर्व की अनुभूति हो। उनके सपने को अपने संकल्प बनाएं। 

मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के इस कालखंड में, मैं, फिर एक बार आपको याद कराऊंगा, mask अवश्य रखें, face cover के बिना बाहर ना जाएँ। दो गज की दूरी का नियम, आपको भी बचा सकता है, आपके परिवार को भी बचा सकता है। ये कुछ नियम हैं, इस कोरोना की ख़िलाफ, लड़ाई के हथियार हैं, हर नागरिक के जीवन को बचाने के मजबूत साधन हैं। और, हम ना भूलें, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढ़िलाई नहीं। आप स्वस्थ रहें, आपका परिवार स्वस्थ रहे, इसी शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत धन्यवाद। नमस्कार। 




EPS 5 PENSIONERS | A VOICE OF EPS 95 PENSIONER FOR EPS 95 PENSION HIKE, 65 लाख पेंशनधारकों के लिए जरुरी जानकारी

जैसा की सभी ईपीएस 95 पेंशनधारक जानते की ईपीएस 95 के तहत मिलाने वाली पेंशन बढ़ोतरी की सभी ईपीएस 95 पेंशनधारको द्वारा की जा रही है, पर अभी तक पेंशन बढ़ोतरी नहीं हुई है और ईपीएस 95 पेंशन बढ़ोतरी के प्रयास जारी है। इसी बिच पेंशनधारकों द्वारा आवाज उठाई जा रही है। आज इस आर्टिकल में ऐसे ही एक आदरणीय ईपीएस 95 पेंशनधारक जिनका नाम है वेणुगोपालन टी उनके द्वारा जो आवाज उठाई गई है तो उसी के बारे में जानने वाले है।

 

माननीय वेणुगोपालन टी द्वारा लिख गया है..... 

संयोग से मैं एक ईपीएफ पेंशनभोगी हूं जो केंद्रीय पीएसयू से 20 साल की सेवा प्रदान करने के बाद 50 साल की उम्र में सेवा छोड़ रहा है और 20 साल बाद भी मेरी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद प्रति माह न्यूनतम 1000 तय किए गए पैलेट्री रु.831 ड्राइंग है।

सौभाग्य से मैं अपने ईपीएफ पेंशन पर निर्भर नहीं हूं क्योंकि मुझे अन्य स्रोतों और मेरे पेशे से आय है। लेकिन मैं यह देखता हूं कि कई कर्मचारियों को 2003 तक मेरे संचय को छोड़ दिया गया है, जिसमें सेवानिवृत्ति के बाद 1000 प्रति माह तक ऐसे पेंशन पेंशन शामिल हैं, जो दोनों सिरों को पूरा करने के लिए अपने जीवन का संघर्ष कर रहे हैं, उनके सेवानिवृत्ति लाभ और ग्रेच्युटी और पेंशन राशि खर्च के लिए खर्च उनके घर के निर्माण, बच्चों की शिक्षा / विवाह या स्वयं, सहज या अन्य परिवार के सदस्यों के मेडिकल खर्चों के लिए..ये किसी भी ईएसआई या सीपीएसयू की अन्य चिकित्सा सुविधा द्वारा कवर नहीं किए गए हैं, जो हाल ही में 2007 से सेवानिवृत्त हुए गोरों ने किए और कुछ ने अपने लाभों में निवेश किया व्यापार लेकिन असफल रहे थे। 

 

पूर्व कर्मचारी पूरे भारत में असंगठित हैं। केरल राज्य के व्यक्ति जहाँ मैं भी असंगठित हैं और हम epf पेंशनरों के लिए किसी भी संगठन के सदस्य नहीं हैं। 

मुझे यह भी पता चलता है कि व्यक्तियों की समस्या 2003 से पहले सेवा छोड़ दी गई थी और जो 2003 tp 2014 के बीच में थे और 2014 के बाद के लोग अलग-अलग प्रतिष्ठानों के कर्मचारी हैं (जैसे हमारे) और अन्य को अलग से निपटाया जाना है।

प्रभावित व्यक्तियों में से कुछ अब वरिष्ठ वरिष्ठ नागरिक 80 वर्ष की आयु तक पहुँच रहे हैं और अन्य भी शारीरिक रूप से कठिन शारीरिक आंदोलन के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

हमारी श्रेणी के लिए जो मांग की जाती है वह डीए के साथ न्यूनतम 3000 प्रति माह की एक सभ्य पेंशन है जिसमें न्यूनतम 7500 पेंशन + डीए की सामान्य मांग के बावजूद 1000 की वर्तमान न्यूनतम पेंशन में वृद्धि है। 2003 - 2014 के बीच सेवानिवृत्त हुए योश को न्यूनतम वेतन के साथ अंतिम रूप से प्राप्त वास्तविक वेतन पर पेंशन मिलनी चाहिए।

 

यह सुझाव अनुमान पर आधारित है कि इस अवधि के दौरान वेतन आमतौर पर बढ़ाया गया था। 2014 के बाद वे 15000 से ऊपर के वास्तविक वेतन पर योगदान देने का विकल्प चुन सकते हैं और सरकार के कर्मचारियों और अन्य चयनित बैंक, सार्वजनिक क्षेत्रों की तुलना में एक सभ्य पेंशन प्राप्त कर सकते हैं। केरल राज्य में असहाय व्यक्तियों और वरिष्ठ नागरिकों को सामाजिक कल्याण पेंशन अब 1400 प्रति माह कर दी गई है। मैं समझता हूं कि किसी और राज्य में यह लगभग 2000 है।

तो क्या यह उचित नहीं है कि हम अपने EPF न्यूनतम पेंशन को 3000 तक तय करें, अगर हम किसी भी तरह का तनाव नहीं उठा रहे हैं, क्योंकि मैं समझता हूं कि epf fund में लगभग 5 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग इसके लिए किया जा सकता है और कई खातों में कोई दावेदार नहीं हैं । केरल उच्च न्यायालय ने आने वाले सभी मामलों में फैसले दिए हैं।

 

इससे पहले कि वे छूटे हुए प्रतिष्ठानों के लोगों सहित वास्तविक वेतन पर पेंशन का भुगतान करें और कुछ संगठनों ने इसे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के परिणाम के रूप में लागू किया है क्योंकि EPFO ​​और केंद्रीय सरकार ने SC के अनुकूल आदेशों की समीक्षा करके चुनौती दी है और इस मामले को खुली अदालत में ही सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद सुना जाएगा। ।

मैंने देखा है कि कुछ सांसदों ने इस मामले को ईमानदारी से उठाया है, जिनमें प्रेमचंद्रन भी शामिल हैं, जिन्होंने केरल को मुख्य भूमिका दी है। लेकिन फिर भी मुझे संदेह है कि वे पेंशनरों के सभी क्षेत्रों की समस्याओं के साथ नहीं हैं, हालांकि उन्होंने कुछ मुद्दों को संबोधित किया है।

मैं आशा करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि कोई व्यक्ति समस्या का सकारात्मक समाधान खोजने के लिए प्रभावी नेतृत्व करेगा। 

आदरणीय वेणुगोपालन टी कोच्चि