Monday, June 14, 2021

EPS 95 Higher Pension Cases Hearing: 5 साल से पेडींग ईपीएस 95 पेंशनरो की समस्या का समाधान सर्वोच्च न्यायालय कैसे हल कर सकता है

5 साल से पेडींग ईपीएस 95 पेंशनरो की समस्या का समाधान सर्वोच्च न्यायालय कैसे हल कर सकता है


अभीतक ईपीएस पेंशनरों की ओरसे न्यायप्रविष्ट मामलो मे उच्च एवंम् सर्वोच्च न्यायालय ने पेंशनरो के हक़ मे फैसले दिए है.

फिर भी ईपीएफओ और विद्यमान सरकार ऊसे मानणे से इन्कार कर रही है। अब तो सरकार ही कामगार (2016 मे सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन बढोत्तरी के दिए हुए निर्णय) के खिलाफ फिर से सुप्रीम कोर्ट मे पुनरविचार याचिका दायर करके यह सिद्ध कर दिया की देखो हमारी सरकार कितनी कामगार और कर्मचारी यों के हीत मे सोचती है, कार्य करती है।


और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने ही दिए हुए निर्णय पर पुनरविचार याचिका मंजुर करके सरकार का फिलहाल साथ तो दिया ही है। लेकीन एक विचार विद्यमान सर्वोच्च न्यायालयाने करना चाहीये की 4 अक्टूबर 2016 को दिए हुए फैसले पर 2021 तक यदी अंमल नही होता हो तो' क्या फायदा है सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का?

पिछले 5 सालो मे करीब करीब 2 लाख से जादा पेंशनरो की मौत हो चुकी है। क्या पता और कितने पेंशनधारक आगे चल बसेंगे। ईस विद्यमान सरकार को क्या 700/800 रुपयो मे यह ईपीएस 95 पेंशनरों का जीवनयापन कैसे होता होगा यह एक साधारण सा विचार करने के लिए 7 साल लगे ह। 


ईसी सरकार मे शामिल मंत्री जब सत्ता मे नही थे तो जंतर मंतर, सेवाग्राम, नागपूर, चंद्रपुर, दिल्ली, और बहोतसे जगहो पर पेंशनरो की हजारो की सभा मे आकर पेंशनरो की समस्या को लेकर तत्कालीन केंद्र सरकार के खिलाफ और पेंशनरो की समस्या के फेवर मे लंबी चौडी स्पिच देकर कहते थे आप एक बार हमे सत्ता मे आने दो। पेंशनरो की सभी समस्या को खत्म कर देंगे।

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समस्या खत्म करने की बात तो दुर सरकार समस्या को और ऊलझाकर EPS 1995 पेंशनधारकों को परेशान कर रही है। ठिक है सुप्रीम कोर्ट का मामला तो हायर पेंशन से समंधित है, लेकीन न्यूनतम पेंशन का मामला तो संसद का मामला है। ईसे तो आप आसानी से सुलझा सकते हो। लेकीन आप तो एक ही राग अलापते रहते हो 'की सरकार पास फंड नही और EPS 95 पेंशन में बढ़ोतरी बिना बजटीय समर्थन के नही हो सकती।

अरे भई खतम करो यह बाते क्यों की आज सबसे अच्छा पैसा जमा करने का तरीका तो आपके पास प्राव्हीडंट फंड और पेंशन फंड ही तो है।

अच्छा चलो एक कॅलक्यूलेशन करके देख लो' यदी एक कामगार कर्मचारी की पेंशनेबल सॅलरी 15000 रु या ईससे ऊपर है तो आप पेंशन फंड मे 8.33% के हिसाब से ऊसके सॅलरी से 1250 रुपये हर महीना काट लेते हो। और जब ऊसकी 33 साल की पेंशनेबल सर्व्हिस हो जाएगी तो ऊसे सिर्फ 7500 रु पेंशन मिलेगी। 

अब 1250 रुपये के हिसाब से ऊसका आर. डी. का अकाऊंट खोल दो। और ऊसपर पी एफ के 8.5% के हिसाब से ब्याज दो। तो 33 साल सिर्फ आर डी अकाऊंट ही रखा तो भी ऊस कामगार के आपके पास 30 लाख से जादा की राशी EPFO के पास जमा होगी।


यदी यही किसी भी बॅंक मे एफ डी मे रखो तो आपको महीने का ब्याज ही 25000 रु के आसपास प्राप्त होगा। अब देखीए आप 25000 के जगह 7500 रुपये दोगे और बाकी के 17500 रुपये खुद ही रख लोगे और पेंशनर और ऊसकी बीबी या ऊस महीला पेंशनर का पती दोनो की म्रुत्यु होने के बाद ऊनके पुरे 30 लाख रुपये EPFO के पास जमा रहेंगे।

तो भी आप ईपीएफओ वाले सम्बधीत मंत्री 'प्रधान मंत्री को यह कैसे बताते हो सुप्रीम कोर्ट को कैसे झुठा ऍफिडेव्हिट दे सकते है ' कि यह पेंशन योजना घाटे की है। हमारे पास पेंशनरो को बढी हुई पेंशन देने के लिए फंड नही है। आप शासकीय अधिकारी है करके आप पर मंत्री, श्रममंत्री प्रधान मंत्री यहा तक की सुप्रीम कोर्ट ने भी भरोसा करके आपकी रिव्हू पिटीशन दाखिल कर ली है।


जब सुप्रीम कोर्ट को असलीयत का पता चलेगा तो यही माननीय मोदी जी आप जैसे को कोर्ट को गुमराह करने वाले अधिकारी को कैसी सजा देना है ईसलिए कानुन मे संशोधन करेगी। ऐसा ईपीएस पेंशनधारकों को विश्वास है।

तो चलते है 5 साल से पेडींग 60 केसेस जो सुप्रीम कोर्ट मे है ऊसे जल्द से जल्द खत्म करते है। अभी शायद 26 जुन से सुप्रीम कोर्ट का कामकाज फीर से शुरु हो सकता है।  तो 23 मार्च 2021 से डे टू डे होनेवाली सुनावाई अब श्री रमन सर सर्वोच्च न्यायाधीश महोदय ईसे सर्वोच्च वरीयता देकर ईस पर स्पष्ट निर्णय देंगे यही प्रार्थना करते है।


मेरे स्पष्ट निर्णय का मतलब यही है की 4/10/2016 के जजमेंट मे यह लिखा था की बढी हुई पेंशन देते वक्त जितना हो सके ऊतना कामगार कर्मचारी ईनके फेवर मे ईपीएफओ काम करे, और बुक अडजेस्टमेंट करे। 

बुक अडजेस्टमेंट का मतलब यही था की यदी किसी का कोर्ट के जजमेंट के हिसाब से 7 लाख रुपये एरीअर्स निकलता है, और ऊसे 5 लाख रुपये ईपीएफओ को भरणा है तो आप ऊसके 7 लाख रुपये मे से 5 लाख रुपये मायनस करके 2 लाख रुपये पेंशनर के खाते मे जमा करे। लेकीन ईपीएफओ वाले अधिकारीयोने ईसका गलत अर्थ निकाल कर सभी को सबसे पहले पैसे भरो बादमे आपको बढी हुई पेंशन का लाभ प्राप्त करो  कहा। यहा एक बात समझने की है की 10 साल पहले यदी रिटायर्ड हो चुका गरीब कामगार जीसे आज मार्केट मे कोई 100 रुपये नही देता वो कहा से पैसे लाकर ईपीएफओ मे जमा करेगा? ईसका मतलब तो यही होगा जीसके पास पैसा होगा ऊसे ही बढी हुई पेंशन का लाभ मिलेगा। और जिनके पास पैसा नही वह बिचारा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी न्याय से वंचित रहेगा।


अबकी बार माननीय श्रममंत्री महोदय को मिनीमम पेंशन बढाने मे कतई दिक्कत नही होनी चाहीये। क्यों की ऊपर बताए हिसाब से आपको कभी भी पैसे की कमी नही आ सकती और अभी भी काफी काॅरपस फंड EPFO के पास जमा है। और हाॅ यह जो मिनीमम पेंशन वाले लोग वो लोग है जो शुरूवाती दौर मे EPS 95 पेंशन योजना को सफल बनाने मे EPFO के साथ थे।  ईपीएफओ के कुछ सिनीयर्स को याद होगा की शुरूवाती दौर मे रीजनल प्राव्हीडंट फंड कमिशनर कंपनीयोमे जा जाकर ईपीएस 95 पेंशन योजना कैसे अच्छी है ईस योजना मे हर साल रिव्हू होगा आपकी पेंशन हर साल बढेगी, यह सब बताते हुए ईस पेंशन योजना का प्रचार किया करते थे।


चलो आगे बढते है। मिनीमम पेंशन वाले लोग दिनोदिन कम होनेवाले लोग है ईन्हे तडफाना मत। अगस्त 2021 मे संसद के सत्र मे मिनीमम पेंशन का मुद्दा हल करते हुए सभी ईपीएस 95 पेंशनरों के चेहरे पे ईस देश के 20 करोड से अधिक विद्यमान कामगार कर्मचारी यों को संतोष दिखना चाहीये और दिखेगा भी क्यो नहीं 'क्यों की जीस देश के  श्रममंत्री आदरणीय श्री संतोष कुमार गंगवार जी है। और पुराने श्रममंत्री आदरणीय श्री बंडारु दत्तात्रय साहब ने महाराष्ट्र शीर्डी के साईबाबा के सामने ईपीएस 95 पेंशनरो को दिए हुए आश्वासन की पुर्ती जरूर करेंगे।  ईसी आशा के साथ सब को प्रणाम। 


और एक बात बहोत दिनो से कहने की सोच रहा था' आज कह देता हु। बात यह है कि कुछ नेतागण जिन्होने अभी अभी काम शुरु किया है आप को मालुम होना चाहिये की ईपीएफओ यह सरकार के सम्बधीत कानुन को ईम्पलीमेंट करने वाली अथाॅरिटी है। ईपीएफओ दफ्तर के ऊपर मोर्चे आंदोलन ना करे ऊनके साथ चर्चा कर सकते है। कुछ बाते समझ सकते है। ऊनसे क़ानूनी सलाह मशविरा लेकर केन्द्र सरकार के साथ निगोशिएशन बारगेनींग कर सकते है। लेकीन ऊनके दफ्तर के सामने जाकर ऊनके खिलाफ नारेवाजी करना नहीं चाहीये। क्यों की आप कीसी को भी अपना निवेदन देंगे तो वही निवेदन ईपीएफओ की राय के लिए ऊनके पास ही आयेगा। और ऊन्होने निवेदन पर दिया हुआ रिमार्क पाॅझीटीव मिले' ऐसा अपना व्यवहार होना चाहिये। ईसलिए नेतागण ईपीएफओ के साथ रिलेशन ठीकठाक रखने की कोशीष करे। 


ईपीएफओ के साथ कैसे बर्ताव रखना चाहीये और क्यों रखना चाहीये यह हमने हमारे वरिष्ठ नेतागण हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रकाश येंडे 'राष्ट्रीय महासचिव श्री प्रकाश पाठक और राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री भीमराव डोंगरे साहब से मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है. ईसलिए ईस अवसर पर मै ऊनका भी धन्यवाद करता हुं। आभार व्यक्त करता हुं।

यु ट्यूब और सोशल मिडीया के ऊपर आनेवाले विडीयो और मेसेजेस को 100 % सच मानने की चेष्टा ना करे। क्यो की जीस दिन सुप्रीम कोर्ट का अंतीम फैसला आयेगा ऊस दिन सरकारी चॅनेल और बाकीकी तमाम मिडीया चॅनेल यह न्युज प्रसारित जरूर करेंगे। 

धन्यवाद!!!!!!

ईसमेसे काफी कुछ ठिक नही भी लगे तो क्षमा करना क्यों की काफी दिनोसे मै जरा सोशल मिडीया से दुर होने की वजह से गलतीयां होगी। माफी चाहता हुं।

आपका ईपीएस पेंशनर.

पी. एन. पांडे.

गणेश नगर, पुलगांव,

जिल्हा: वर्धा. (महाराष्ट्र) 442 302.



 

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