EPS 95 PENSION NEWS | EPS 95 HIGHER PENSION CASES HEARING DATE
हाल ही में EPS 95 पेंशनधारकों को अनिल कुमार नामदेव जी द्वारा जो स्वयं एक EPS 95 पेंशनधारक है, द्वारा आवाहन किया गया है। उन्होंने केरला उच्च न्यायलय द्वारा EPS 95 पेंशनधारकों के हक़ दिए अभीतक के फैसलों का सन्दर्भ देते हुए सभी EPS 95 पेंशनधारकों से कहाहै .........
एक PDF इन दिनों सोशल मीडिया में लहराया जा रहा है,जो केरला उच्च न्यायालय में पेंशनरों के पक्ष में दिये निर्णयों पर उक्त न्यायालय की फुल बेंच को कानूनी मुद्दों पर सलाह हेतु संदर्भित किया गया है। इसमें कुल 32 पन्ने हैं, पता नहीं कितने EPS 95 पेंशनधारकोंने इसे पढ़ा है और कितनों ने पढ़ा भी है कि नहीं।
Click to See Kerala High Court Order: Kerala High Order In For Allowing Higher Pension under EPS 95
ये विचारणीय है कि FCI के सेवनिवृतों सहित अनेक ऐसी संस्थानों के सेवनिवृतों को हायर पेंशन के लिये विभिन्न उच्च न्यायालयों सहित सर्वोच्च न्यायालय तक दौड़ लगाना पड़ रहा है, और ये सिलसिला एक दशक से भी अधिक समय से बद्दतसुर जारी है।
EPS 95 के पेंशनधारक जहाँ लाखों में हैं तो न्यायालयों से न्याय की गुहार लगाने वाली याचिकाओं की संख्या भी हजारों में है, लेकिन विपक्ष में केवल दो ही प्रतिवादी हैं, एक केंद्रीय सरकार और दूसरा EPFO, जिन्होंने कानून का सहारा ले कर, लाखों पेंशनधारकों को ऐसे सिलसिले में लगा रखा है, जिसका कोई ओर दिखाई दे रहा है न कोई छोर।
सरकार के पास एक ही जबाव है कि वो तब तक कुछ नहीं कर सकते जब तक न्यायलयों से लंबित मामलों का निराकरण नहीं हो जाता। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 4/10/2016 का अनुपालन भी कहीं कहीं किया गया है तो उसके लिये भी बहुत को काफी पापड़ बेलने पड़े हैं और न जाने उन्हें कितने पापड़ आगे भी बेलने पड़े।
आगे अनिल कुमार नामदेव जी कहते है सिर्फ एक ही मंतव्य था कि EPFO और सरकार तो अपनी रणनीतियों को तो बड़े ही सुनियोजित तरीकों से अंजाम देने में जुटी हुई है, और वो अब तक सफल भी दिखाई दे रहे है और, एक हम पेंशनर्स हैं कि आपस में कोई तालमेल ही नहीं बना पा रहे हैं, न व्यक्तिगत रूप से न सोशल मीडिया के माध्यमों से।
सबका लक्ष्य एक ही है पर संघर्ष का कानूनी रास्ता हो या अन्य कोई सब जुदा जुदा, कोई किसी से कुछ भी शेयर नहीं करना चाहता, कोई चर्चा नहीं करना चाहता, सब वकीलों और अपने ऐसे अग्रजनों के ऊपर छोड़ रखा है जो अपने अपने प्रकरणों के वास्तविक स्तिथि से अवगत कराना तो दूर पेशी की तारीख या तारीख पर हुई कार्यवाही तक को बताने से परहेज रखते नजर आते हैं।
आम पेंशनरों ने भी अब रुचि लेना लगभग छोड़ दिया है, वो भी न्याय की छोड़ अब जिन्दा जीते किस्मत की बात मानने लगे हैं। इतने असमर्थ जितना कि शायद वे पहले सेवा के दौरान कभी भी न रहे हों। कोई रास्ता इससे बाहर निकलने का किसी को ज्ञात हो तो कृपया दो शब्द जरूर कहें, सांत्वना में ही सहीं, कुछ तो शुकून मिलेगा, निराश होते हमारे हजारों मित्रों ऐसा सभी EPS 95 पेंशनधारकों को अनिल कुमार नामदेव जी द्वारा आवाहन किया गया है।
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