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Sunday, August 22, 2021

Good News For EPS 95 Pensioners: सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला और पेंशन की लिमिट ₹15000 से बढ़करहोगी पूरी सैलरी EPS 95 के तहत होगी कई गुना पेंशन बढ़ोतरी, मिलेगी 25000 रुपए तक पेंशन

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के लगभग 6.5 करोड़ सब्सक्राइबर्स के लिए बड़ी खबर है।  आपके पेंशन फंड की सीलिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 24 अगस्त को बड़ा फैसला हो सकता है।  मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है और लगातार सुनवाई चल रही है।  EPFO के सूत्रों की मानें तो सरकार ज्यादा से ज्यादा लोगों को PF के दायरे में लाना चाहती है।  मामला पेंशन के लिए 15000 रुपए की बेसिक सैलरी पर सीलिंग का है।  मौजूदा नियमों के मुताबिक, EPS पेंशन में 15000 रुपए की लिमिट है।  ऐसे में पेंशन फंड में हर महीने अधिकतम 1250 रुपए ही जमा हो सकते हैं।  कुल मिलाकर अगर सीलिंग पर फैसला होता है तो सीधे तौर पर बेसिक सैलरी की सीलिंग बढ़ जाएगी।  इसे 25000 रुपए किया जा सकता है।


बेसिक सैलरी की सीलिंग?

EPF कॉन्ट्रिब्यूशन के लिए इस वक्त 15000 रुपए बेसिक सैलरी की सीलिंग है।  इसे बढ़ाया जा सकता है।  अगर किसी व्यक्ति की बेसिक सैलरी 30000 रुपए है तो उस सैलरी पर उसका 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन प्रोविडेंट फंड (Provident Fund contribution) में जमा होता है।  इतना ही शेयर एम्प्लॉयर (Employer) के खाते से भी होता है।  लेकिन, एम्प्लॉयर के हिस्से को दो जगह जमा किया जाता है।  पहला- EPF और दूसरा- पेंशन (EPS)।


EPS 95 पेंशन कोष में सिर्फ 15000 रुपए का 8.33 % यानि 1250 रुपए जमा होते हैं

एम्प्लॉयर के 12 फीसदी हिस्से को भी 30000 रुपए की बेसिक सैलरी पर ही जमा होगा।  लेकिन, पेंशन फंड में बेसिक सैलरी की सीलिंग 15000 रुपए है।  लिमिट होने की वजह से बेसिक सैलरी (15000) का 8.33 फीसदी हिस्सा सिर्फ 1250 रुपए ही जमा होता है।  लिमिट बढ़ती है तो ये हिस्सा 25000 रुपए की सीमा पर तय हो सकता है। मतलब 2083 रुपए पेंशन फंड में जमा हो सकेंगे।

30000 रुपए के हिसाब से मौजूदा स्ट्रक्चर को समझें

बेसिक सैलरी- 30000 रुपए

कर्मचारी का कंट्रीब्यूशन- 12 फीसदी के हिसाब से 3600 रुपए

एम्प्लॉयर का कंट्रीब्यूशन-12 फीसदी का 3.67 फीसदी के हिसाब से 2350 रुपए

पेंशन में कंट्रीब्यूशन- 8.33 फीसदी के हिसाब से 1250 रुपए


सीलिंग बढ़ाने पर हो सकता है फैसला

EPFO के एक ट्रस्‍टी केई रघुनाथन के मुताबिक, मौजूदा वक्त में बेसिक सैलरी की सीलिंग 15 हजार रुपए है, जिसे बढ़ाकर 25 हजार रुपए तक करने का प्रस्ताव काफी पहले रखा जा चुका है।  सुप्रीम कोर्ट में अब इस मसले पर फैसला होना है।  अगर फैसला बढ़ाने पर आता है तो निश्चित तौर पर पेंशन की रकम में इजाफा होगा।  पेंशन फंड बढ़ने के अलावा दूसरा फायदा यह भी है कि बेसिक सैलरी सीलिंग के ऊपर जिन लोगों की सैलरी है, उनके लिए PF का कॉन्ट्रिब्यूशन वैकल्पिक होता है।  ऐसे में अब इस दायरे में ज्यादा लोग आ पाएंगे।

6.5 करोड़ लोगों को मिलेगा फायदा

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के रिटायर्ड एन्फोर्समेंट ऑफिसर भानु प्रताप शर्मा के मुताबिक, अगर यह फैसला होता है तो इसका फायदा 6.5 करोड़ EPFO सब्सक्राइबर्स को मिलेगा।  पहला ये कि ज्यादा लोग इसके दायरे में आएंगे और दूसरा एम्प्लॉयर का शेयर बढ़ेगा तो पेंशन फंड (Pension fund EPS) में भी इजाफा होगा।  हालांकि, अभी इस फैसले को अमल में लाने के लिए समय लग सकता है।

यूनिवर्सल मिनिमम वेज का फॉर्मूला

सूत्रों की मानें तो सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (CBT) के मेंबर्स Pension fund पर लगी लिमिट को बढ़ाने के पक्ष में हैं।  इसके पीछे दो तरह की दलील हैं।  पहला- देश भर में जो यूनिवर्सल मिनिमम वेज (Universal Minimum Wage) का फॉर्मूला लागू किया जाना है, उसमें सैलरी 18 हजार रुपए के करीब निर्धारित की जा सकती है।  ऐस में जो मौजूदा सैलरी सीलिंग है, उसमें बढ़ोतरी करने की जरूरत है।  इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को EPFO में लाने में मदद मिलेगी और सोशल सिक्योरिटी बढ़ेगी।



Wednesday, July 14, 2021

Good News For 67 Lakh EPS 95 Pensioners: लोकसभा के आगामी मानसून सत्र में EPS 95 पेंशन को 7500 बढोतरी समेत महंगाई भत्ते के साथ अन्य मांगे उठाने मिला ठोस आश्वासन, EPS 95 पेंशनधारकों में खुशी की लहर

जैसा कि सभी EPS 95 पेंशनधारकों को अवगत है कि पिछले कई सालों से EPS 95 पेंशनधारकों की पेंशन बढ़ोतरी के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है, पर अभी तक EPS 95 पेंशनधारकों की पेंशन बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसी को देखते हुए EPS 95 पेंशनधारकों की पेंशन बढ़ोतरी के लिए राष्ट्रीय संघर्ष समिति मुरादाबाद मण्डल के पदाधिकारियो द्वारा EPS 95 पेंशनधारकों की न्यूनतम पेंशन को ₹1000 से बढ़ाकर ₹7500 किया जाए तथा उसे महंगाई भत्ते के साथ चिकित्सा सुविधाएं दिलाने की मांग को लेकर मुरादाबाद के माननीय सांसद एस. टी. हसन साहब को ज्ञापन सौंपा गया है।

माननीय सांसद महोदय ने समस्त EPS 95 पेंशनधारकों की जो मांगे हैं जिनमें EPS 95 पेंशनधारकों को न्यूनतम पेंशन ₹7500 दिया जाए साथ ही उसे महंगाई भत्ते के साथ भी जोड़ा जाए और यदि आवश्यक है तो बजट में प्रावधान किया जाए, इसके लिए कानून पास किया जाए। यह उचित मांग कोशियर समिति (राज्यसभा पिटिशन 147) के अनुसार महंगाई भत्ता 7 से 8 वर्षों में बढ़ी हुई महंगाई को देखते हुए की गई है।

उसके बाद EPFO द्वारा 31 मई 2017 को जो अंतरिम पत्र जारी किया गया है उसे वापस लेकर ईपीएफओ के परिपत्र दिनांक 23 मार्च 2017 के अनुसार उच्च पेंशन प्रदान किया जाए।

उसके बाद सभी EPS 95 पेंशनधारकों तथा उनके पति या फिर पत्नी को मुफ्त चिकित्सा सुविधा दिए जाए यदि स्कीम में प्रावधान नहीं है तो कृपया प्रावधान करवाएं, नियम कानून सभी के लोक कल्याण के लिए होते हैं।

उसके बाद जिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को EPS 95 पेंशन योजना में शामिल नहीं किया गया है उन्हें उसका सदस्य बनाकर योजना में लाया जाए अथवा उन्हें ₹5000 की राशि पेंशन के तौर पर दी जाए। देश में ऐसे निवृत्त कर्मचारियों की संख्या बहुत ही कम है, जिनको पेंशन दी जा सकती है।

माननीय सांसद महोदय ने इन सभी समस्त मांगों को विस्तार से सुना तथा उनकी गंभीरता को समझते हुए उक्त मामले को लोकसभा में रखने का आश्वासन दिया है। EPS 95 पेंशन वृद्धि के लिए ज्ञापन प्रस्तुत करते समय प्रतिनिधि मण्डल में श्री डीके सिंह मण्डल अध्यक्ष, सुश्री मंजू लता सक्सैना मण्डल अध्यक्ष महिला मोर्चा, रमेश चन्द्र त्रिवेदी जिलाध्यक्ष, श्री. मटरू लाल समन्वयक एवं श्री राजीव शुक्ला सचिव और रामसरन शर्मा उपाध्यक्ष मुरादनाद एवं श्री प्रदीप अग्रवाल जिलाध्यक्ष सम्भल मुख्यरूप से उपस्थित रहे और सेवा निवृत EPS 95 कर्मचारियो से सम्बन्धित समस्याओ से सांसद महोदय को अवगत कराया गया आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

सारांश: सांसद महोदय आगामी मानसून सत्र मे ज्ञापन से सम्बन्धित सभी मांगो को संसद में उठाने का आश्वासन दिया गया तथा भविष्य मे EPS 95 कर्मचारियो को हर सम्भव सहायता करने का आश्वासन दिया गया।


Thursday, July 1, 2021

Good News For Pensioners: सरकार ने पारिवारिक पेंशन पाने की आवेदन प्रक्रिया को बनाया सरल अब तुरंत मिलेगी पेंशन

घातक कोविड -19 महामारी को देखते हुए, केंद्र सरकार ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पारिवारिक पेंशन नियमों को सरल बनाया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoP&PW) द्वारा बनाए गए नियमों में बदलाव की घोषणा करते हुए कहा कि बदले हुए नियम में परिवार पेंशन और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दावा प्राप्त होने पर तुरंत अनंतिम पारिवारिक पेंशन स्वीकृत की जाएगी। अन्य औपचारिकताओं या प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं के पूरा होने की प्रतीक्षा किए बिना पात्र परिवार के सदस्य।


पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoP&PW) ने बैंकों से अनुरोध किया है कि वे "पारिवारिक पेंशन के दावेदारों से केवल न्यूनतम आवश्यक विवरण मांगें और यह सुनिश्चित करें कि पेंशन चाहने वालों को परेशान न किया जाए।

"आपसे अनुरोध है कि सीपीपीसी और आपके बैंक की पेंशन भुगतान करने वाली शाखाओं को परिवार पेंशन के दावेदारों से केवल न्यूनतम आवश्यक विवरण / दस्तावेज प्राप्त करने के लिए उपयुक्त निर्देश जारी करें, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे नहीं हैं अनावश्यक विवरण और दस्तावेजों की मांग करके किसी भी उत्पीड़न के अधीन, ”डीओपीपीडब्ल्यू ने कहा।


पत्र के अनुसार, बैंक द्वारा पारिवारिक पेंशन शुरू करने के लिए आवेदक के अलावा परिवार के सदस्यों का विवरण प्रासंगिक नहीं है। इसलिए, बैंकों को किसी भी परिस्थिति में आवेदक से इस तरह का विवरण नहीं मांगना चाहिए।

पत्र में कहा गया है, "आवेदक के अलावा परिवार के सदस्यों का विवरण बैंक द्वारा पारिवारिक पेंशन शुरू करने के लिए प्रासंगिक नहीं है और इसलिए किसी भी परिस्थिति में आवेदक से इसकी मांग नहीं की जानी चाहिए।"


पारिवारिक पेंशन का दावा करने के लिए आवश्यक दस्तावेज (Documents required for claiming family pension)

उन मामलों में जहां मृतक पेंशनभोगी और पति या पत्नी का संयुक्त खाता है:

  • परिवार पेंशन की शुरुआत के लिए एक साधारण पत्र या आवेदन पत्र।
  • मृत पेंशनभोगी का मृत्यु प्रमाण पत्र।
  • पेंशनभोगी को दिए गए पीपीओ की प्रति यदि कोई हो।
  • आवेदक की आयु या जन्म तिथि का प्रमाण।
  • पारिवारिक पेंशन शुरू करने के लिए, पति/पत्नी/परिवार के सदस्य को बैंक में फॉर्म 14 जमा करने की आवश्यकता नहीं है।

उन मामलों में जहां पति या पत्नी का मृतक पेंशनभोगी के साथ संयुक्त खाता (Joint Account) नहीं है :

  • फॉर्म 14 आवेदन पर दो गवाहों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं।
  • मृत पेंशनभोगी का मृत्यु प्रमाण पत्र।
  • पेंशनभोगी को दिए गए पीपीओ की प्रति यदि कोई हो।
  • आवेदक की आयु या जन्म तिथि का प्रमाण।
  • यह आवश्यक नहीं है कि फॉर्म 14 को राजपत्रित अधिकारी आदि द्वारा प्रमाणित किया जाए। पीपीओ में दी गई जानकारी और इसके अपने "अपने ग्राहक को जानें" मानकों के आधार पर, जारीकर्ता बैंक पति/पत्नी/परिवार के सदस्य का निर्धारण करेगा।

ऐसे मामलों में जहां पेंशनभोगी और पति या पत्नी की मृत्यु होने पर, परिवार पेंशन को परिवार के किसी अन्य सदस्य को हस्तांतरित करना होता है;

  • यदि परिवार के किसी अन्य सदस्य को पारिवारिक पेंशन के लिए पीपीओ में सह-प्राधिकृत किया गया है, तो ऊपर दिए गए प्रोटोकॉल को ही अपनाया जाना चाहिए।
  • यदि परिवार के अन्य सदस्य का नाम पीपीओ पर नहीं है, तो उसे उस कार्यालय में नया पीपीओ प्राप्त करने का निर्देश दिया जा सकता है जहां सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी पिछली बार कार्यरत था।



Tuesday, June 29, 2021

EPS 95 Higher Pension Update: Implementation of the orders of the Hon'ble Supreme Court directing the EPFO to pay revised higher pension to the retired EPS 95 pensioners based on the actual salaries along with the enhancement of Minimum pension to Rs 7500+DA along with medical reimbursement as requested Regarding.

With Reference to our Representations to the Hon'ble Chief Justice of Supreme Court, Sri N V Ramana Garu Dated 1. 6 th June 2021, 2. 12 th June 2021, 3. 23 rd June 2021, 4. 26 th June 2021


Kind attention of the Hon'ble Chief Justice of Supreme Court of India Sri N V Garu is invited to the subject and references cited above

Sir we have requested the Hon'ble Chief Justice kindly look into into the matter and save the lives of the retired pensioners Duly disposing the pending review petitions filed by Central Government and EPFO against the Supreme Court's judgement.


Sir we are very much pained to let the Hon'ble Chief Justice to know that around 25 lakh rtd pensioners out of 60 lakh have lost their lives out of starvation unable to get on with the meagre pension of rs ranging from rs 300/- to 1000/- per month all over the country.

The bereaved family members of the respective Demised pensioners find no way except to forcibly Die or commit suicides with out food, in case of further delay in the disposal of the Review petitions.

Recently in a case the hon'ble supreme court cautioned the state government of AP that if a citizen dies due to negligent attitude of the government, the government shall pay rupees ONE Crore to the family members.

We submit the hon'ble Chief Justice that around 25 lakh EPS 95 retired pensioners died due to willful negligent attitude of the hon'ble Prime Minister Government of India, without giving scope to implement the Judgement of the Hon'ble Supreme Court by filing Review petitions, 1. on behalf of Central Government and second Review petition from EPFO and seeking continuous adjournments years together. Hence the Prime minister of India Sri Narendra Modi garu is solely responsible for the deaths and is liable to pay One Crore Rupees to each bereaved family of the Demised pensioners and request the Hon'ble Supreme court to order for the payment of Compensation to the extent of rs 1 Crore to the bereaved families.



We further request you sir kindly see the Judgement delivered by the Hon'ble Supreme Court is implemented immediately duly Disposing off the review petitions and orders  issued for the minimum wages of rs 750+DA+Medical reimbursement to the retired pensioners with out allowing further adjournments expected  to be sought by the Govt and EPFO

With regards
Yours faithfully
A V Ramana rtd DMO APCO President Weavers Welfare Council AP and Telangana states

(one among the 65 lakh retired employees)

Copy Submitted to the hon'ble Prime Minister Government of India to pay Rupees One Crore to each bereaved family members of the Retired pensioners who died during the last one Decade following the failure of the Central Government to settle the issue of pension.

 


Monday, June 14, 2021

Good News: सरकार की इस पेंशन योजना में बदलाव करने की तैयारी, पूरा पैसा निकाल ने के साथ ज्यादा पेंशन और महंगाई भत्ता भी मिलेगा

पेंशन फंड रेगुलेटर PFRDA नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से जुड़े नियमों में बदलाव के लिए सरकार से बातचीत कर रहा है। ये बदलाव NPS को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए किए जा रहे हैं। इन बदलावों के तहत टैक्स में ज्यादा छूट, बीमा एजेंट्स की दिलचस्पी बढ़ाने और स्कीम को महंगाई से जोड़ने समेत कई बदलाव करने की तैयारी PFRDA कर रहस है।


पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के चेयरमैन सुप्रतिम बंदोपाध्याय ने जानकारी दी है कि NPS में कई तरह के बदलाव करने के लिए सरकार से बातचीत की जा रही है। NPS को और बेहतर बनाने के लिए कुछ उपायों की शुरूआत भी हो चुकी है। जबकि कुछ पर सरकार से विचार जारी है।

NPS में बदलाव के तहत निवेशक अब अपने पूरे फंड को सिस्टमैटिक विड्रोल प्लान (SWP) में डाल सकेंगे जिससे उनका फायदा बढ़ सकेगा। अभी मौजूदा दौर में निवेशक अपने फंड का केवल 60% रिटायरमेंट के वक्त निकाल सकते हैं, जबकि बाकी बची हुई रकम से उन्हें एन्युटी खरीदनी होती है। जिसके बाद उन पैसों पर उन्हें जीवन भर एक आमदनी होती रहती है।


मान लिजिए आपके NPS में 5 लाख रुपए हैं तो अब नए बदलाव के तहत आप अपना पूरा पैसा एक साथ निकाल सकेंगे। सरकार इस तरह के बदलाव पर विचार कर रही है ताकि जरूरत पड़ने पर कोई भी निवेशक अपना पूरा पैसा एक बार में निकाल सके। अगले कुछ दिनों में इससे संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। अभी इस सिस्टम के तहत निवेशकों को केवल 5% का रिटर्न मिलता है जिसकी वजह से निवेशक इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते है।

बंदोपाध्याय के अनुसार गिरते ब्याज दरों के इस दौर में एन्युटी से निवेशकों को सालाना 5% का ही रिटर्न मिल रहा है। इस वजह से बहुत से निवेशक NPS में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि PFRDA अब एन्युटी से मिलने वाले रिटर्न को महंगाई से जोड़कर फिक्स करने की बात पर विचार कर रहा है। इसके लिए वह बीमा नियामक इरडा से बात करने जा रहा है। इस मामले पर इस समय एक समिति विचार कर रही है।


इसके अलावा PFRDA ने सरकार को सुझाव दिया है कि NPS में निवेश कर टैक्स बचत की जाने वाली रकम की सीमा को मौजूदा 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाना चाहिए। अगर ये सीमा दोगुनी हो जाती है तो निवेशकों को टैक्स की बचत में भी काफी लाभ मिलेगा।

बंदोपाध्याय के अनुसार सरकार को यह सुझाव दिया जा रहा है कि NPS के तहत एन्युटी में निवेश की मदद से आने वाले पेंशन की रकम को एक निश्चित सीमा तक टैक्स फ्री कर दिया जाए। यह 10 लाख रुपए सालाना तक हो सकता है। इसे या तो टैक्स फ्री कर दिया इस पर मामूली टैक्स लगाया जाए।




Saturday, June 5, 2021

Good News For Pensioners: अब पेंशनधारकों के खाते में कभी भी जमा होगी पेंशन RBI ने जारी किये आदेश, अब नहीं करना होगा इंतजार, जाने पुरे विस्तार

1 अगस्त 2021 से, आपको अपने वेतन, पेंशन, ब्याज, लाभांश, और अन्य भुगतानों और निवेशों को अपने बैंक खाते में जमा करने के लिए सप्ताहांत का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने आज कहा कि राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह (NACH) सप्ताह के सभी दिनों में उपलब्ध होगा।

"ग्राहक सुविधा को और बढ़ाने के लिए, और रीयल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) की 24x7 उपलब्धता का लाभ उठाने के लिए, NACH जो वर्तमान में बैंक के कार्य दिवसों पर उपलब्ध है, को 1 अगस्त 2021 से प्रभावी सप्ताह के सभी दिनों में उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।" RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए जानकारी दी।


सुविधाएं वर्तमान में केवल तभी उपलब्ध होती हैं जब बैंक खुले होते हैं, आमतौर पर सोमवार से शुक्रवार के बीच।

NACH क्या है?

NACH, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा संचालित एक थोक भुगतान प्रणाली, लाभांश, ब्याज, वेतन और पेंशन के भुगतान जैसे एक-से-कई क्रेडिट हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करती है।

यह बिजली, गैस, टेलीफोन, पानी, ऋण के लिए आवधिक किश्तों, म्यूचुअल फंड में निवेश और बीमा प्रीमियम से संबंधित भुगतानों के संग्रह की सुविधा भी प्रदान करता है।

NACH बड़ी संख्या में लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) का एक लोकप्रिय और प्रमुख माध्यम के रूप में उभरा है।


आरबीआई ने कहा कि इससे वर्तमान कोरोनावायरस स्थिति के दौरान समय पर और पारदर्शी तरीके से सरकारी सब्सिडी के हस्तांतरण में मदद मिली है।

NACH प्रणाली के कार्यान्वयन के साथ, NPCI इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के लिए नियमों (परिचालन और व्यापार), खुले मानकों और सर्वोत्तम उद्योग प्रथाओं का एक सेट प्रदान करने का इरादा रखता है, जो सभी प्रतिभागियों, सेवा प्रदाताओं, उपयोगकर्ताओं आदि के लिए समान हैं।


NACH प्रणाली आधार आधारित लेनदेन को सहायता प्रदान करके सरकार, सरकारी एजेंसियों और बैंकों द्वारा शुरू किए गए वित्तीय समावेशन उपायों का भी समर्थन करती है।

NACH प्रणाली प्रतिभागियों को लेनदेन और फ़ाइल-आधारित लेनदेन प्रसंस्करण क्षमताओं दोनों के साथ एक मजबूत, सुरक्षित और स्केलेबल प्लेटफॉर्म प्रदान करती है। इसमें देश भर में सभी प्रतिभागियों के लिए सुलभ बहु-स्तरीय डेटा सत्यापन सुविधा के साथ-साथ श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा विशेषताएं, लागत दक्षता और भुगतान प्रदर्शन (STP) है।


NPCI द्वारा विकसित NACH का आधार पेमेंट ब्रिज (APB) सिस्टम प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना को सफल बनाने में सरकार और सरकारी एजेंसियों की मदद कर रहा है। एपीबी सिस्टम आधार नंबरों का उपयोग करके लक्षित लाभार्थियों को सरकारी सब्सिडी और लाभों को सफलतापूर्वक प्रसारित कर रहा है। एपीबी सिस्टम एक तरफ सरकारी विभागों और उनके प्रायोजक बैंकों को और दूसरी तरफ लाभार्थी बैंकों और लाभार्थी को जोड़ता है।


 

Wednesday, June 2, 2021

EPS 95 Latest News: EPS 95 Pensioners 1 Day Hunger Strike Successful , Minimumu Pension Hike 7500+DA, Free Medical Facilities, Higher Pension

Respected Honorable Prime Minister,

Elected Representative of Lok Sabha,


On behalf of 67lakhs EPS-95 Pensioners all over India observed a 1 day hunger strike today from 08 AM to 5pm to press our pending demand of hike in minimum pension.

Glimpses of photo are attached for perusal.


QUR DEMAND:

MINIMUM PENSION OF INR. 7,500/- PER MONTH.

FREE MEDICAL FACILITIES.

Hundreds of senior citizens in this category are suffering for minimum living standards and quality of life due to meagre monthly income of less than INR.500/-


We are confident that our elected sensitive Government under the able leadership of Prime Minister Shri Narendra Modi ji will resolve the issue on top priority and save old life in this heavenly Bharat Bhumi.

The starvation, suffering and sickness of this EPS-95 Pensioners category in this great country is serious than the current prevailing Pandemic.


I on behalf of the country man and women with folded hands pray the responsible authorities to consider the legitimate demand.

Regards

Baburay Naik

Ex- Executive, Goa Shipyard Ltd.

Vasco Da Gama, Goa 403802.



 






1-6-2021 को माननीय अध्यक्ष महोदय कमाण्डर अशोक जी राऊत के आव्हान पर सुबह 8बजे शाम 5बजे तक पत्नी सहित उपवास किया ।एक हजार पेन्शन मे रोज उपवास होता ही हे पर आदरणीय मोदी जी को वादा याद दिलाना भी जरूरी हे ।एन ए सी जिन्दाबाद ।


 

Monday, May 10, 2021

EPS 95 Minimum Pension Hike Latest News: Very IMP Notice to 65 Lakh EPS 95 Pensioners Regarding EPS 95 Minimum Pension Hike 7500+da, Free Medical Facilities, Higher Pension

National Agitation Committee: -

NAC's next Agitation Programme:-

1. Contact Campaign from Home

2. Formation of Tehsil level organization

3. Nation wide "One Day Fast"on Dtd.01.06.2021


Respected brothers and sisters,

We all are aware about the indications we received regarding our demands getting approved by the Government in the last budget session.However, it is clearly visible that the obstacles due to the Corona epidemic and mainly due to the unjust behavior of the cruel EPFO we could not achieve our goal.

We all, including our leaders, have done the great job of conveying the voice of pensioners and the truthful views to the Government and to all the concerned officials through protest day from 06.04.2021 by submitting memorandum to the *Hon. Prime Minister / Chairman CBT at all the EPFO  ​​offices in the country.


You all are aware that all the teams of our organization are working effectively on their own front and today is 869 th Day of Chain hunger strike at NAC,HQ Buldhana in front of the Collector office.

You all are also aware that the corona epidemic came from only last year but as far our pensioners are concerned, the EPS 95 pension epidemic had already been started for the last several years. in all these innumerable years our pensioner colleagues are dieing at the rate of around 5000 per month. In CORONA this rate has been increased many folds.


In view of the tremendous anger about the cruel EPFO ​​among all the EPS 95 members and the increasing death rate of our pensioners, a target has been set to fulfill all our four major demands on or before the forthcoming monsoon session of Parliament.

In order to achieve this goal, all the members and all the leaders are requested to pay special attention to the following points/NAC's Agitational movement by keeping yourself,your friends and your familysafe from CORONA:-


  1. Convey our strong feelings about EPS pension through social media / electronic media (Whats App, Twitter, E-mail, SMS, phone contact etc.) effectively to the Hon.Prime Minister, Finance Minister, Labor Minister, MPs,CBT members from your respective regions. According to out previous General Contact Campaign Program, the leaders who were given this responsibility must complete this campaign till the start of the Monsoon Session of Parliament under the guidance of the Chief Coordinator / State President of the respective regions.
  2. Formation of Tehsil level organizations of all the states be completed by 31.05.2021.
  3. One Day fast be observed by all the EPS 95 Pensioners from Home on Dtd. 01.06.2021 in the memories of our Great Members* who passed away and also to remind the Hon.Prime minister once again to fulfill our Demands as per his assurances given on Dtd. 04.03.2020.

Finally , Please be remain safe, be aware of the socio-political situation in the country and organize your respective area to achieve the final goal.

Please remember that you are the representatives of all the 67 lakh poor, helpless members of EPS95. We all need to be the ground level activists. Mind you, many of our members do not even have ordinary phones, we cannot even contact them directly due to this corona epidemic.

Jeshtha Bharat-Shreshtha Bharat

 yours sincerely, 

 Commander Ashok Raut,

 National President


 

EPS 95 Pension Hike News: EPS 95 पेंशन बढ़ोतरी 7500 + DA को लेकर 65 लाख पेंशनधारकों के लिए NAC की जरुरी सूचना

National Agitation Committee

NAC का अगला आंदोलन कार्यक्रम

1. अपने अपने घर से ही सम्पर्क अभियान.
2 सभी राज्यों में तहसील स्तर के संगठन का गठन
3. दिनांक 1 जून 2021 को एक दिन का देश व्यापी उपवास कार्यक्रम


आदरणीय भाइयों एवं बहनों,
आपको विदित ही है कि हमारी मांगों को सरकार द्वारा पिछले अधिवेशन/बजट सत्र में मंजूर करने के संकेत हमें मिल रहे थे लेकिन कोरोना महामारी के चलते व EPFO के अन्यायपूर्ण व्यवहार के कारण इसमें रुकावटें आई है ऐसा स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है.

हम पेंशनर्स की आवाज को व सत्य तत्थ्यों को सरकार तक तथा संबंधितों तक पहुंचाने का कार्य आप सभी,हमारे नेताओं ने दिनांक 06.04.2021 से विरोध दिवस के माध्यम से देश के सभी ईपीएफओ कार्यालयों पर मा. प्रधानमंत्री जी/मा.अध्यक्ष सीबीटी के नाम निवेदन देकर संपन्न किया है.


आप सभी को विदित ही है कि हमारे संगठन की सभी टीमें अपने अपने मोर्चे पर प्रभावशाली रीति से काम रही हैं व NAC के मुख्यालय, बुलढाणा महाराष्ट्र में क्रमिक अनशन का आज 869 वा दिन है. आप सभी को यह भी विदित है कि कोरोना की महामारी तो पिछले वर्ष से आई लेकिन हमारे पेंशनर्स में तो इपीएस 95 पेंशन महामारी* पिछले कई सालों से शुरू है जिसमें प्रति माह लगभग 5000 की दर से हमारे पेंशनर्स भाई बहन संसार से बिदा होते जा रहे थे व अब कोरोना महामारी आने के कारण मृत्युदर और अधिक बढ़ गई है.


सभी सदस्यों में ईपीएफओ के प्रति रोष व पेंशनर्स भाई बहनों की बढ़ती हुई मृत्युदर को देखते हुए , *किसी भी हालत में आने वाले मानसून अधिवेशन में या उसके पहले हमारी चार प्रमुख मांगों को पूर्ण करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. लक्ष्य प्राप्ति के लिए सभी सदस्य व सभी नेताओं से निवेदन है कि स्वयं को व अपने परिजनों को सुरक्षित रखते हुए कृपया निम्नलिखत बिंदुओं /NAC के इस आंदोलन कार्यक्रम पर विशेष ध्यान दीजिए:-


  1. 1.सोशल मीडिया /इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से (व्हाट्सएप, ट्विटर, ई मेल, एसएमएस, फोन से संपर्क आदि) अपनी आवाज को प्रभावशाली ढंग से मा.प्रधानमंत्री, मा.वित्त मंत्री, मा.श्रम मंत्री, अपने अपने क्षेत्र के मा.सांसद व सीबीटी सदस्यों तक पहुंचाने का कार्यक्रम. पिछले महासंपर्क अभियान के अनुसार जिन नेताओं को जो जवाबदारी दी गई थी उसी के अनुसार इस अभियान को संसद के मान्सून सत्र के शुरू होने के पहले तक अपने अपने क्षेत्र के मुख्य समन्वयक/प्रांतीय अध्यक्ष के मार्गदर्शन में पूर्ण किया जाए. 
  2. 2.दिनांक 31.05.2021 तक सभी राज्यों के तहसील स्तर के संगठन का गठन करना.
  3. 3. जो महान सदस्य हमें छोड़कर संसार से बिदा हो गए उनकी स्मृति में व मा. प्रधानमंत्री जी द्वारा दिनांक 04.03.2020 को पेंशनर्स की मांगों को पूर्ण करने हेतु, दिए गए वचन पूर्ति की एक बार फिर से याद दिलाने के लिए दिनांक 01.06.2021 को सभी ईपीएस 95 द्वारा अपने अपने घर से देश व्यापी उपवास कार्यक्रम.

कृपया सुरक्षित रहिए,लक्ष्य प्राप्ति के लिए जागरूक रहिए व संगठित रहिए. कृपया याद रहे कि आप सभी उन सदस्यों के प्रतिनिधि हैं, जो हमारे संगठन के ग्राउंड स्तर के कार्यकर्ता भाई बहन है व जिनके पास तो साधारण फोन भी नहीं हैं ,इस कोरोना महामारी के चलते हम उनसे प्रत्यक्ष संपर्क भी नहीं कर सकते हैं.
जेष्ठ भारत-श्रेष्ठ भारत

आपका अपना,

कमांडर अशोक राऊत,
राष्ट्रीय अध्यक्ष


 

Sunday, May 2, 2021

Good News For EPS 95 Pensioners: Kerala High Court Dismisses Review Petition Filed By EPFO & CBT, Kerala High Court Order


IN THE HIGH COURT OF KERALA AT ERNAKULAM

PRESENT

THE HONOURABLE MR. JUSTICE RAJA VIJAYARAGHAVAN V

THURSDAY, THE 08TH DAY OF APRIL 2021 / 18TH CHAITHRA, 1943

RP. No. 267 OF 2021 IN WP(C). 26944/2019

AGAINST THE JUDGMENT IN WP(C) 26944/2019(P) OF HIGH COURT OF KERALA

REVIEW PETITIONER/RESPONDENTS 2 & 3 IN WPC:

1. BOARD OF TRUSTEES OF EMPLOYEES PROVIDENT FUND ORGANIZATION,  REPRESENTED BY THE CENTRAL PROVIDENT COMMISSIONER, BHAVISYA NIDHI BHAVAN, 14, BHIKAJI CAMA PALACE, NEW DELHI-110 066

2. REGIONAL PROVIDENT FUND COMMISSIONER, EPF ORGANISATION, SUB REGIONAL OFFICE, BHAVISHYANIDHI BHAVAN, KALOOR, COCHIN-682 017


BY ADV. SRI.SAJEEV KUMAR K.GOPAL

RESPONDENTS/PETITIONER 1 & RESPONDENTS 1 & 4 IN WPC:

1 T. RADHAKRISHNAN,  S/O. LATE THANKAPPAN ASARI, NEERCHALIL HOUSE, MANATHUPADOM ROAD, UNICHIRA, ERNAKULAM-682 033, (P.F.NO.KR/2729/175)(PPO NO.KR/ KCH/ 00083431)

2 UNION OF INDIA, REPRESENTED BY ITS SECRETARY, MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT, GOVERNMENT OF INDIA, SHRAM SHAKTI BHAVAN, RAFI MMARG, NEW DELHI-110 001

3 ERNAKULAM REGIONAL CO-OPERATIVE MILK PRODUCERS UNION LTD. NO.E-150 (D),REPRESENTED BY ITS MANAGING DIRECTOR, HEAD OFFICE EDAPPALLY, COCHIN-682 024

SRI K SUDHINKUMAR, SC


THIS REVIEW PETITION HAVING COME UP FOR ADMISSION ON 08.04.2021, THE COURT ON THE SAME DAY PASSED THE FOLLOWING:

ORDER

This Review Petition is preferred seeking review of the judgment dated 18.2.2020 in W.P.(C) No.26944 of 2019. 

2. I have heard Sri. Sajeev Kumar K. Gopal, the learned counsel appearing for the review petitioner and Sri. Prakash M.P., the learned counsel appearing for the party respondent.

3. It is by now settled that review of a judgment is permitted only when it is shown that the judgment suffers from any error apparent on the face of the record.


4. The contention advanced by the petitioner while seeking review of the judgment, is that though the challenge raised by the EPFO to the judgment of a Division Bench of this Court in Sasikumar P. V. Union of India and Ors.1 was repelled by the Apex Court in SLP(C) No.8658-8659 of 2019, a review petition filed against the judgment was entertained by the Apex Court and the same is pending. It is also submitted that the Central Government has also preferred an appeal and the same is pending. It is further submitted that their Lordships of the Division Bench in the judgment dated 21.12.2020 in W.A.No.944/2020 had expressed doubts about the correctness of Sasikumar (supra). According to the petitioner, as this Court in the judgment under Review placed profused reliance on Sasikumar (supra), due to the aforesaid reasons, the judgment is to be reviewed.


5. I have considered the submissions advanced.

6. The power of review may be exercised on the discovery of new and important matter or evidence which, after the exercise of due diligence was not within the knowledge of the person seeking the review or could not be produced by him at the time when the order was made; it may be exercised where some mistake or error apparent on the face of the record is found; it may also be exercised on any analogous ground. But, it may not be exercised on the ground that the decision was erroneous on merits. That would be the province of a court of appeal. A power of review is not to be confused with appellate powers which may enable an appellate court to correct all manner of errors committed by the subordinate court.

7. In Haridas Das vs. Usha Rani Banik (Smt.) and Others2, while considering the scope and ambit of Section 114 CPC read with Order 47 Rule 1 CPC it is observed and the Apex Court had occasion to hold as follows in paragraph 13 to 18 as under:


“ 13. In order to appreciate the scope of a review, Section 114 CPC has to be read, but this section does not even adumbrate the ambit of interference expected of the court since it merely states that it ‘may make such order thereon as it thinks fit’. The parameters are prescribed in Order 47 CPC and for the purposes of this lis, permit the defendant to press for a rehearing ‘on account of some mistake or error apparent on the face of the records or for any other sufficient reason’. The former part of the rule deals with a situation attributable to the applicant, and the latter to a jural action which is manifestly incorrect or on which two conclusions are not possible. Neither of them postulate a rehearing of the dispute because a party had not highlighted all the aspects of the case or could perhaps have argued them more forcefully and/or cited binding precedents to the court and thereby enjoyed a favourable verdict. This is amply evident from the Explanation to Rule 1 of Order 47 which states that the fact that the decision on a question of law on which then judgment of the court is based has been reversed or modified by the subsequent decision of a superior court in any other case, shall not be a ground for the review of such judgment. Where the order in question is appealable the aggrieved party has adequate and efficacious remedy and the court should exercise the power to review its order with the greatest circumspection.


14. In Meera Bhanja v. Nirmala Kumari Choudhury, [(1995) 1 SCC 170] it was held that:

“8. It is well settled that the review proceedings are not by way of an appeal and have to be strictly confined to the scope and ambit of Order 47 Rule 1 CPC. In connection with the limitation of the powers of the court under Order 47 Rule 1, while dealing with similar jurisdiction available to the High Court while seeking to review the orders under Article 226 of the Constitution, this Court, in Aribam Tuleshwar Sharma v. Aribam Pishak Sharma, (1979) 4 SCC 389 speaking through Chinnappa Reddy, J. has made the following pertinent observations:

‘It is true there is nothing in Article 226 of the Constitution to preclude the High Court from exercising the power of review which inheres in every court of plenary jurisdiction to prevent miscarriage of justice or to correct grave and palpable errors committed by it. But, there are definitive limits to the exercise of the power of review. The power of review may be exercised on the discovery of new and important matter or evidence which, after the exercise of due diligence was not within the knowledge of the person seeking the review or could not be produced by him at the time when the order was made; it may be exercised where some mistake or error apparent on the face of the record is found, it may also be exercised on any analogous ground. But, it may not be exercised on the ground that the decision was erroneous on merits. That would be the province of a court of appeal. A power of review is not to be confused with appellate power which may enable an appellate court to correct all manner of errors committed by the subordinate court.’” 

15. A perusal of Order 47 Rule 1 shows that review of a judgment or an order could be sought: (a) from the discovery of new and important matters or evidence which after the exercise of due diligence was not within the knowledge of the applicant; (b) such important matter or evidence could not be produced by the applicant at the time when the decree was passed or order made; and (c) on account of some mistake or error apparent on the face of the record or any other sufficient reason.


16. In Aribam Tuleshwar Sharma v. Aribam Pishak Sharma, AIR 1979 SC 1047, this Court held that there are definite limits to the exercise of power of review. In that case, an application under Order 47 Rule 1 read with Section 151 of the Code was filed which was allowed and the order passed by the Judicial Commissioner was set aside and the writ petition was dismissed. On an appeal to this Court it was held as under: (SCC p. 390, para 3) “It is true as observed by this Court in Shivdeo Singh v. State of Punjab, AIR 1963 SC 1909 there is nothing in Article 226 of the Constitution to preclude a High Court from exercising the power of review which inheres in every court of plenary jurisdiction to prevent miscarriage of justice or to correct grave and palpable errors committed by it. But, there are definitive limits to the exercise of the power of review. The power of review may be exercised on the discovery of new and important matter or evidence which, after the exercise of due diligence was not within the knowledge of the person seeking the review or could not be produced by him at the time when the order was made; it may be exercised where some mistake or error apparent on the face of the record is found; it may also be exercised on any analogous ground. But, it may not be exercised on the ground that the decision was erroneous on merits. That would be the province of a court of appeal. A power of review is not to be confused with appellate powers which may enable an appellate court to correct all manner of errors committed by the subordinate court.”


17. The judgment in Aribam case has been followed in Meera Bhanja. In that case, it has been reiterated that an error apparent on the face of the record for acquiring jurisdiction to review must be such an error which may strike one on a mere looking at the record and would not require any long drawn process of reasoning. The following observations in connection with an error apparent on the face of the record in Satyanarayan Laxminarayan Hegde v. Millikarjun Bhavanappa Tirumale, AIR 1960 SC 137 were also noted: “An error which has to be established by a long drawn process of reasoning on points where there may conceivably be two opinions can hardly be said to be an error apparent on the face of the record. Where an alleged error is far from self evident and if it can be established, it has to be established, by lengthy and complicated arguments, such an error cannot be cured by a writ of certiorari according to the rule governing the powers of the superior court to issue such a writ.”


8. The petitioner has not been able to show that there is any error manifest on the face of the order. What is contended is that proceedings are pending before superior courts and in that view of the matter, the judgment ought to be reviewed. It is settled that while considering an application for review, the court must confine its adjudication with regard to the material which was available at the time of initial decision. The happening of some subsequent event or development cannot be taken note of for declaring the initial order/decision as vitiated by an error apparent. It is also settled that review is not maintainable on the basis of a subsequent decision/judgment of a co-ordinate or larger bench of the court or of a superior court. A review petition can by no means be an appeal in disguise.


Having considered the matter in all perspectives, I find that the petitioner has not made out any grounds for review. This review petition will stand dismissed. 

Sd/-

RAJA VIJAYARAGHAVAN V 

NS JUDGE