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Monday, June 14, 2021

EPS 95 Higher Pension Cases Hearing: 5 साल से पेडींग ईपीएस 95 पेंशनरो की समस्या का समाधान सर्वोच्च न्यायालय कैसे हल कर सकता है

5 साल से पेडींग ईपीएस 95 पेंशनरो की समस्या का समाधान सर्वोच्च न्यायालय कैसे हल कर सकता है


अभीतक ईपीएस पेंशनरों की ओरसे न्यायप्रविष्ट मामलो मे उच्च एवंम् सर्वोच्च न्यायालय ने पेंशनरो के हक़ मे फैसले दिए है.

फिर भी ईपीएफओ और विद्यमान सरकार ऊसे मानणे से इन्कार कर रही है। अब तो सरकार ही कामगार (2016 मे सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन बढोत्तरी के दिए हुए निर्णय) के खिलाफ फिर से सुप्रीम कोर्ट मे पुनरविचार याचिका दायर करके यह सिद्ध कर दिया की देखो हमारी सरकार कितनी कामगार और कर्मचारी यों के हीत मे सोचती है, कार्य करती है।


और सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने ही दिए हुए निर्णय पर पुनरविचार याचिका मंजुर करके सरकार का फिलहाल साथ तो दिया ही है। लेकीन एक विचार विद्यमान सर्वोच्च न्यायालयाने करना चाहीये की 4 अक्टूबर 2016 को दिए हुए फैसले पर 2021 तक यदी अंमल नही होता हो तो' क्या फायदा है सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का?

पिछले 5 सालो मे करीब करीब 2 लाख से जादा पेंशनरो की मौत हो चुकी है। क्या पता और कितने पेंशनधारक आगे चल बसेंगे। ईस विद्यमान सरकार को क्या 700/800 रुपयो मे यह ईपीएस 95 पेंशनरों का जीवनयापन कैसे होता होगा यह एक साधारण सा विचार करने के लिए 7 साल लगे ह। 


ईसी सरकार मे शामिल मंत्री जब सत्ता मे नही थे तो जंतर मंतर, सेवाग्राम, नागपूर, चंद्रपुर, दिल्ली, और बहोतसे जगहो पर पेंशनरो की हजारो की सभा मे आकर पेंशनरो की समस्या को लेकर तत्कालीन केंद्र सरकार के खिलाफ और पेंशनरो की समस्या के फेवर मे लंबी चौडी स्पिच देकर कहते थे आप एक बार हमे सत्ता मे आने दो। पेंशनरो की सभी समस्या को खत्म कर देंगे।

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समस्या खत्म करने की बात तो दुर सरकार समस्या को और ऊलझाकर EPS 1995 पेंशनधारकों को परेशान कर रही है। ठिक है सुप्रीम कोर्ट का मामला तो हायर पेंशन से समंधित है, लेकीन न्यूनतम पेंशन का मामला तो संसद का मामला है। ईसे तो आप आसानी से सुलझा सकते हो। लेकीन आप तो एक ही राग अलापते रहते हो 'की सरकार पास फंड नही और EPS 95 पेंशन में बढ़ोतरी बिना बजटीय समर्थन के नही हो सकती।

अरे भई खतम करो यह बाते क्यों की आज सबसे अच्छा पैसा जमा करने का तरीका तो आपके पास प्राव्हीडंट फंड और पेंशन फंड ही तो है।

अच्छा चलो एक कॅलक्यूलेशन करके देख लो' यदी एक कामगार कर्मचारी की पेंशनेबल सॅलरी 15000 रु या ईससे ऊपर है तो आप पेंशन फंड मे 8.33% के हिसाब से ऊसके सॅलरी से 1250 रुपये हर महीना काट लेते हो। और जब ऊसकी 33 साल की पेंशनेबल सर्व्हिस हो जाएगी तो ऊसे सिर्फ 7500 रु पेंशन मिलेगी। 

अब 1250 रुपये के हिसाब से ऊसका आर. डी. का अकाऊंट खोल दो। और ऊसपर पी एफ के 8.5% के हिसाब से ब्याज दो। तो 33 साल सिर्फ आर डी अकाऊंट ही रखा तो भी ऊस कामगार के आपके पास 30 लाख से जादा की राशी EPFO के पास जमा होगी।


यदी यही किसी भी बॅंक मे एफ डी मे रखो तो आपको महीने का ब्याज ही 25000 रु के आसपास प्राप्त होगा। अब देखीए आप 25000 के जगह 7500 रुपये दोगे और बाकी के 17500 रुपये खुद ही रख लोगे और पेंशनर और ऊसकी बीबी या ऊस महीला पेंशनर का पती दोनो की म्रुत्यु होने के बाद ऊनके पुरे 30 लाख रुपये EPFO के पास जमा रहेंगे।

तो भी आप ईपीएफओ वाले सम्बधीत मंत्री 'प्रधान मंत्री को यह कैसे बताते हो सुप्रीम कोर्ट को कैसे झुठा ऍफिडेव्हिट दे सकते है ' कि यह पेंशन योजना घाटे की है। हमारे पास पेंशनरो को बढी हुई पेंशन देने के लिए फंड नही है। आप शासकीय अधिकारी है करके आप पर मंत्री, श्रममंत्री प्रधान मंत्री यहा तक की सुप्रीम कोर्ट ने भी भरोसा करके आपकी रिव्हू पिटीशन दाखिल कर ली है।


जब सुप्रीम कोर्ट को असलीयत का पता चलेगा तो यही माननीय मोदी जी आप जैसे को कोर्ट को गुमराह करने वाले अधिकारी को कैसी सजा देना है ईसलिए कानुन मे संशोधन करेगी। ऐसा ईपीएस पेंशनधारकों को विश्वास है।

तो चलते है 5 साल से पेडींग 60 केसेस जो सुप्रीम कोर्ट मे है ऊसे जल्द से जल्द खत्म करते है। अभी शायद 26 जुन से सुप्रीम कोर्ट का कामकाज फीर से शुरु हो सकता है।  तो 23 मार्च 2021 से डे टू डे होनेवाली सुनावाई अब श्री रमन सर सर्वोच्च न्यायाधीश महोदय ईसे सर्वोच्च वरीयता देकर ईस पर स्पष्ट निर्णय देंगे यही प्रार्थना करते है।


मेरे स्पष्ट निर्णय का मतलब यही है की 4/10/2016 के जजमेंट मे यह लिखा था की बढी हुई पेंशन देते वक्त जितना हो सके ऊतना कामगार कर्मचारी ईनके फेवर मे ईपीएफओ काम करे, और बुक अडजेस्टमेंट करे। 

बुक अडजेस्टमेंट का मतलब यही था की यदी किसी का कोर्ट के जजमेंट के हिसाब से 7 लाख रुपये एरीअर्स निकलता है, और ऊसे 5 लाख रुपये ईपीएफओ को भरणा है तो आप ऊसके 7 लाख रुपये मे से 5 लाख रुपये मायनस करके 2 लाख रुपये पेंशनर के खाते मे जमा करे। लेकीन ईपीएफओ वाले अधिकारीयोने ईसका गलत अर्थ निकाल कर सभी को सबसे पहले पैसे भरो बादमे आपको बढी हुई पेंशन का लाभ प्राप्त करो  कहा। यहा एक बात समझने की है की 10 साल पहले यदी रिटायर्ड हो चुका गरीब कामगार जीसे आज मार्केट मे कोई 100 रुपये नही देता वो कहा से पैसे लाकर ईपीएफओ मे जमा करेगा? ईसका मतलब तो यही होगा जीसके पास पैसा होगा ऊसे ही बढी हुई पेंशन का लाभ मिलेगा। और जिनके पास पैसा नही वह बिचारा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी न्याय से वंचित रहेगा।


अबकी बार माननीय श्रममंत्री महोदय को मिनीमम पेंशन बढाने मे कतई दिक्कत नही होनी चाहीये। क्यों की ऊपर बताए हिसाब से आपको कभी भी पैसे की कमी नही आ सकती और अभी भी काफी काॅरपस फंड EPFO के पास जमा है। और हाॅ यह जो मिनीमम पेंशन वाले लोग वो लोग है जो शुरूवाती दौर मे EPS 95 पेंशन योजना को सफल बनाने मे EPFO के साथ थे।  ईपीएफओ के कुछ सिनीयर्स को याद होगा की शुरूवाती दौर मे रीजनल प्राव्हीडंट फंड कमिशनर कंपनीयोमे जा जाकर ईपीएस 95 पेंशन योजना कैसे अच्छी है ईस योजना मे हर साल रिव्हू होगा आपकी पेंशन हर साल बढेगी, यह सब बताते हुए ईस पेंशन योजना का प्रचार किया करते थे।


चलो आगे बढते है। मिनीमम पेंशन वाले लोग दिनोदिन कम होनेवाले लोग है ईन्हे तडफाना मत। अगस्त 2021 मे संसद के सत्र मे मिनीमम पेंशन का मुद्दा हल करते हुए सभी ईपीएस 95 पेंशनरों के चेहरे पे ईस देश के 20 करोड से अधिक विद्यमान कामगार कर्मचारी यों को संतोष दिखना चाहीये और दिखेगा भी क्यो नहीं 'क्यों की जीस देश के  श्रममंत्री आदरणीय श्री संतोष कुमार गंगवार जी है। और पुराने श्रममंत्री आदरणीय श्री बंडारु दत्तात्रय साहब ने महाराष्ट्र शीर्डी के साईबाबा के सामने ईपीएस 95 पेंशनरो को दिए हुए आश्वासन की पुर्ती जरूर करेंगे।  ईसी आशा के साथ सब को प्रणाम। 


और एक बात बहोत दिनो से कहने की सोच रहा था' आज कह देता हु। बात यह है कि कुछ नेतागण जिन्होने अभी अभी काम शुरु किया है आप को मालुम होना चाहिये की ईपीएफओ यह सरकार के सम्बधीत कानुन को ईम्पलीमेंट करने वाली अथाॅरिटी है। ईपीएफओ दफ्तर के ऊपर मोर्चे आंदोलन ना करे ऊनके साथ चर्चा कर सकते है। कुछ बाते समझ सकते है। ऊनसे क़ानूनी सलाह मशविरा लेकर केन्द्र सरकार के साथ निगोशिएशन बारगेनींग कर सकते है। लेकीन ऊनके दफ्तर के सामने जाकर ऊनके खिलाफ नारेवाजी करना नहीं चाहीये। क्यों की आप कीसी को भी अपना निवेदन देंगे तो वही निवेदन ईपीएफओ की राय के लिए ऊनके पास ही आयेगा। और ऊन्होने निवेदन पर दिया हुआ रिमार्क पाॅझीटीव मिले' ऐसा अपना व्यवहार होना चाहिये। ईसलिए नेतागण ईपीएफओ के साथ रिलेशन ठीकठाक रखने की कोशीष करे। 


ईपीएफओ के साथ कैसे बर्ताव रखना चाहीये और क्यों रखना चाहीये यह हमने हमारे वरिष्ठ नेतागण हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रकाश येंडे 'राष्ट्रीय महासचिव श्री प्रकाश पाठक और राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री भीमराव डोंगरे साहब से मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है. ईसलिए ईस अवसर पर मै ऊनका भी धन्यवाद करता हुं। आभार व्यक्त करता हुं।

यु ट्यूब और सोशल मिडीया के ऊपर आनेवाले विडीयो और मेसेजेस को 100 % सच मानने की चेष्टा ना करे। क्यो की जीस दिन सुप्रीम कोर्ट का अंतीम फैसला आयेगा ऊस दिन सरकारी चॅनेल और बाकीकी तमाम मिडीया चॅनेल यह न्युज प्रसारित जरूर करेंगे। 

धन्यवाद!!!!!!

ईसमेसे काफी कुछ ठिक नही भी लगे तो क्षमा करना क्यों की काफी दिनोसे मै जरा सोशल मिडीया से दुर होने की वजह से गलतीयां होगी। माफी चाहता हुं।

आपका ईपीएस पेंशनर.

पी. एन. पांडे.

गणेश नगर, पुलगांव,

जिल्हा: वर्धा. (महाराष्ट्र) 442 302.



 

Thursday, June 10, 2021

Good News for EPF/EPS Members: EPF/EPS सदस्यों के खातों में जुलाई अंत तक आ सकता है पैसा, सरकार ने दी मंजूरी जानिए कितनी राशि होगी जमा

CHECK YOUR EPF BALANCE NOW


कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच EPFO (Employees' Provident Fund) के 6 करोड़ खाताधारकों को अगले महीने जुलाई अंत तक खुशखबरी मिलने वाली है। सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि सब्सक्राइबर्स के PF अकाउंट में जुलाई में मोटी रकम आने वाली है, क्योंकि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 8.5 परसेंट ब्याज सब्सक्राइबर्स के अकाउंट में ट्रांसफर कर सकता है, सरकार ने इसे हरी झंडी दे दी है।


Good News! EPFO सब्सक्राइबर्स के खातों में जुलाई अंत तक आ सकता है 8.5 परसेंट ब्याज?

मिली जानकारी के मुताबिक श्रम मंत्रालय की मंजूरी के बाद EPFO के सब्सक्राइबर्स के खातों में ये 8.5 परसेंट ब्याज की ये रकम जुलाई के अंत तक आ जाएगी। मंत्रालय से मंजूरी के बाद जल्द ही ट्रांसफर की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। इसके पहले पिछली बार वित्त वर्ष 2019-20 में भी KYC में हुई गड़बड़ी की वजह से ब्याज मिलने में कई सब्सक्राइबर्स को 8 से 10 महीने का लंबा इंतजार करना पड़ा था। देश में 6.44 करोड़ लोग PF के दायरे में आते हैं।

आपको बता दें कि EPFO ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए ब्याज दरों को बिना बदलाव के 8.5 परसेंट पर बरकरार रखने का फैसला लिया था जो कि पिछले 7 साल के निचले स्तर की ब्याज दर है। इसके पहले वित्त वर्ष 2013 में EPF पर ब्याज दरें 8.5 परसेंट थीं। पिछले साल मार्च में EPFO ने ब्याज को रिवाइज किया था। इसके पहले वित्त वर्ष 2019 में EPF पर 8।65 परसेंट ब्याज मिलता था। EPFO ने वित्त वर्ष 2018 में 8.55 परसेंट ब्याज दिया था, जो कि इसके पहले वित्त वर्ष 2016 में ये 8.8 परसेंट था। इसके पहले वित्त वर्ष 2014 में ये 8.75 परसेंट था।


इसके अलावा EPF खाताधारकों को दूसरी बार मिली PF एडवांस निकालने सुविधा

इसके अलावा कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए EPFO ने अपने करोड़ों खाताधारकों को एक बार फिर राहत दी है। EPFO ने दूसरी बार PF से एडवांस रकम निकालने की फैसिलिटी दी है। इसके पहले पिछले साल मार्च में EPFO ने अपने सब्सक्राइबर्स को ये राहत दी थी कि वो अपना PF का पैसा एडवांस में निकाल सकते हैं। निकाली गई ये रकम भी नॉन रीफंडेबल है, यानी इसको लौटाने की जरूरत नहीं है। जितनी रकम निकालेंगे, उतनी रकम को उनके PF बैलेंस से घटा दिया जाएगा।


Sunday, May 2, 2021

Good News For EPS 95 Pensioners: Kerala High Court Dismisses Review Petition Filed By EPFO & CBT, Kerala High Court Order


IN THE HIGH COURT OF KERALA AT ERNAKULAM

PRESENT

THE HONOURABLE MR. JUSTICE RAJA VIJAYARAGHAVAN V

THURSDAY, THE 08TH DAY OF APRIL 2021 / 18TH CHAITHRA, 1943

RP. No. 267 OF 2021 IN WP(C). 26944/2019

AGAINST THE JUDGMENT IN WP(C) 26944/2019(P) OF HIGH COURT OF KERALA

REVIEW PETITIONER/RESPONDENTS 2 & 3 IN WPC:

1. BOARD OF TRUSTEES OF EMPLOYEES PROVIDENT FUND ORGANIZATION,  REPRESENTED BY THE CENTRAL PROVIDENT COMMISSIONER, BHAVISYA NIDHI BHAVAN, 14, BHIKAJI CAMA PALACE, NEW DELHI-110 066

2. REGIONAL PROVIDENT FUND COMMISSIONER, EPF ORGANISATION, SUB REGIONAL OFFICE, BHAVISHYANIDHI BHAVAN, KALOOR, COCHIN-682 017


BY ADV. SRI.SAJEEV KUMAR K.GOPAL

RESPONDENTS/PETITIONER 1 & RESPONDENTS 1 & 4 IN WPC:

1 T. RADHAKRISHNAN,  S/O. LATE THANKAPPAN ASARI, NEERCHALIL HOUSE, MANATHUPADOM ROAD, UNICHIRA, ERNAKULAM-682 033, (P.F.NO.KR/2729/175)(PPO NO.KR/ KCH/ 00083431)

2 UNION OF INDIA, REPRESENTED BY ITS SECRETARY, MINISTRY OF LABOUR AND EMPLOYMENT, GOVERNMENT OF INDIA, SHRAM SHAKTI BHAVAN, RAFI MMARG, NEW DELHI-110 001

3 ERNAKULAM REGIONAL CO-OPERATIVE MILK PRODUCERS UNION LTD. NO.E-150 (D),REPRESENTED BY ITS MANAGING DIRECTOR, HEAD OFFICE EDAPPALLY, COCHIN-682 024

SRI K SUDHINKUMAR, SC


THIS REVIEW PETITION HAVING COME UP FOR ADMISSION ON 08.04.2021, THE COURT ON THE SAME DAY PASSED THE FOLLOWING:

ORDER

This Review Petition is preferred seeking review of the judgment dated 18.2.2020 in W.P.(C) No.26944 of 2019. 

2. I have heard Sri. Sajeev Kumar K. Gopal, the learned counsel appearing for the review petitioner and Sri. Prakash M.P., the learned counsel appearing for the party respondent.

3. It is by now settled that review of a judgment is permitted only when it is shown that the judgment suffers from any error apparent on the face of the record.


4. The contention advanced by the petitioner while seeking review of the judgment, is that though the challenge raised by the EPFO to the judgment of a Division Bench of this Court in Sasikumar P. V. Union of India and Ors.1 was repelled by the Apex Court in SLP(C) No.8658-8659 of 2019, a review petition filed against the judgment was entertained by the Apex Court and the same is pending. It is also submitted that the Central Government has also preferred an appeal and the same is pending. It is further submitted that their Lordships of the Division Bench in the judgment dated 21.12.2020 in W.A.No.944/2020 had expressed doubts about the correctness of Sasikumar (supra). According to the petitioner, as this Court in the judgment under Review placed profused reliance on Sasikumar (supra), due to the aforesaid reasons, the judgment is to be reviewed.


5. I have considered the submissions advanced.

6. The power of review may be exercised on the discovery of new and important matter or evidence which, after the exercise of due diligence was not within the knowledge of the person seeking the review or could not be produced by him at the time when the order was made; it may be exercised where some mistake or error apparent on the face of the record is found; it may also be exercised on any analogous ground. But, it may not be exercised on the ground that the decision was erroneous on merits. That would be the province of a court of appeal. A power of review is not to be confused with appellate powers which may enable an appellate court to correct all manner of errors committed by the subordinate court.

7. In Haridas Das vs. Usha Rani Banik (Smt.) and Others2, while considering the scope and ambit of Section 114 CPC read with Order 47 Rule 1 CPC it is observed and the Apex Court had occasion to hold as follows in paragraph 13 to 18 as under:


“ 13. In order to appreciate the scope of a review, Section 114 CPC has to be read, but this section does not even adumbrate the ambit of interference expected of the court since it merely states that it ‘may make such order thereon as it thinks fit’. The parameters are prescribed in Order 47 CPC and for the purposes of this lis, permit the defendant to press for a rehearing ‘on account of some mistake or error apparent on the face of the records or for any other sufficient reason’. The former part of the rule deals with a situation attributable to the applicant, and the latter to a jural action which is manifestly incorrect or on which two conclusions are not possible. Neither of them postulate a rehearing of the dispute because a party had not highlighted all the aspects of the case or could perhaps have argued them more forcefully and/or cited binding precedents to the court and thereby enjoyed a favourable verdict. This is amply evident from the Explanation to Rule 1 of Order 47 which states that the fact that the decision on a question of law on which then judgment of the court is based has been reversed or modified by the subsequent decision of a superior court in any other case, shall not be a ground for the review of such judgment. Where the order in question is appealable the aggrieved party has adequate and efficacious remedy and the court should exercise the power to review its order with the greatest circumspection.


14. In Meera Bhanja v. Nirmala Kumari Choudhury, [(1995) 1 SCC 170] it was held that:

“8. It is well settled that the review proceedings are not by way of an appeal and have to be strictly confined to the scope and ambit of Order 47 Rule 1 CPC. In connection with the limitation of the powers of the court under Order 47 Rule 1, while dealing with similar jurisdiction available to the High Court while seeking to review the orders under Article 226 of the Constitution, this Court, in Aribam Tuleshwar Sharma v. Aribam Pishak Sharma, (1979) 4 SCC 389 speaking through Chinnappa Reddy, J. has made the following pertinent observations:

‘It is true there is nothing in Article 226 of the Constitution to preclude the High Court from exercising the power of review which inheres in every court of plenary jurisdiction to prevent miscarriage of justice or to correct grave and palpable errors committed by it. But, there are definitive limits to the exercise of the power of review. The power of review may be exercised on the discovery of new and important matter or evidence which, after the exercise of due diligence was not within the knowledge of the person seeking the review or could not be produced by him at the time when the order was made; it may be exercised where some mistake or error apparent on the face of the record is found, it may also be exercised on any analogous ground. But, it may not be exercised on the ground that the decision was erroneous on merits. That would be the province of a court of appeal. A power of review is not to be confused with appellate power which may enable an appellate court to correct all manner of errors committed by the subordinate court.’” 

15. A perusal of Order 47 Rule 1 shows that review of a judgment or an order could be sought: (a) from the discovery of new and important matters or evidence which after the exercise of due diligence was not within the knowledge of the applicant; (b) such important matter or evidence could not be produced by the applicant at the time when the decree was passed or order made; and (c) on account of some mistake or error apparent on the face of the record or any other sufficient reason.


16. In Aribam Tuleshwar Sharma v. Aribam Pishak Sharma, AIR 1979 SC 1047, this Court held that there are definite limits to the exercise of power of review. In that case, an application under Order 47 Rule 1 read with Section 151 of the Code was filed which was allowed and the order passed by the Judicial Commissioner was set aside and the writ petition was dismissed. On an appeal to this Court it was held as under: (SCC p. 390, para 3) “It is true as observed by this Court in Shivdeo Singh v. State of Punjab, AIR 1963 SC 1909 there is nothing in Article 226 of the Constitution to preclude a High Court from exercising the power of review which inheres in every court of plenary jurisdiction to prevent miscarriage of justice or to correct grave and palpable errors committed by it. But, there are definitive limits to the exercise of the power of review. The power of review may be exercised on the discovery of new and important matter or evidence which, after the exercise of due diligence was not within the knowledge of the person seeking the review or could not be produced by him at the time when the order was made; it may be exercised where some mistake or error apparent on the face of the record is found; it may also be exercised on any analogous ground. But, it may not be exercised on the ground that the decision was erroneous on merits. That would be the province of a court of appeal. A power of review is not to be confused with appellate powers which may enable an appellate court to correct all manner of errors committed by the subordinate court.”


17. The judgment in Aribam case has been followed in Meera Bhanja. In that case, it has been reiterated that an error apparent on the face of the record for acquiring jurisdiction to review must be such an error which may strike one on a mere looking at the record and would not require any long drawn process of reasoning. The following observations in connection with an error apparent on the face of the record in Satyanarayan Laxminarayan Hegde v. Millikarjun Bhavanappa Tirumale, AIR 1960 SC 137 were also noted: “An error which has to be established by a long drawn process of reasoning on points where there may conceivably be two opinions can hardly be said to be an error apparent on the face of the record. Where an alleged error is far from self evident and if it can be established, it has to be established, by lengthy and complicated arguments, such an error cannot be cured by a writ of certiorari according to the rule governing the powers of the superior court to issue such a writ.”


8. The petitioner has not been able to show that there is any error manifest on the face of the order. What is contended is that proceedings are pending before superior courts and in that view of the matter, the judgment ought to be reviewed. It is settled that while considering an application for review, the court must confine its adjudication with regard to the material which was available at the time of initial decision. The happening of some subsequent event or development cannot be taken note of for declaring the initial order/decision as vitiated by an error apparent. It is also settled that review is not maintainable on the basis of a subsequent decision/judgment of a co-ordinate or larger bench of the court or of a superior court. A review petition can by no means be an appeal in disguise.


Having considered the matter in all perspectives, I find that the petitioner has not made out any grounds for review. This review petition will stand dismissed. 

Sd/-

RAJA VIJAYARAGHAVAN V 

NS JUDGE



Sunday, April 25, 2021

EPFO के नियमोंमें हुआ बड़ा बदलाव सभी EPS 95 पेंशनर, EPF सदस्य परेशानी से बचने के लिए जाने नए नियम, नए नियम 26 अप्रेल लागू


शहर में बढ़ते कोविड - 19 मामलों पर ध्यान देते हुए, ईपीएफओ-अंबत्तूर क्षेत्र के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (जीआर-आई), सौरभ स्वामी ने 26 अप्रैल से अंबात्तूर कार्यालय में सीधे सार्वजनिक बातचीत को निलंबित कर दिया है।


लोग निम्नलिखित नंबरों को डायल करके कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं: 044-26350080, 26350110, 26350120, 7598846548, 7010106930 और 701016529। सदस्य व्हाट्सएप ऑटो रिस्पॉन्डर 8903766548 का उपयोग करके कॉल बैक विकल्प के लिए पंजीकरण कर सकते हैं या आधिकारिक ट्विटर हैंडल और और फेसबुक पेज के माध्यम से संदेश भेज सकते हैं। साथ ही दस्तावेज़ जमा करने के लिए ड्रॉप बॉक्स सुविधाओं का उपयोग किया जा सकता है।

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Friday, March 19, 2021

Good News for EPS 95 Pensioners: जल्द होगी EPS 95 पेंशन बढ़ोतरी मा. सांसद श्रीमती हेमा मालिनी जी ने फिर दिलाया EPS 95 पेन्शनर्स को विश्वास

National Agitation Committee


मा. सांसद श्रीमती हेमा मालिनी जी ने फिर दिलाया EPS 95 पेन्शनर्स को विश्वास। NAC के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री आशाराम शर्मा ने मा.सांसद श्रीमती हेमा मालिनी जी से मुलाकात की।

NAC चीफ मा. कमांडर अशोक राऊत जी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री आशाराम शर्मा ने 3 सदस्यीय टीम के साथ दिनांक 17.3.2021 को मा. सांसद श्रीमती हेमा मालिनी जी से दिल्ली में मुलाकात की व EPS 95 पेंशन धारकों की समस्यायों के संदर्भ में विस्तार से चर्चा की।


इस संदर्भ में मा. श्रीमती हेमा मालिनी जी ने बताया "कि पेंशनर्स की मांगों के समर्थन में मेरा पूरा प्रयास जारी है, संबंधित महानुभावों से मेरी बातचीत भी जारी है, वह पेंशनर्स के साथ है व पेंशनर्स की मांगों को पूर्ण करवाने हेतु वचनबद्ध भी है" साथ ही मा. श्रीमती हेमा मालिनी जी ने संगठन को थोड़ा सा और धैर्य रखने की सलाह दी।

ज्ञातव्य हो कि दिनांक 4 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री जी द्वारा स्वयं हेमा जी की उपस्थिति में NAC के प्रतिनिधियों को आश्वासन भी दिया गया था और संबंधित मंत्री महोदय को दिशा निर्देश भी दिए गए थे तभी से यह वृद्ध पेंशन धारक आशा भरी नज़रों से प्रधानमंत्री जी की ओर देख रहे है।



यह भी ज्ञातव्य हो कि NAC संगठन द्वारा सभी आंदोलन वापिस ले लिए गए है लेकिन NAC के मुख्यालय बुलढाणा (महाराष्ट्र) में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने क्रमिक अनशन अखंडित जारी है व आज अनशन का 817 वा दिन है।


 

Tuesday, February 9, 2021

EPS 95 PENSION NEWS: कई EPS-95पेंशनधारकों को लग सकता है झटका, 1 मार्च से बंद हो सकती है आपकी पेंशन

EPS 95 PENSION HIKE 7500+DA LATEST NEWS | EPS 95 PENSION HIKE NEWS

कर्मचारी पेंशन योजना के तहत सभी पेंशनर्स को महीने की पेंशन पाने के लिए हर साल डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट या किसी भी माध्यम से जीवित होने का प्रमाण पत्र जमा करना होता है।  EPFO के 135 क्षेत्रीय कार्यालय और 117 जिला कार्यालय के अलावा पेंशनभोगी नजदीकी डाकघर में जाकर जीवन प्रमाण पत्र जमा करा सकते हैं। देश भर में 3.65 लाख से अधिक साझा सेवा केंद्र (CSC) और उमंग एप्स भी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र को जमा किया जा सकता है।


इसके अलावा बुजुर्गों का ध्यान में रखकर जीवन प्रमाण पत्र की सुविधा घर तक पहुंचाने का कार्य किया गया है। ₹70 शुल्क के साथ 48 घंटे में नजदीकी डाक ऑफिस से डाककर्मी डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र घर तक पहुंचाने का काम करते हैं। इसके लिए डाक विभाग की वेबसाइट या मोबाइल ऐप के जरिए आवेदन किया जा सकता है।

श्रम मंत्रालय के अनुसार कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (EPS-95) के तहत सभी EPS 95 पेंशनधारकों को जीवित होने का प्रमाण पत्र या डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करवाना अनिवार्य होता है। वही कोरोना की गंभीर समस्या को देखते हुए कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के पेंशनभोगियों को डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा कराने के लिए कई विकल्प उपलब्ध कराए गए हैं।


कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन भी बंद हो सकती है दरसल कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अक्टूबर 2020 में गाइडलाइन जारी की थी जिसके मुताबिक कर्मचारियों को 28 फरवरी 2021 तक डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र या फिर किसी भी माध्यम से जीवित होने का प्रमाण पत्र या फिर पोस्ट ऑफिस में जाकर जीवन प्रमाण पत्र जमा कराने हैं। 28 फरवरी तक अगर ऐसा नहीं किया गया तो पेंशनधारकों को मिलने वाली पेंशन बंद हो जाएगी। नियम के मुताबिक 1 मार्च 2021 के बाद जिन्होंने डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा नहीं किया है ऐसे पेंशनधारकों की पेंशन को उनके खाते से जमा नहीं की जाएगा।


बता दें कि कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए ईपीएफओ मुख्यालय द्वारा 1 नवंबर 2020 को जीवन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया था। जिसके बाद से पिछले जीवन प्रमाण पत्र की जारी तारीख से लेकर साल भर तक डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र की मान्यता मानी जाएगी। साथ ही ईपीएफओ ने बैंक पोस्ट ऑफिस को डीजिटल जीवन प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए थे।

इसलिए अगर आपने भी अभी तक आपका जीवित होने का प्रमाण पत्र जमा नहीं किया है तो आप 28 फरवरी 2021 के पहले अपना जीवित होने का प्रमाण पत्र बताए गए माध्यमों में से जीवन प्रमाण पत्र जमा करवा दीजिए। ताकि आपकी पेंशन बंद ना हो जाए।


सभी को अवगत है कि 28 फरवरी 2021 जीवित होने का प्रमाण पत्र जमा करने के लिए अंतिम तारीख दी गई है। अगर किसी पेंशनधारक द्वारा इस तारीख तक अपना जीवन प्रमाण पत्र जमा नहीं किया जाता है तो ऐसे में ईपीएफओ द्वारा उसकी पेंशन को रोक दिया जाएगा। और ईपीएफओ द्वारा एक बार पेंशन रोकी गई तो आपको जब तक आप आपका जीवन प्रमाण पत्र जमा नहीं करेंगे तब तक आपकी पेंशन को शुरू नहीं कि जाएगी।

इसलिए 28 फरवरी से पहले आप आपका जीवित होने का प्रमाण पत्र अपने नजदीक के ईपीएफओ कार्यालय या फिर पोस्ट ऑफिस में जाकर या फिर आपके बैंक में जाकर जहां पर आपकी पेंशन जमा होती है वहां पर आप जमा कर सकते हैं।


 

Tuesday, January 5, 2021

EPFO ORGANISATION SHOULD PAY JUSTICE FOR EPS 95 PENSIONERS

EPS 95 PENSION HIKE NEWS | HIGHER PENSION


EPFO is playing an intellectual after thought tactics of blissful ignorance akin to asking the story to be retold after the same was told fully. 30 months have lapsed since the Division Bench of Kerala High Court after two years long examination of the case quashed in toto the 2014 Amendments to EPS 1995. The said Judgement of the Division Bench mandated the EPFO to accept EPS contribution on actual salary basis from those who opt for it and distribute eligible pension accordingly. Pending of Review Petition by the EPFO against the Judgement of the Supreme Court upholding the impugned Judgment of the Kerala High Court is not a legally justifiable reason for the EPFO for not implementing the KHC Order across the Nation. Which is why the spate of Contempt of Court Cases filed by numerous affected petitioners against the EPFO who did not implement the Orders, were disposed off in favor of the petitioners.


Despite all these, the Ministry of Labour and Employment is doing injustice tantamount to cheating the EPF and EPS members by not honoring the Judicial Orders and not notifying the required amendments to the rules. It is beyond doubt that Ministry of Labor is encouraging the EPFO to postpone ad infinitum implementation of Judicial Orders and sabotage discharge of justice. One can not be blamed for his genuine doubt about the merciless mindset of the Government and the EPFO who appear to be waiting for the natural death of those hapless pensioners who have been crying for their rightful better pension than the present pittance.


The latest argument put forward by the EPFO to thwart the EPS 1995 is very strange. They argue that the provision for availing pension based on the actual salary by remitting the arrears of differential contribution with interest now is detrimental to the interest of those EPS members who remitted their due contribution to the scheme based on actual salary ab initio. With this they are trying to sanctify those illegal amendments to the Scheme which were set aside with strong reservations by the Supreme Court. The Judgement of the Supreme Court in 2016 SLP has categorically directed the EPFO not to make the benign employee welfare friendly EPS 1995 an employee hostile one by their irrational imposition of restrictive conditions of dividing pensioners into different classes, cut off date for submitting statutory options etc.


Employees were compelled to make huge sum of fund to EPFO towards arrear contribution based on their actual wages with prescribed interest either after their retirement or at the time of retirement because of the imposition of the ceiling for pensionable salary, cut off date for submitting option for full salary contribution etc. It is when the Supreme Court and High Courts of India clarified that these indiscriminate conditions are illegal that the EPS members were allowed to make such lumpsum arrear contributions to EPS 1995. It is as per the direction of the Apex Court of the Country that both retired and serving EPS 1995 members remit the contribution based on their actual wages. It looks strange that this state of affairs created by the illegal action of the EPFO is detrimental to the interest of those who otherwise remitted their contribution to EPS 1995 based on their salary without any statutory ceiling. The EPFO is hiding the fact that 2014 amendments to the Scheme denied even this miniscule pension benefit to those who draw monthly salary above Rs 15,000/-


Lately, a Division Bench of Kerala High Court, considering the argument of the EPFO for its face value has referred to the Full Bench of the High Court the Writ Appeal filed the EPFO against the judgements in a bunch of similar Writ Petitions, seeking examination and judgement on the argument of the EPFO that extension of benefit of pension proportionate to the actual salary as directed by the Supreme Court and High Court would detrimentally affect the interest of those pensioners who remitted their contribution on actual salary basis ab initio thereby depleting the pension fund corpus.


This has created an unfortunate stalemate for those pensioners who had remitted their due past contribution with interest as calculated and directed by the EPFO and are waiting for their revised pension accordingly. Delayed justice is denied justice is a dictum upheld by the Apex Court. The Authorities should not be unmindful to the grave injustice meted out to these senior citizens who are crying for justice in the evening of their life. At least at this late and last stage, the Centre should come forward to notify the required amendments to the Scheme in accordance with the directions of Supreme Court Judgement in 2016 and Kerala High Court Judgement in 2018. This is the felt need of the day of not only the EPF pensioners but of the of the crores of EPF members.


 

Saturday, December 12, 2020

Good News For EPFO Subscriber: EPF सदस्यों को 8.5% की दर से ही मिलेगा ब्याज का एक साथ पेमेंट

CHECK YOUR PF BALANCE | EPF PASSBOOK DOWNLOAD


नमस्कार PF खाताधारकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी निकल कर आई है क्योंकि निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए PF खाते में जमा राशि पर जो ब्याज जमा होता है वह अभी EPFO द्वारा जमा नहीं किया गया है। जो एकमुश्त जमा किया जा सकता है। सभी को अवगत हैं कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए EPFO द्वारा EPF खाते में जमा राशि पर 8.5 फ़ीसदी की ब्याज घोषित किया गया है। EPFO द्वारा ब्याज की रकम EPF खाताधारकों के खाते में अभी तक जमा नहीं की गई है।


सितंबर 2020 में केंद्रीय न्यास बोर्ड की बैठक में बताया गया था कि EPFO द्वारा यह जो रकम है वह दो किस्तों में जमा किया जाएगी जिसमें से पहली किस्त दिवाली में जमा किया जाएगा और बाकी बचा हुआ दूसरा किस्त दिवाली के बाद जमा किया जाएगा और यह दिसंबर तक किया जाएगा। पर अभी तक की EPF खाताधारकों के खाते में ना तो पहला  क़िस्त आया ना ही दूसरा क़िस्त। ऐसे मैं मिली जानकारी में बताया गया है कि EPF खाताधारको के EPF खाते में अभी तक जमा राशि पर एकमुश्त ब्याज जमा किया जाएगा। इसके लिए ईपीएफओ द्वारा एक बयान भी जारी किया गया है।


EPF खाताधारकों के लिए यह जो अच्छी खबर है इससे लगभग 19 करोड़ कर्मचारियों को फायदा होगा जो EPF में अपना अंशदान करते हैं EPF खाते में जो ब्याज दर घोषित किया गया है तो वह अभी 8.5 फ़ीसदी के हिसाब से ही EP खाताधारकों के खाते में जमा किया जाएगा। मीडिया की खबरों के मुताबिक EPFOद्वारा EPF खाताधारकों के खाते में एकमुश्त ब्याज की रकम डालने के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है। इसके लिए श्रम मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय को एक पत्र भी भेजा गया है, इस पत्र का जवाब वित्त मंत्रालय से अभी आना बाकी है। बताया जा रहा है कि श्रम मंत्रालय द्वारा यह जो पत्र भेजा गया है तो इसके ऊपर श्रम मंत्रालय से 1 सप्ताह के भीतर जवाब मिल सकता है। और उसके बाद रास्ता साफ हो जाएगा। 


EPFO के एक वरिष्ठ अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक बाजार में तेजी के कारण 3 महीने पहले लगाए गए अनुमान के मुताबिक EPFO के पास दोगुनी अधिशेष रकम जमा हो गई है। इससे EPFO द्वारा यह जो बड़ा फैसला है वह लिया जा सकता है। कर्मचारियों को ब्याज की रकम का भुगतान करने के संबंध में केंद्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय को एक पत्र भेजा गया है। जिसमें लगभग 19 करोड EPF खाताधारकों के खाते में 8.5 फ़ीसदी ब्याज भुगतान करने की बात कही गई है। हालांकि इस पर वित्त मंत्रालय से अभी जवाब नहीं आया है, जो 1 सप्ताह के भीतर आ सकता है।


अभी जान लेते हैं कि EPFO द्वारा यह जो एकमुश्त रकम है वह कैसे किया जा सकती है। EPFO अधिकारी ने बताया है कि दिसंबर तक धैर्य बनाए रखने से सभी को लाभ हुआ है। PF खाताधारकों के खाते में ब्याज में आने में थोड़ा अधिक समय जरूर लगा है लेकिन अच्छी बात यह है कि EPFO को ETF की बिक्री से अधिक आमदनी प्राप्त हुई है। 8.5 फ़ीसदी के हिसाब से ब्याज की रकम देने के बाद भी EPFO के पास लगभग ₹1000 अतिरिक्त जमा रहेंगे।  EPFO को यह जो बड़ा फायदा हुआ है जिसकी वजह से अभी EPFO द्वारा EPF खाताधारकों के खाते में EPF पर मिलने वाले ब्याज की रकम है वह एकमुश्त जमा किए जा सकती है।


तो जिहा अभी EPF खाताधारकों को दिसंबर के महीने तक इंतजार करना होगा क्योंकि दिसंबर महीने में ही पीएफ खाताधारकों के खाते में EPFO द्वारा ब्याज की रकम जमा की जा सकती है। और EPFO द्वारा पीएफ खाताधारकों को नए साल का तोहफा दिया जा सकता है। तो EPF खाताधारकों के लिए जो एक अच्छी खबर निकल कर आई थी तो उसी खबर के बारे में अभी हमने आपको जानकारी दी है, तो इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए और ऐसे ही इस ब्लॉग के साथ बने रहिए ताकि आपके लिए जो भी अपडेट आए तो वह आपको पता चल सके।



Monday, October 19, 2020

EPFO LATST NEWS | EPS 95 Pension hike demand by Parliamentary standing committee | Parliamentary panel to scrutinize EPFO corpus, benefit to Employees & Pensioners

ईपीएफओ कॉर्पस की जांच करने के लिए संसदीय पैनल, श्रमिकों को लाभ
  • पिछले एक साल में यह पहला मौका है जब ईपीएफओ संसदीय जांच के दायरे में आएगा
  • श्रम पर स्थायी समिति भी श्रमिक वर्ग, संगठित और असंगठित क्षेत्रों के लिए ईपीएफओ को अधिक उपयोगी बनाने के तरीकों पर गौर करने की योजना बना रही है। 

श्रम संबंधी संसदीय समिति अपनी आगामी बैठक में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत 10 खरब रुपये के कोष की जांच करने के लिए तैयार है और यह निधि प्रबंधन और किए गए निवेश के प्रदर्शन को भी देखेगी। पिछले एक साल में यह पहला मौका है जब ईपीएफओ संसदीय जांच के दायरे में आएगा।


21 अक्टूबर को मिलने वाली अनुसूचित श्रम समिति, ईपीएफओ को कामकाजी-वर्ग, संगठित और असंगठित क्षेत्रों के लिए अधिक उपयोगी बनाने के तरीकों पर गौर करने की योजना बना रही है। पहले EPFO ​​केवल संगठित क्षेत्र के श्रमिकों तक ही सीमित था, लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने प्रधान मंत्री श्रम योगी जन-धन योजना की शुरुआत करके इस योजना को असंगठित क्षेत्र तक बढ़ा दिया। केंद्रीय योजना लोगों को ईपीएफओ और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के बीच चयन करने का अवसर देती है।

“ईपीएफओ, पिछले एक साल में 10 लाख करोड़ रुपये के कोष प्रबंधन की कोई जांच नहीं हुई है। चूंकि फंड मैनेजरों ने अब शेयर बाजारों में निवेश शुरू कर दिया है, हम इन योजनाओं के प्रदर्शन का आकलन करना चाहते हैं, "एक व्यक्ति ने विकास के बारे में बताया।


प्रधान मंत्री श्रम योगी मान-धन योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तहत केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जो विशेष रूप से असंगठित श्रमिकों की बुढ़ापे की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के लिए है, जो मुख्य रूप से रिक्शा चालक, स्ट्रीट वेंडर, हेड लोडर के रूप में लगे हुए हैं। ईंट भट्ठा मजदूर, कोबलर्स, चीर बीनने वाले, घरेलू कामगार, कृषि और निर्माण श्रमिक, चमड़े के उद्योग में हथकरघा श्रमिकों और श्रमिकों के साथ।

श्रम संबंधी संसदीय समिति ने श्रम मंत्रालय के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है, जिनसे पहले चर्चा करने की अपेक्षा की जाती है जिससे दोनों पक्षों के बीच कई बैठकें होंगी। यह पहली बार है जब संसदीय समिति के सदस्य यह भी आकलन करेंगे कि देशव्यापी तालाबंदी के दौरान ईपीएफओ का क्या प्रभाव था और ईपीएफओ पर कोविद -19 महामारी का प्रभाव था।


“ईपीएफओ पहले केवल संगठित क्षेत्र के लिए था लेकिन केंद्र सरकार ने इसे असंगठित क्षेत्र में भी बढ़ा दिया है। निधि का प्रबंधन संसदीय समिति के सदस्यों के लिए चिंता का कारण है और इसे सर्वसम्मति से चर्चा के लिए तय किया गया था। हम बैठकों की श्रृंखला को खत्म करने और संसद के शीतकालीन सत्र में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने की योजना बना रहे हैं, "विकास के बारे में एक व्यक्ति जोड़ा।

स्थायी समिति के सदस्यों ने श्रम मंत्रालय के प्रतिनिधियों को दूसरे देशों में संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए किए गए प्रावधानों को देखने के लिए कहा है और समिति को बुधवार को अपनी बैठक में चर्चा के लिए इसे लेने की उम्मीद है।


घटनाक्रम से अवगत लोगों के अनुसार, पैनल के सदस्य ईपीएफ और पेंशन योजनाओं से संबंधित मुद्दों की एक श्रृंखला को बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं, जिसमें कर्मचारियों की पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत न्यूनतम पेंशन धन जुटाना और खाताधारक की मृत्यु के मामले में परिवारों तक धन की बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना शामिल है।

“हम मांग कर रहे हैं कि ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर रु। 5,000 प्रति माह किया जाए। यह एक मांग है कि कई ट्रेड यूनियन और श्रमिक संगठन भी कुछ समय के लिए बना रहे हैं। हमें बताया गया कि मासिक रु .2,000 देने का निर्णय लिया गया है लेकिन हमें लगता है कि राशि में वृद्धि होनी चाहिए, "एक अन्य व्यक्ति ने घटनाक्रम से अवगत कराते हुए कहा कि गुमनामी का अनुरोध करना।


"सुप्रीम कोर्ट और राज्य की अदालतों में कुछ मामले थे जैसे केरल में पेंशन की मात्रा बढ़ाने के लिए 15,000 रुपये के वेतन पर कैपिंग। लोग अधिक पेंशन चाहते हैं और इसके लिए वे योगदान देने को भी तैयार हैं। लेकिन रु 15,000 छत है और लचीलेपन के लिए कोई जगह नहीं है। हम इस मुद्दे को कमेटी में भी उठाना चाहते हैं, ”ऊपर वाले ने कहा।

समिति के लिए विषय के महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि एक महीने पहले सभी संसदीय पैनलों के पुनर्गठन के बाद यह पहला मुद्दा है। बुधवार की बैठक का एजेंडा "ईपीएफ पेंशन योजना के विशेष संदर्भ में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन का कार्य" है।


Wednesday, October 14, 2020

VERY IMPORTANT MESSAGE TO ALL 65 LAKH EPS 95 PENSIONER: ALL INDIA EPS 95 PENSIONERS SANGHARSHAN SAMITHI & NATIONAL AGITATION COMMITTEE

 Dt. 13-10-2020

TO
All
EPS95 PENSIONERS OF SOUTH INDIA.

Dear friends,

Ever since formation of our organization, we have not started collecting any amount/money towards monthly or yearly membership. Our organization is also not collecting any money from the retired pensioners organizations who are supporting us, except voluntary contributions.

It has come to our light, that some organizational leaders are collecting the membership fee like Rs. 200 or Rs. 300 or Rs.400 and adding the message that they wish to support NAC.


Hence, I wish to make it clear, that our oganisation has no objection to collect money towards their membership of their retired pensioners associations, but not at the cost of supporting our organization. The declaration of supporting of our organization cannot be used for collecting money.

Further, it is to make it clear that our organization is headed by Commander Ashok Rout, as President who is the retired naval Commander and Mr. Veerendra singh as National secretary who is the retired Executive Engineer and are working with due honesty and fighting sincerely for the sake of our 65 lakh poor pensioners and their welfare., The Commander sir though is not EPS95 pensioner, he is dedicating himself for our sake.

It has also come to our notice, that some persons are collecting money @ Rs. 1000 or Rs. 5000 per person to approach courts for increase of minimum pension. Despite our advises they are still continuing to do so. In this connection, it is to make it clear that our organization has no such relation with such persons who are collecting the money to approach courts. Our President who is the retired naval Commander is not at all taking or having any share on such yearly member ship or amounts paid towards court expenditure. Please note that our organization is no way responsible for such collection of amounts from the EPS95 pensioners and does not allow mediators to collect money and send money. Our organization accepts voluntary donations directly.


If at all, any pensioner or their organization wishes to donate amount voluntarily to NAC, they are welcome to donate through only one system i.e transferring the amount directly to the Head Office account for which an unauthorized receipt would be issued by Head Office of National Agitation Committee. There is no intermediate collection of amount as of now. The details of account of head office of NAC is follows:-

Bank of India, account of 'EPS’95 NIVRUTT KARMACHARI SAMANVAY & LOKAKALYAN SANSTHA,, account number: 924320110000324 IFSC CODE: ID0009243, BULDANA BRANCH, MAHARASHTRA.


Its further to make it clear that our organization never advised to approach court of law (High courts) and waste money on court expenditure, for getting higher pension. We have been very clear that our aim is to follow up with Govt. of India to achieve our demands.

While it is to, it is not fair to collet any money by anyone in the name NAC or saying that they wish to support NAC or this organisation. If collected, please note that person/persons collected will be responsible to face the consequences of such collection. 


All EPS95 pensioners are requested to note that National Agitation Committee will not be responsible or answerable for any sort of such payments to the mediators or agencies or associations in the name of affiliation with our NATIONAL AGITATION COMMITTEE or our organization.

With ward regards.
Yours sincerely,
C.S.PRASAD REDDY
CHIEF COORDINATOR,
SOUTHERN REGION,
NATIONAL AGITATION COMMITTEE,




Tuesday, October 13, 2020

EPS 95 NAC NEWS | देश के 65 लाख EPS 95 पेंशनर्स के लिए NAC के प्रमुख कमांडर अशोक राऊत जी का संदेश | NAC Chief Com. Ashok Rautji Message

EPS 95 MINIMUM PENSION HIKE NEWS | EPS 95 NAC NEWS | EPS 5 HIGHER PENSION UPDATE


दिनांक 12 अक्टूबर 2020 देश के 65 लाख पेंशनधारकों के लिए जो की ईपीएस 95 योजना के तहत पेंशन प्राप्त करते उन सभी ईपीएस 95 पेंशनधारकों के लिए राष्ट्रीय संघर्ष समिति (NAC)के राष्ट्रिए अध्यक्ष मा. कमांडर श्री अशोक राउत जी ने सभी को एक अच्छा संदेश दिया है।

मा. श्री अशोक राउत जी द्वारा सभी पेंशनधारकों से कहा गया है प्रत्येक पेंशनभोगी भाई और बहन को संयम बरतना चाहिए। साथ ही आगे मा. श्री कमांडर अशोक राउत जी ने बताया है की किसी भी प्रकार के संदेह से बचें। अन्य संदेशों से गलतफहमी पैदा होती है। ऐसा संदेश संगठन को भी नुकसान करता है। आगे उन्होंने सभी पेंशनधारकों को अवगत किया की कुछ लोग अभी जब राष्ट्रिय संघर्ष समिति के प्रयासों की वजह से हमारी मांगे पूरी होने का समय आया तो इसका श्रेय अपने फायदे के लिए लेना चाहते है ऐसे लोगो से सावधान रहने का भी मा. कमांडर श्री. अशोक राउत जी द्वारा कहा गया है।

 

साथ ही उन्होंने कहा की कोर्ट नाम पर कुछ लोग पेंशनधारकों से पैसे भी मंगाते है तो ऐसे लोगो से भी सावधान रहने की जरुरत है और उन्हें पैसे न देने के लिए भी मा. कमांडर श्री. अशोक राउत जी द्वारा कहा गया है।आगे ईपीएस 95 पेंशन बढ़ोतरी के सन्दर्भ उनके द्वारा बताया गया है की उन्हें पूरा विश्वास है की 4 मार्च 2020 को मा. संसद सदस्य हेमा मालिनीजी अगुवाइ में मा. प्रधान मंत्री जी की साथ बैठक संपन्न थी बैठक में मा. प्रधान मंत्रीजी द्वारा उन्हें आश्वासन दिया गया है। मा. कमांडर श्री. अशोक राउत जी द्वारा पूर्ण विश्वास से कहा गया है उनका काम जल्द ही होगा।मोदीजी है मुमकिन है।

मा. कमांडर श्री. अशोक राउत जी के निर्देशों के अनुसार निराश हुए बिना संगठन के साथ सिथ दे और सहयोग करें। कृपया संदेश का अनुसरण करें।



अंत में, देश के 65 लाख सभी पेंशनभोगी भाइयों और बहनों की ओर से अध्यक्ष श्री राउत साहब को शुभकामनाएँ ऐवम कोटी नमस्कार। आप आगे बढो हम आपके साथ हैं ।

जय हिन्द। 

यह संदेश अधिक संख्या में पहुंचने का अनुरोध किया गया है।

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