पर उसके बाद EPFO द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसके के खिलाफ समीक्षा याचिका दाखिल कि गई थी। जिसके ऊपर अभी 29 जनवरी 2021 को सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल 2019 को जो आदेश दिया था तो उसे वापस ले लिया। हालांकि यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा जो याचिका दाखिल की गई है तो उसके ऊपर सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई में कोई भी फैसला नहीं दिया है और उसे 25 फरवरी 2021 तक के लिए फिर से टाल दिया है।
साथ ही शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय द्वारा जो फैसला दिया गया था तो उस फैसले पर रोक नहीं लगाई है। इसकी वजह से जिन EPS 95 पेंशनधारकों को केरला उच्च न्यायालय के फैसले की वजह से लाभ मिला था तो उनके लाभ भी वापस नहीं ले जा सकेंगे। साथ में यहां पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केंद्रीय श्रम मंत्रालय और ईपीएफओ द्वारा दायर अपील पर प्रारंभिक सुनवाई 25 फरवरी 2021 को होनी तय की गई है। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश को वापस लेने से लाखों EPS 95 पेंशनधारकों को काफी निराशा हुई है। लेकिन EPS 95 पेंशनधारकों को एक राहत भरी यहां पर खबर है कि शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई ने की बात भी इस फैसले के दौरान कई है।
सभी EPS 95 पेंशनधारकों को अवगत है कि केरला उच्च न्यायालय द्वारा 12 अक्टूबर 2018 में EPS 95 पेंशनधारकों के हक में एक बड़ा फैसला देते हुए कहा था कि EPS 95 पेंशनधारकों को उनके उच्चतम वेतन पर यानी आखिरी सैलरी के बेसिस पर पेंशन का भुगतान किया जाए। इस वजह से लाखोंEPS 95 पेंशनधारकों को उनकी उच्चतम वेतन पर उच्चतम पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो गया था।
इस सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति यू यू ललित की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि केरल उच्च न्यायालय का आदेश रुक नहीं सकता है। इस पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती है। और इस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई को टाल दिया गया है, अब यह सुनवाई 25 फरवरी 2021 को होनी है। केरल उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में ₹15000 की जो सीलिंग लिमिट है तो उसे हटा दिया था। यानी अगर किसी कर्मचारी की सैलरी ₹15000 के ऊपर है तो उस ज्यादा सैलरी को पेंशन की गणना में कंसीडर करके पेंशन का कैलकुलेशन किया जाएगा इसकी वजह से पेंशन में काफी बढ़ोतरी हो जाती है।
1 अप्रैल 2019 को केरल हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बरकरार रखा था और केरल उच्च न्यायालय द्वारा जो फैसला दिया गया था तो उसके अनुसार EPS 95 पेंशनधारकों को उनके उच्च वेतन पर और आखरी सैलरी के हिसाब से पेंशन का रास्ता साफ कर दिया था। इसकी वजह से कई EPS 95 पेंशनधारकों की पेंशन में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती थी।
इस सुनवाई के दौरान केंद्र द्वारा अपने पक्ष में कहा गया कि पूरे वेतन पर पेंशन देना व्यवहारिक नहीं है। साथ ही अपनी दलों में केंद्र की तरफ से कहा गया कि ₹15000 की सीमा को आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को लक्षित कर तय किया गया था। अगर इसे निकाल दिया जाता है तो इसकी वजह से EPS 95 में 1528519.47 करोड़ की कमी होगी। साथी केरल उच्च न्यायालय के फैसले के बाद EPFO द्वारा 839.6 करोड रुपए का भुगतान भी करना था। ऐसे में श्रम मंत्रालय द्वारा अगर पेंशन के लिए मंजूरी दी जाती है और ऐसी पेंशन पर रोक लगती है तो इसे बाद में रिकवर करना मुश्किल होगा ऐसा भी सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की तरफ से दी गई दलीलों में कहा गया। साथ ही अदालत द्वारा दिए गए फैसले की वजह से पेंशन में 50% की वृद्धि हो जाती है ऐसा भी बताया गया था।