Tuesday, September 8, 2020

EPS 95 PENSIONERS ZOOM MEETING OUTCOME | National Level Meeting of NAC Members & EPS 95 Pesioners for Minimum Pension 7500 Hike

EPS 95 PENSION LATEST NEWS | 9 SEP CBT MEETING DETAIL | EPS 95 HIGHER PENSION 


जैसा की हम सभी को पता है राष्ट्रिय संघर्ष समिति द्वारा 1 सितम्बर 2020 को ऑनलाइन ZOOM के माध्यम से बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में ईपीएस 95 पेंशन बढ़ोतरी को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। इस बैठक में मा. कमांडर अशोक राउत राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रिय संघर्ष समिति के साथ C S Prasad Reddy, Chief coordinator, Southern Region, P. N. पाटिल, तपन दत्ता,दिलीप भट्टाचार्य, अर्जुन कोलेय, गोपाल किशोर पोल, S. N. मिश्रा, और अन्य पेंशनधारक शामिल हुए। आइये जानते है इस बैठक में कोनसे मुद्दों पर चर्चा की गई। 


माननीय कमांडर साहब श्री मान् अशोक राऊत साहब ने देशव्यापी खुली जूम मीटिंग ली और पहली बार बेबाक और स्पष्ट लफ्जों में उन्होंने राष्ट्रीय संघर्ष समिति के संघर्ष एवं इस के मार्ग में आने वाली बाधाओं से अवगत कराया। आंदोलन की वर्तमान एवं आगामी रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए जिन विषयों पर हमें आदेशित निर्देशित किया। आपकी जानकारी के लिए उनमें से कुछ खास बिंदु आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूं।

  • हमारे भूतपूर्व माननीय राष्ट्रपति महोदय श्रीमान प्रणब मुखर्जी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए eps-95 संघर्ष समिति के लंबे संघर्ष के दौरान ब्रह्मलीन हुए हमारे अपने श्रम वीर योद्धाओं को हार्दिक श्रद्धांजलि देते हुए उनके योगदान को नमन वंदन अभिनंदन किया। 
  • कमांडर ने कहा कि पेंशनरों के लिए देश में अनगिनत संगठनाएं, संस्थाएं एवं कई श्रमिक संगठन अपने अपने स्तर पर अपने अपने तरीके से प्रयासरत हैं-संघर्षशील हैं। परंतु eps-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति के बैनर तले देश के पेंशनरों को न्याय दिलाने के संघर्ष में आप सभी की निष्ठा, ईमानदारी, निस्वार्थ सेवा, त्यागमय, अनुशासित एवं पॉजिटिव अप्रोच के साथ आपका संघर्ष ही मुख्य आधार था कि देश में इन सारे रिकग्नाईज्ड श्रम संगठनों एवं अन्य किसी संस्था अथवा समितियों को नहीं केवल और केवल आपकी राष्ट्रीय संघर्ष समिति को ही भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी ने मिलने का समय दिया और निर्धारित 3 मिनट के बजाए लगभग आधा घंटा आपके नुमाइंदों को सुना यह साबित करता है कि आप ही देश के ईपीएस 95 पेंशनरों के वास्तविक नुमाइंदे हैं इसके लिए आप सभी बधाई के पात्र हैं और देश के पेंशनरों को आज केवल और केवल आपसे ही सारी आशाएं हैं जिन्हें हमें निस्वार्थ रूप से निष्ठा पूर्वक मिलकर हर हाल में पूरा करना है।

मुख्य रूप से अब 4 मांगे बची हैं

I) भगत सिंह कोश्यारी कमिटी द्वारा 2013 में प्रस्तावित ₹3000 एवं महंगाई उस पर महंगाई भत्ता के आधार पर न्यूनतम ₹7500 प्रति माह पेंशन एवं उस पर महंगाई भत्ता दीया जावे।

II) 31 मई 2017 की अनधिकृत अंतरिम अनुशंसा को निरस्त कर आयुक्त केंद्रीय भविष्य निधि संगठन के दिनांक 23 मार्च 2017 के अनुसार बढ़ी हुई दरों से पेंशन जारी की जावे।

III) समस्त ईपीएस 95 पेंशनरों को मुक्त चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जावे।

IV) अज्ञानतवश जिन कर्मचारियों ने ईपीएस 95 पेंशन के सदस्य नहीं बन पाए उन्हें सदस्य बनाया जावे एवं तब तक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए ₹5000 प्रतिमाह पेंशन के रूप में दिया जावे।

मा. कमांडर ने उन लोगों को भी बेनकाब किया जो नेतागिरी तो मजदूरों/कर्मचारियों के नुमाइंदे बनकर करते हैं परंतु देश के पेंशनरों के हितों के लिए कर तो कुछ भी नहीं रहे अपनी नाक बचाने के लिए की कहीं राष्ट्रीय संघर्ष समिति अपने लक्ष्यों को पूरा करने में सफल नहीं हो जाए बाधा बने हुए हैं एवं न्यूनतम पेंशन एवं बढ़ी हुई दरों से पेंशन हेतु बजट को मुद्दा बनाकर सरकार एवं ईपीएफओ का पक्ष लेते हैं।

इन लोगों को माननीय कमांडर में आईना बताते हुए भारतीय मजदूर संघ के महासचिव एवं सीबीटी के वरिष्ठतम सदस्य श्री बृजेश पटेल को खुले पत्र द्वारा स्पष्ट लफ्जों में कहा कि वह वास्तव में जिन के प्रतिनिधि हैं उन रेगुलर कर्मचारियों के हितों की रक्षा करलें पेंशनरों के मामले में डांग-पटेलाई अथवा टांग अड़ाने का अपकर्म नहीं करें।


पेंशनरों के लिए हमारे संघर्ष में किसी राजनीतिक विचारधारा के आधार पर बाधा बनने की जरूरत नहीं है क्योंकि राष्ट्रीय संघर्ष समिति विशुद्ध रूप से एक सामाजिक संगठन है जो न किसी राजनीतिक विचारधारा के पक्ष में है, न किसी राजनीतिक विचारधारा के विपक्ष में है, न किसी राजनीतिक पार्टी से संबंधित है ना हमारी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा अथवा एजेंडा है.

हम विशुद्ध रूप से पेंशनर समाज के रूप में एक सामाजिक संगठन की तरह काम कर रहे हैं जिसमें संपूर्ण भारत से सभी जातियों, भाषाविदों, धर्मो-पंथों, विचारधाराओं, समस्त राजनीतिक पार्टियों एवं लगभग सभी प्रकार के श्रम संगठनों की विचारधारा में विश्वास करने वाले हमारे साथी हैं जिनका वर्तमान में केवल एक लक्ष्य है शांति पूर्वक आंदोलन से हमारे अधिकारों को सरकार से मनवाकर प्राप्त करना। इसमें आप लोगों की दखलंदाजी की कोई जरूरत नहीं है।

देश की लगभग समस्त विचारधाराओं में विश्वास करने वाले परंतु हमारे निस्वार्थ, निष्ठावान समर्पित, अनुशासित कार्यकर्ताओं एवं सदस्यों के बलबूते अपना लक्ष्य हम स्वयं हासिल करने की क्षमता रखते हैं। कहने की जरूरत नहीं कि इन्हीं की फैल्योर से आज देश का बुजुर्ग सड़कों पर हैं। राष्ट्रीय संघर्ष समिति के मूलभूत सिद्धांत को ओर सख्त करते हुए हुए कमांडर साहब ने निर्देश दिया कि कोई भी अनधिक‌त व्यक्ति किसी से भी राष्ट्रीय संघर्ष समिति के लिए न चंदा वसूल करेगा न चंदा देने के लिए किसी को बाध्य करेगा।

प्रदेशाध्यक्ष यह सुनिश्चित करें की सहयोग राशि देने वाला पूर्णतया स्वेच्छा से प्रदेशाध्यक्ष/अथवा प्रदेशाध्यक्ष द्वारा मनोनीत पदाधिकारी को पूर्व सूचना एवं स्वीकृती के बाद ही अनुमोदित पदाधिकारी के ज़रिए अथवा सीधे राष्ट्रीय संघर्ष समिति के बैंक खाते में जमा करवा रहा है और मनोनीत पदाधिकारी एवं प्रदेशाध्यक्ष की यह जिम्मेदारी रहेगी उक्त सदस्य को उसके द्वारा जमा कराई गई राशि की प्राप्ति रसीद मुहैया करावे। 

प्रदेशाध्यक्ष अनुग्रह राशि की स्वीकृति देने से पहले यह भी सुनिश्चित करें कि सहायता राशि देने वाले की आर्थिक स्थिति कैसी है यदि आर्थिक रूप से कोई अत्यंत कमजोर है तो उससे किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं ली जावे तथापि कोई पेंशनर अपनी हिस्सेदारी दर्ज करवाना ही चाहता है तो संबंधित पेंशन पेंशनर की क्षमतानुसार 5,10, 15, 20 रुपए जो भी उनकी स्थिति है तदनुसार स्वीकृति दी जावे।


31.5.2017 की अंतरिम एडवाइजरी के खिलाफ कोर्ट में जाने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कमांडर ने पहली बार बुलंद आवाज में कहा की 4 अक्टूबर 2016 के सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच के फैसले कि अनुपालना में आयुक्त, केन्द्रीय भविष्य निधि विभाग (सीपीएफओ) के 23 मार्च 2017 के आदेश के तहत बढ़ी हुई दरों से पेंशन लेने के अधिकार को जिस 31 मई 2017 की अंतरिम अनुशंसा से रोका हुआ है उसके खिलाफ कोर्ट में मुकदमा उन लोगों ने दायर किया है जिनका लक्ष्य कोर्ट के खर्चे के नाम पर पेंशनरों से धन कमाना था। मोटे मोटे तौर पर गणना करते हुए कमांडर ने देश के पेंशनरों को बताया कि लगभग 66000 लोगों से कोर्ट में केस के नाम पर पेंशनरों से ₹3000 से ₹10000 तक वसूले गये जिसका एवरेज निकाला जाए तो ₹5000 प्रति पेंशनर होता है इस हिसाब से लगभग ₹33 करोड़ इकट्ठे किए गए हैं।

जबकि 31.5.2000 की यह अंतरिम अनुशंसा जो किसी भी स्तर के सक्षम अधिकारी/सीबीटी/श्रम मंत्रालय/केंद्र सरकार से अनुमोदित नहीं है और इसे हटाने का अधिकार स्वयं ईपीएफओ एवं सीबीटी को है के जरिए हटवा दी जा सकती है। और जहां तक सक्षम प्राधिकृत उक्त सक्षम प्राधिकृत अधिकारी सीबीटी श्रम मंत्रालय भारत सरकार इसका अनुमोदन नहीं करती है तो यह अस्थाई है। परंतु यह दुर्भाग्य है कि कुछ लोगों ने इसे कमाई का जरिया बनाया।

इसके अलावा भी मार्गदर्शन स्वरूप माननीय कमांडर महोदय ने बहुत कुछ बताया संक्षेप में मैं आपसे इतना ही निवेदन करना चाहता हूं कि आप जितने सक्रिय रहेंगे हमें हमारी मंजिल उतनी ही जल्दी मिलने वाली है अतः आइए वर्तमान आंदोलन जिसमें हमारे दिवंगत साथियों के नाम पर एक पेड़ लगाना एवं एक पत्र प्रधानमंत्री महोदय के नाम स्पीड पोस्ट से अथवा ई-मेल के जरिए भेजना तथा उसकी प्रतिलिपि माननीय वित्त मंत्री महोदया माननीय श्रम मंत्री महोदय एवं माननीय डॉ. जितेंद्र सिंह साहब जो हमारा पेंशन का काम देख रहे हैं उनको अवश्य देवें!
पत्र का नमूना वही है जो माननीय श्री ताहिर साहब ने ग्रुप में पोस्ट कर रखा है।
ज्येष्ठ भारत श्रेष्ठ भारत
राष्ट्रीय संघर्ष समिति जिंदाबाद



 

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