Sunday, September 27, 2020

Very Important Guidlines For 65 Lakh EPS 95 Pensioners for Minimum Pension 7500 Hike By NAC National President

EPS 95 MINIMUM PENSION HIKE 7500+DA | EPS 95 HIGHER PENSION NEWS | NAC MEETING


As we all know, the meeting was organized by the National Agitation Committee through online ZOOM. Further strategy regarding EPS 95 pension increase was discussed in this meeting. In this meeting Commander Ashok Raut joined the National President, National Agitation Committee along with C. S. Prasad Reddy, Chief Coordinator, Southern Region, P. N. Patil, Tapan Dutta, Dilip Bhattacharya, Arjun Koleya, Gopal Kishore Pol, S. N. Mishra, and other pensioners. Let us know which issues were discussed in this meeting.



This is my humble regards….

Commander Sir said in his speech at the Zoom meeting ... that now our only duty is to include lower level EPS pensioners, we have to form committees in taluka levels.

They do not have a smart phone, so they cannot be included in our zoom meeting or WhatsApp group. They should be contacted in person or over the phone. Commander Sir also said that we have to wait till 31 October 2020 or till 15 November 2020.

We should not go for any agitation program under the banner of the NAC until we get any negative feedback by 15 November 2020. As per the speech by Commander Ashok Raut Sir, our NAC Central team will wait till 31 October for a favorable decision as the Hon'ble PM assured us.

If no favorable response is received from the Government of India, the NAAC central team will issue a letter to the PM for a direct action plan outside the country from 16 November 2020. A nation-wide movement will be chalked according to the program. So please be more active to make more members from lower levels who can succeed, our nation wide movement program.

We NAC West Bengal are trying their best at the level. Every day we are increasing our membership to a minimum of 5 per day. Sometimes it even goes up to 40. If anyone wants to take our membership but is in a position to pay full membership (Rs. 10 / per month or Rs. 120 / per year).

In that case we consider them as a special case (as per Commander Sir's request) as a token money for our membership for 1 year only for Rs. 10 / -.

Friends money is not an important part of any association. We need to make our organization more strong. Members are the real strength of an organization.

We seek every person's participation in our NAC activities. This time we have to go out of the country and make more intensive movement program.

Thanks and regards..
Tapan Dutt
State President West Bengal




 

National Level Meeting of NAC Members & EPS 95 Pesioners for Minimum Pension 7500 Hike | Very Important Guidlines For 65 Lakh EPS 95 Pensioners

जैसा की हम सभी को पता है राष्ट्रिय संघर्ष समिति द्वारा ऑनलाइन ZOOM के माध्यम से बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में ईपीएस 95 पेंशन बढ़ोतरी को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। इस बैठक में मा. कमांडर अशोक राउत राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रिय संघर्ष समिति के साथ C S Prasad Reddy, Chief coordinator, Southern Region, P. N. पाटिल, तपन दत्ता,दिलीप भट्टाचार्य, अर्जुन कोलेय, गोपाल किशोर पोल, S. N. मिश्रा, और अन्य पेंशनधारक शामिल हुए। आइये जानते है इस बैठक में कोनसे मुद्दों पर चर्चा की गई। 

यह मेरा विनम्र सादर है ....।

जूम मीटिंग में कमांडर सर ने अपने भाषण में कहा ... कि अब निचले स्तर के ईपीएस पेंशनरों को शामिल करना हमारा एकमात्र कर्तव्य है, हमें तालुका स्तरों में समितियों को बनाना होगा।

उनके पास स्मार्ट फोन नहीं है, इसलिए उन्हें हमारे जूम मीटिंग या व्हाट्सएप ग्रुप में शामिल नहीं किया जा सकता है। उनसे व्यक्तिगत रूप से या फोन पर संपर्क किया जाना चाहिए। कमांडर सर ने यह भी कहा कि हमें 31 अक्टूबर 2020 तक या 15 नवंबर 2020 तक इंतजार करना होगा।
जब तक हमें 15 नवंबर 2020 तक कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिल जाती तब तक हमें एनएसी के बैनर तले किसी भी आंदोलन कार्यक्रम के लिए नहीं जाना चाहिए। कमांडर अशोक राउत सर के भाषण के अनुसार हमारी एनएसी केंद्रीय टीम अनुकूल निर्णय के लिए 31 अक्टूबर तक प्रतीक्षा करेगी क्योंकि माननीय पीएम ने हमें आश्वासन दिया।

यदि भारत सरकार की ओर से कोई अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो नैक केंद्रीय टीम 16 नवंबर 2020 से देश के बाहर प्रत्यक्ष कार्य योजना के लिए पीएम को पत्र जारी करेगी। एक राष्ट्र व्यापी आंदोलन कार्यक्रम के अनुसार चाक-चौबंद किया जाएगा। तो कृपया कम स्तरों से अधिक सदस्य बनाने के लिए अधिक सक्रिय रहें जो सफल हो सके, हमारा राष्ट्र व्यापी आंदोलन कार्यक्रम। 

हम एनएसी पश्चिम बंगाल अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। हर दिन हम न्यूनतम 5 प्रति दिन अपनी सदस्यता बढ़ा रहे हैं। कभी-कभी यह 40 तक भी चला जाता है। यदि कोई हमारी सदस्यता लेना चाहता है लेकिन पूर्ण सदस्यता (रु। 10 / प्रति माह या रु 120 / प्रति वर्ष) का भुगतान करने की स्थिति में है।

उस स्थिति में हम उन्हें एक विशेष मामले के रूप में मानते हैं (कमांडर सर के अनुरोध के अनुसार) केवल 1 वर्ष के लिए हमारी सदस्यता के लिए एक टोकन मनी के रूप में रु। 10 / -।

दोस्तों पैसा किसी एसोसिएशन का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं है। हमें अपने संगठन को और अधिक मजबूत बनाना होगा। सदस्य एक संगठन की वास्तविक ताकत हैं। 
 
हम अपनी एनएसी गतिविधियों में हर व्यक्ति की भागीदारी चाहते हैं। इस बार हमें देश से बाहर जाकर अधिक गहन आंदोलन कार्यक्रम बनाना है।
 
सादर धन्यवाद..
तपन दत्त।
स्टेट प्रेसिडेन्ट पच्छिम बंगाल 



PM Modi's Mann Ki Baat with the Nation, 27 September 2020 | मन की बात | प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरुरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। लेकिन, इतने लम्बे समय तक, एक साथ रहना, कैसे रहना, समय कैसे बिताना, हर पल खुशी भरी कैसे हो ? तो, कई परिवारों को दिक्कतें आईं और उसका कारण था, कि, जो हमारी परम्पराएं थी, जो परिवार में एक प्रकार से संस्कार सरिता के रूप में चलती थी, उसकी कमी महसूस हो रही है, ऐसा लग रहा है, कि, बहुत से परिवार है जहाँ से ये सब कुछ खत्म हो चुका है, और, इसके कारण, उस कमी के रहते हुए, इस संकट के काल को बिताना भी परिवारों के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया, और, उसमें एक महत्वपूर्ण बात क्या थी? हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। हमें, जरुर एहसास हुआ होगा, कि, हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो, आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है। ऐसी ही एक विधा जैसा मैंने कहा, कहानी सुनाने की कला story telling। साथियो, कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता।


‘where there is a soul there is a story’

कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें। मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक (A wandering ascetic) के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गाँव, नए लोग, नए परिवार, लेकिन, जब मैं परिवारों में जाता था, तो, मैं, बच्चों से जरुर बात करता था और कभी-कभी बच्चों को कहता था, कि, चलो भई, मुझे, कोई कहानी सुनाओ, तो मैं हैरान था, बच्चे मुझे कहते थे, नहीं uncle, कहानी नहीं, हम, चुटकुला सुनायेंगे, और मुझे भी, वो, यही कहते थे, कि, uncle आप हमें चुटकुला सुनाओ यानि उनको कहानी से कोई परिचय ही नहीं था। ज्यादातर, उनकी जिंदगी चुटकुलों में समाहित हो गई थी।

साथियो, भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी है, जहाँ, हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, जहाँ, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। हमारे यहाँ कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियाँ कहने की प्राचीन पद्धति है। इसमें ‘कताकालक्षेवम्’ भी शामिल रहा। हमारे यहाँ तरह-तरह की लोक-कथाएं प्रचलित हैं। तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है। इसे ‘विल्लू पाट्’ कहा जाता है। इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है। भारत में कठपुतली की जीवन्त परम्परा भी रही है। इन दिनों science और science fiction से जुड़ी कहानियाँ एवं कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है। मैं देख रहा हूँ कि कई लोग किस्सागोई की कला को आगे बढाने के लिए सराहनीय पहल कर रहे हैं। मुझे gaathastory.in जैसी website के बारे में जानकारी मिली, जिसे, अमर व्यास, बाकी लोगों के साथ मिलकर चलाते हैं। अमर व्यास, IIM अहमदाबाद से MBA करने के बाद विदेशों में चले गए, फिर वापिस आए। इस समय बेंगलुरु में रहते हैं और समय निकालकर कहानियों से जुड़ा, इस प्रकार का, रोचक कार्य कर रहे है। कई ऐसे प्रयास भी हैं जो ग्रामीण भारत की कहानियों को खूब प्रचलित कर रहे हैं। वैशाली व्यवहारे देशपांडे जैसे कई लोग हैं जो इसे मराठी में भी लोकप्रिय बना रहे हैं।

 

चेन्नई की श्रीविद्या वीर राघवन भी हमारी संस्कृति से जुड़ी कहानियों को प्रचारित, प्रसारित, करने में जुटी है, वहीँ, कथालय और The Indian story telling network नाम की दो website भी इस क्षेत्र में जबरदस्त कार्य कर रही हैं। गीता रामानुजन ने kathalaya.org में कहानियों को केन्द्रित किया है, वहीँ, The Indian story telling network के ज़रिये भी अलग-अलग शहरों के story tellers का network तैयार किया जा रहा है I बेंगलुरु में एक विक्रम श्रीधर हैं, जो बापू से जुड़ी कहानियों को लेकर बहुत उत्साहित हैं। और भी कई लोग, इस क्षेत्र में, काम कर रहे होंगे - आप ज़रूर उनके बारे में Social media पर शेयर करेंI

आज हमारे साथ बेंगलुरु Story telling society की बहन Aparna Athreya और अन्य सदस्य जुड़े हैं। आईये, उन्हीं से बात करते हैं और जानते हैं उनके अनुभव।

प्रधानमंत्री:- हेलो

Aparna :- नमस्कार आदरणीय प्रधानमंत्री जी। कैसे हैं आप ?

प्रधानमंत्री :- मैं ठीक हूँ। आप कैसी है Aparna जी ?

Aparna :- बिल्कुल बढ़िया सर जी। सबसे पहले मैं Bangalore Story Telling Society की ओर से धन्यवाद देना चाहती हूँ कि आपने हमारे जैसे कलाकारों को इस मंच पर बुलाया है और बात कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री:- और मैंने सुना है कि आज तो शायद आप की पूरी टीम भी आपके साथ बैठी हुई है।

Aparna :- जी... जी बिल्कुल। बिल्कुल सर।

प्रधानमंत्री :- तो अच्छा होगा की आप की टीम का परिचय करवा दें| ताकि ‘मन की बात’ के जो श्रोता हैं उनको परिचय हो जाए कि आप लोग कैसा बड़ा अभियान चला रहे है।

Aparna:- सर। मैं Aparna Athreya हूँ, मैं दो बच्चों की माँ हूँ, एक भारतीय वायुसेना के अफसर की बीवी हूँ और एक passionate storyteller हूँ सर। Storytelling की शुरुआत 15 साल पहले हुई थी जब मैं software industry में काम कर रही थी। तब मैं CSR projects में voluntary काम करने के लिए जब गई थी तब हजारों बच्चों को कहानियों के माध्यम से शिक्षा देने का मौका मिला और ये कहानी जो मैं बता रही थी वो अपनी दादी माँ से सुनी थी। लेकिन जब कहानी सुनते वक़्त मैंने जो ख़ुशी उन बच्चों में देखी, मैं क्या बोलू आपको कितनी मुस्कराहट थी, कितनी ख़ुशी थी तो उसी समय मैंने तय किया कि Storytelling मेरे जीवन का एक लक्ष्य होगा, सर।


प्रधानमंत्री:- आपकी टीम में और कौन है वहाँ ?

Aparna:- मेरे साथ हैं, शैलजा संपत।

शैलजा:- नमस्कार सर।

प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी।

शैलजा:- मैं शैलजा संपत बात कर रही हूँ। मैं तो पहले teacher थी, उसके बाद जब मेरे बच्चे बड़े हुए तब मैंने theatre में काम शुरू किया और finally कहानियों को सुनाने में सबसे ज्यादा संतृप्ति मिला। प्रधानमंत्री:- धन्यवाद !

शैलजा:- मेरे साथ सौम्या है।

सौम्या:- नमस्कार सर !

प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी !

सौम्या:- मैं हूँ सौम्या श्रीनिवासन। मैं एक psychologist हूँ। मैं जब काम करती हूँ, बच्चे और बड़े लोगों के साथ उसमें मैं कहानियों के द्वारा मनुष्य के नवरसाओं को जगाने में कोशिश करती हूँ और उसके साथ चर्चा भी करती हूँ। ये मेरा लक्ष्य है – ‘Healing and transformative storytelling’।

Aparna:- नमस्ते सर !

प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी।

Aparna: मेरा नाम Aparna जयशंकर है। वैसे तो मेरा सौभाग्य है कि मैं अपनी नाना-नानी और दादी के साथ इस देश के विभिन्न भागों में पली हूँ इसलिए रामायण, पुराणों और गीता की कहानियाँ मुझे विरासत में हर रात को मिलती थी और Bangalore Storytelling Society जैसी संस्था है तो मुझे तो storyteller बनना ही था। मेरे साथ मेरी साथी लावण्या प्रसाद है।

प्रधानमंत्री:- लावण्या जी, नमस्ते !


लावण्या:- नमस्ते, सर ! I am an Electrical Engineer turned professional storyteller. Sir, I grew up listening to stories from my grandfather. I work with senior citizens. In my special project called ‘Roots’ where I help them document their life stories for their families.

प्रधानमंत्री:- लावण्या जी आपको बहुत बधाई। और जैसा आपने कहा मैंने भी एक बार ‘मन की बात’ में सबको कहा था कि आप परिवार में अपने दादा-दादी, नाना-नानी है तो, उनसे, उनकी बचपन की कहानियाँ पूछिए और उसको tape कर लीजिये, record कर के लीजिये बहुत काम आयेगा ये मैंने कहा था। लेकिन मुझे अच्छा लगा कि एक तो आप सबने जो परिचय दिया अपना उसमें भी आपकी कला, आपकी communication skill और बहुत ही कम शब्दों में बहुत ही बढ़िया ढंग से आपने अपना परिचय करवाया इसलिए भी मैं आपको बधाई देता हूँ।

लावण्या:- Thank you sir! Thank you !

अब जो हमारे श्रोता लोग हैं ‘मन की बात’ के उनका भी मन करता होगा कहानी सुनने का। क्या मैं आपको request कर सकता हूँ एक-दो कहानी सुनाएँ आप लोग?

समूह स्वर: जी बिल्कुल, ये तो हमारा सौभाग्य है जी।

“चलिए चलिए सुनते हैं कहानी एक राजा की । राजा का नाम था कृष्ण देव राय और राज्य का नाम था विजयनगर । अब राजा हमारे थे तो बड़े गुणवान । अगर उनमें कोई खोट बताना ही था, तो वह था अधिक प्रेम अपने मंत्री तेनाली रामा की ओर और दूसरा भोजन की ओर। राजा जी हर दिन दोपहर के भोजन के लिए बड़े आस से बैठते थे - कि आज कुछ अच्छा बना होगा और हर दिन उनके बावर्ची उन्हें वही बेजान सब्जियाँ खिलाते थे - तुरई, लौकी, कददू, टिंडा उफ़। ऐसे ही एक दिन राजा ने खाते खाते गुस्से में थाली फ़ेंक दिया और अपने बावर्ची को आदेश दिया या तो कल कोई दूसरी स्वादिष्ट सब्ज़ी बनाना या फिर कल मैं तुम्हें सूली पे चढ़ा दूंगा । बावर्ची, बिचारा, डर गया। अब नयी सब्ज़ी के लिए वह कहाँ जाये । बावर्ची भागा भागा चला सीधे तेनाली रामा के पास और उसे पूरी कहानी सुनाई । सुनकर तेनाली रामा ने बावर्ची को उपाय दिया । अगले दिन राजा दोपहर के भोजन के लिए आये और बावर्ची को आवाज़ दिया । आज कुछ नया स्वादिष्ट बना है या मैं सूली तैयार कर दूँ । डरे हुए बावर्ची ने झट पट से थाली सजाया और राजा के लिए गरमा-गर्म खाना परोसा । थाली में नयी सब्जी थी । राजा उत्साहित हुए और थोड़ी सी सब्ज़ी चखी । ऊंह वाह ! क्या सब्जी थी ! न तुरई की तरह फीकी थी न कददू की तरह मीठी थी । बावर्ची ने जो भी मसाला भून के, कूट के, डाला था, सब अच्छी तरह से चढ़ी थी ।


उंगलिया चाटते हुए संतुष्ट राजा ने बावर्ची को बुलाया और पुछा कि यह कौन सी सब्ज़ी हैं ? इसका नाम क्या हैं ? जैसे सिखाया गया था वैसे ही बावर्ची ने उत्तर दिया । महाराज, ये मुकुटधारी बैंगन है । प्रभु, ठीक आप ही की तरह यह भी सब्जियों का राजा है और इसीलिए बाकी सब्ज़ियों ने बैंगन को मुकुट पहनाया । राजा खुश हुए और घोषित किये आज से हम यही मुकुटधारी बैंगन खाएंगे ! और सिर्फ हम ही नहीं, हमारे राज्य में भी, सिर्फ बैंगन ही बनेगा और कोई सब्ज़ी नहीं बनेगी। राजा और प्रजा दोनों खुश थे । यानि पहले-पहले तो सब खुश थे कि उन्हें नई सब्जी मिली है, लेकिन जैसे ही दिन बढ़ते गये सुर थोड़ा कम होता गया । एक घर में बैंगन भरता तो दूसरे के घर में बैगन भाजा । एक के यहाँ कत्ते का सांभर तो दूसरे के यहाँ वांगी भात । एक ही बैंगन बिचारा कितना रूप धारण करे । धीरे-धीरे राजा भी तंग आ गए । हर दिन वही बैगन ! और एक दिन ऐसा आया कि राजा ने बावर्ची को बुलाया और खूब डांटा । तुमसे किसने कहा कि बैंगन के सर में मुकुट है । इस राज्य में अब से कोई बैगन नहीं खायेगा । कल से बाकी कोई भी सब्ज़ी बनाना, लेकिन बैंगन मत बनाना । जैसी आपकी आज्ञा, महाराज कहके बावर्ची सीधा गया तेनाली रामा के पास । तेनाली रामा के पाँव पड़ते हुए कहा कि मंत्री जी, धन्यवाद, आपने हमारी प्राण बचा ली । आपके सुझाव की वजह से अब हम कोई भी सब्जी राजा जी को खिला सकते हैं। तेनाली रामा हॅसते हुए कहाँ, वो मंत्री ही क्या, जो, राजा को खुश न रख सके। और इसी तरह राजा कृष्णदेवराय और मंत्री तेनाली रामा की कहानियाँ बनती रही और लोग सुनते रहे ! धन्यवाद।

प्रधानमंत्री: आपने, बात में, इतनी exactness थी, इतनी बारीकियों को पकड़ा था मैं समझता हूँ बच्चे, बड़े जो भी सुनेंगे कई चीजों का स्मरण रखेंगे। बहुत बढ़िया ढंग से आपने बताया और विशेष coincidence ऐसा है कि देश में पोषण माह चल रहा है, और, आप की कथा भोजन से जुड़ी हुई है।

महिला: जी

प्रधानमंत्री: और, मैं जरुर, ये जो story tellers आप लोग हैं व और भी लोग हैं। हमें किस प्रकार से हमारे देश की नई पीढ़ी को हमारे महान महापुरुष, महान माताएं-बहनें जो हो गई हैं। कथाओं के माध्यम से उनके साथ कैसे जुड़ा जाए। हम कथा-शास्त्र को और अधिक कैसे प्रचारित करें, popular करें, और, हर घर में अच्छी कथा कहना, अच्छी कथा बच्चों को सुनाना, ये जन-जीवन की बहुत बड़ी credit हो। ये वातावरण कैसे बनाएं, उस दिशा में हम सबने मिल करके काम करना चाहिए, लेकिन, मुझे, बहुत अच्छा लगा आप लोगों से बात करके, और मैं, आप सब को बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। धन्यवाद।

समूह स्वर: धन्यवाद सर।

कहानी के द्वारा, संस्कार सरिता को आगे बढ़ाने वाली इन बहनों को हमने सुना। मैं, जब उनसे फोन पर बात कर रहा था, इतनी लम्बी बात थी, तो, मुझे लगा कि ‘मन की बात’ के समय की सीमा है, तो, मेरी उनसे जो बातें हुई है, वो सारी बातें, मैं, मेरे NarendraModiApp पर upload करूँगा - पूरी कथाएँ, ज़रूर वहाँ सुनिए। अभी, ‘मन की बात’ में तो, मैंने, उसका बहुत छोटा सा अंश ही आपके सामने प्रस्तुत किया है। मैं, ज़रूर आपसे आग्रह करूँगा, परिवार में, हर सप्ताह, आप, कहानियों के लिए कुछ समय निकालिए, और ये भी कर सकते हैं कि परिवार के हर सदस्य को, हर सप्ताह के लिए, एक विषय तय करें, जैसे, मान लो करुणा है, संवेदनशीलता है, पराक्रम है, त्याग है, शौर्य है - कोई एक भाव और परिवार के सभी सदस्य, उस सप्ताह, एक ही विषय पर, सब के सब लोग कहानी ढूँढेंगे और परिवार के सब मिल करके एक-एक कहानी कहेंगे।

आप देखिये, कि, परिवार में कितना बड़ा खजाना हो जाएगा, Research का कितना बढ़िया काम हो जाएगा, हर किसी को कितना आनन्द आएगा और परिवार में एक नयी प्राण, नयी उर्जा आएगी - उसी प्रकार से हम एक काम और भी कर सकते हैं। मैं, कथा सुनाने वाले, सबसे, आग्रह करूँगा, हम, आज़ादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं! विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब, हमारी नयी पीढ़ी को, कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं। मुझे विश्वास है कि आप लोग ज़रूर इस काम को करेंगे। कहानी कहने की ये कला देश में और अधिक मजबूत बनें, और अधिक प्रचारित हो और सहज बने, इसलिए, आओ हम सब प्रयास करे। 


मेरे प्यारे देशवासियो, आईये, कहानियों की दुनिया से अब हम सात समुन्द्र पार चलते हैं, ये आवाज़ सुनिए!

“नमस्ते, भाइयो और बहनों, मेरा नाम सेदू देमबेले है। मैं West Africa के एक देश माली से हूँ। मुझे फरवरी में भारत में visit पे सबसे बड़े धार्मिक त्यौहार कुम्भ मेला में शामिल होने का अवसर मिला। मेरे लिए ये बहुत ज्यादा गर्व की बात है। मुझे कुम्भ मेला में शामिल होकर बहुत अच्छा लगा और भारत के culture को देखकर बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं विनती करना चाहता हूँ, कि, हम लोगों को एक बार फिर भारत visit करने का अवसर दिया जाए, ताकि हम और, भारत के बारे में, सीख सकें। नमस्ते।” 

प्रधानमंत्री: है न मज़ेदार, तो ये थे माली के सेदू देमबेले। माली, भारत से दूर, पश्चिम अफ्रिका का एक बड़ा और Land Locked देश है। सेदू देमबेले, माली के एक शहर, Kita के एक पब्लिक स्कूल में शिक्षक हैं, वे, बच्चों को English, Music और Painting, drawing पढ़ाते हैं, सिखाते हैं। लेकिन उनकी एक और पहचान भी है - लोग उन्हें माली के हिंदुस्तान का बाबू कहते हैं, और, उन्हें ऐसा कहलाने में बहुत गर्व की अनुभूति होती है। प्रत्येक रविवार को दोपहर बाद वे माली में एक घंटे का रेडियो कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, इस कार्यक्रम का नाम है Indian frequency on Bollywood songs। इसे वे पिछले 23 वर्षों से प्रस्तुत करते आ रहे हैं। इस कार्यक्रम के दौरान वे French के साथ-साथ माली की लोकभाषा ‘बमबारा’ में भी अपनी commentary करते हैं और बड़े नाटकीय ढ़ंग से करते हैं। भारत के प्रति उनके मन में अगाध प्रेम है। भारत से उनके गहरे जुड़ाव की एक और वजह ये भी है, कि, उनका जन्म भी 15 अगस्त को हुआ था I सेदू जी ने दो घंटे का एक और कार्यक्रम अब प्रत्येक रविवार रात 9 बजे शुरू किया है, इसमें वे बॉलीवुड की एक पूरी फिल्म की कहानी French और बमबारा में सुनाते हैं। कभी-कभी किसी emotional scene के बारे में बात करते समय वे स्वयं भी, और उनके श्रोता भी, एक-साथ रो पड़ते हैं। सेदू जी के पिता ने ही भारतीय संस्कृति से उनकी पहचान करवाई थी। उनके पिता, cinema, theatre में काम करते थे और वहाँ भारतीय फ़िल्में भी दिखाई जाती थी। इस 15 अगस्त को उन्होंने हिंदी में एक video के माध्यम से भारत के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी थी। आज, उनके बच्चे भारत का राष्ट्रगान आसानी से गाते हैं। आप, ये दोनों video ज़रूर देखें और उनके भारत प्रेम को महसूस करें। सेदू जी ने जब कुम्भ का दौरा किया था और उस समय वे उस delegation का हिस्सा थे, जिससे मैं मिला था, भारत के लिए उनका, इस प्रकार का जूनून, स्नेह और प्यार वाकई हम सब के लिए गर्व की बात है।


मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहाँ कहा जाता है, जो, ज़मीन से जितना जुड़ा होता है, वो, बड़े-से-बड़े तूफानों में भी उतना ही अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं। संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमख़म दिखाया है। साथियो, देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गाँव, आत्मनिर्भर भारत का आधार है। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियाँ मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है। जो मैंने उन से सुना है, जो मैंने औरों से सुना है, मेरा मन करता है, आज ‘मन की बात’ में उन किसानों की कुछ बातें जरूर आप को बताऊँ। हरियाणा के सोनीपत जिले के हमारे एक किसान भाई रहते हैं उनका नाम हैं श्री कंवर चौहान। उन्होंने बताया है कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियाँ बेचने में बहुत दिक्कत आती थी। अगर वो मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियाँ बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियाँ तक जब्त हो जाती थी। लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ। चार साल पहले, उन्होंने, अपने गाँव के साथी किसानों के साथ मिलकर एक किसान उत्पादक समूह की स्थापना की। आज, गाँव के किसान Sweet Corn और baby Corn की खेती करते हैं। उनके उत्पाद, आज, दिल्ली की आजादपुर मंडी, बड़ी Retail Chain तथा Five Star होटलों में सीधे supply हो रहे हैं। आज, गाँव के किसान sweet corn और baby corn की खेती से, ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इसी गाँव के 60 से अधिक किसान, net house बनाकर, Poly House बनाकर, टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, इसकी, अलग-अलग variety का उत्पादन करके, हर साल प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रूपये तक की कमाई कर रहें हैं। जानते हैं, इन किसानों के पास क्या अलग है! अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है। अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। फल-सब्जियों के लिए ही नहीं, अपने खेत में, वो जो पैदा कर रहें हैं - धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जो उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार, जहाँ ज्यादा दाम मिले, वहीँ पर, बेचने की, अब, उनको आज़ादी मिल गई है।

साथियो, तीन–चार साल पहले ही, महाराष्ट्र में, फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली, इसका उदाहरण हैं, Sri Swami Samarth Farmer’s producer company limited - ये किसानों का समूह है। पुणे और मुंबई में किसान साप्ताहिक बाज़ार खुद चला रहे हैं। इन बाज़ारों में, लगभग 70 गाँवों के, साढ़े चार हज़ार किसानों का उत्पाद, सीधे बेचा जाता है - कोई बिचौलिया नहीं। ग्रामीण-युवा, सीधे बाज़ार में, खेती और बिक्री की प्रक्रिया में शामिल होते हैं - इसका सीधा लाभ किसानों को होता है, गाँव के नौजवानों को रोजगार में होता है।


एक और उदाहरण, तमिलनाडु के थेनि जिले का है, यहाँ पर है तमिलनाडु केला farmer produce company, ये farmer produce company कहने को तो company है, हकीकत में, ये, किसानों ने मिल करके अपना एक समूह बनाया है। बड़ा लचीली व्यवस्था है, और वो भी पांच–छ: साल पहले बनाया है। इस किसान समूह ने lockdown के दौरान आसपास के गाँवों से सैकड़ों metric tonne सब्जियाँ, फलों और केले की खरीद की, और, Chennai शहर को, सब्जी combo kit दिया। आप सोचिये, कितने नौजवानों को उन्होंने रोजगार दिया, और मज़ा ये है, कि, बिचौलियोँ ना होने के कारण, किसान को भी लाभ हुआ, और, उपभोक्ता को भी लाभ हुआ। ऐसा ही एक लखनऊ का, किसानों का समूह है। उन्होंने, नाम रखा है ‘इरादा फार्मर प्रोडयूसर’ इन्होंने भी, lockdown के दौरान किसानों के खेतों से, सीधे, फल और सब्जियाँ ली, और, सीधे जा करके, लखनऊ के बाज़ारों में बेची - बिचौलियों से मुक्ति हो गई और मन चाहे उतने दाम उन्होंने प्राप्त किये। साथियो, गुजरात में बनासकांठा के रामपुरा गाँव में इस्माइल भाई करके एक किसान है। उनकी कहानी भी बहुत दिलचस्प है। इस्माइल भाई खेती करना चाहते थे, लेकिन, अब, जैसे ज्यादातर सोच बन गई है, उनके परिवार को भी लगता था कि इस्माइल भाई ये कैसी बात कर रहे हैं। इस्माइल भाई के पिता खेती करते थे, लेकिन, इसमें उनको अक्सर नुकसान ही होता था। तो पिताजी ने मना भी किया, लेकिन, परिवार वालों के मना करने के बावजूद इस्माइल भाई ने तय किया कि वो तो खेती ही करेंगे। इस्माइल भाई ने सोच लिया था, कि खेती घाटे का सौदा है, वो, ये सोच, और स्थिति, दोनों को, बदलकर दिखायेंगे। उन्होंने, खेती शुरु की, लेकिन, नये तरीकों से, innovative तरीके से। उन्होंने, drip से सिंचाई करके, आलू की खेती शुरू की, और आज, उनके आलू, एक पहचान बन गए हैं। वो, ऐसे आलू उगा रहें हैं, जिनकी quality बहुत ही अच्छी होती है। इस्माइल भाई, ये आलू, सीधे, बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेचते हैं, बिचौलियों का नामों-निशान नहीं, और परिणाम - अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अब तो उन्होंने, अपने पिता का सारा कर्जा भी चुका दिया है और सबसे बड़ी बात जानते हैं! इस्माइल भाई, आज, अपने इलाके के सैंकड़ों और किसानों की भी मदद कर रहे हैं। उनकी भी ज़िंदगी बदल रहे हैं।

साथियो, आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही, वो, आगे बढ़ेगी, उसमें नये-नये तौर-तरीके आयेंगे, नये innovations जुड़ेंगे। मणिपुर की रहने वाली बिजयशान्ति एक नये innovation के चलते ख़ूब चर्चा में है, उन्होंने कमल की नाल से धागा बनाने का start up शुरू किया है। आज, उनके innovation के चलते कमल की खेती और textile में एक नया ही रास्ता बन गया है। 

मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आपको अतीत के एक हिस्से में ले जाना चाहता हूँ। एक-सौ-एक साल पुरानी बात है। 1919 का साल था। अंग्रेजी हुकूमत ने जलियांवाला बाग़ में निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया था। इस नरसंहार के बाद एक बारह साल का लड़का उस घटनास्थल पर गया। वह खुशमिज़ाज और चंचल बालक, लेकिन, उसने जलियांवाला बाग में जो देखा, वह उसकी सोच के परे था। वह स्तब्ध था, यह सोचकर कि कोई भी इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। वह मासूम गुस्से की आग में जलने लगा था। उसी जलियांवाला बाग़ में उसने अंग्रेजी शासन के खिलाफ़ लड़ने की कसम खायी। क्या आपको पता चला कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ? हाँ! मैं, शहीद वीर भगतसिंह की बात कर रहा हूँ। कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगतसिंह की जयन्ती मनायेंगे। मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूँ। क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, इसके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। इतनी ताकतवर हुकूमत, एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गयी थी। शहीद भगतसिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे, चिन्तक थे। अपने जीवन की चिंता किये बगैर भगतसिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान रहा। शहीद वीर भगतसिंह के जीवन का एक और खूबसूरत पहलू यह है कि वे team work के महत्व को बख़ूबी समझते थे। लाला लाजपतराय के प्रति उनका समर्पण हो या फिर चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु समेत क्रांतिकारियों के साथ उनका जुड़ाव, उनके लिये, कभी व्यक्तिगत गौरव, महत्वपूर्ण नहीं रहा। वे जब तक जिए, सिर्फ एक mission के लिए जिए और उसी के लिये उन्होंने अपना बलिदान दे दिया - वह mission था भारत को अन्याय और अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाना। मैंने NaMoApp पर हैदराबाद के अजय एस. जी का एक comment पढ़ा। अजय जी लिखते हैं - आज के युवा कैसे भगत सिंह जैसे बन सकते हैं ? देखिये! हम भगत सिंह बन पायें या ना बन पायें, लेकिन, भगत सिंह जैसा देश प्रेम, देश के लिये कुछ कर-गुजरने का ज़ज्बा, जरुर, हम सबके दिलों में हो। शहीद भगत सिंह को यही हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। चार साल पहले, लगभग यही समय था, जब, surgical strike के दौरान दुनिया ने हमारे जवानों के साहस, शौर्य और निर्भीकता को देखा था। हमारे बहादुर सैनिकों का एक ही मकसद और एक ही लक्ष्य था, हर कीमत पर, भारत माँ के गौरव और सम्मान की रक्षा करना। उन्होंने, अपनी ज़िंदगी की जरा भी परवाह नहीं की। वे, अपने कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ते गए और हम सबने देखा कि किस प्रकार वे विजयी होकर के सामने आये। भारत माता का गौरव बढ़ाया।


मेरे प्यारे देशवासियो, आने वाले दिनों में हम देशवासी, कई महान लोगों को याद करेंगे, जिनका, भारत के निर्माण में अमिट योगदान है। 02 अक्टूबर हम सबके लिए पवित्र और प्रेरक दिवस होता है। यह दिन माँ भारती के दो सपूतों, महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिन है। 

पूज्य बापू के विचार और आदर्श आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं, महात्मा गाँधी का जो आर्थिक चिन्तन था, अगर उस spirit को पकड़ा गया होता, समझा गया होता, उस रास्ते पर चला गया होता, तो, आज आत्मनिर्भर भारत अभियान की जरूरत ही नहीं पड़ती। गाँधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी, भारत की खुशबू थी। पूज्य बापू का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम ये सुनिश्चित करें कि हमारा हर कार्य ऐसा हो, जिससे, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति का भला हो। वहीं, शास्त्री जी का जीवन, हमें, विनम्रता और सादगी का संदेश देता है। 11 अक्टूबर का दिन भी हमारे लिए बहुत ही विशेष होता है। इस दिन हम भारत रत्न लोक नायक जय प्रकाश जी को’ उनकी जयंती पर स्मरण करते हैं। जे० पी० ने हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है। हम, भारत रत्न नानाजी देशमुख को भी याद करते हैं, जिनकी जयंती भी, 11 तारीख को ही है। नानाजी देशमुख, जय प्रकाश नारायण जी के बहुत निकट साथी थे। जब, जे० पी० भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग लड़ रहे थे, तो, पटना में उन पर प्राणघातक हमला किया गया था। तब, नानाजी देशमुख ने, वो वार, अपने ऊपर ले लिया था। इस हमले में नानाजी को काफ़ी चोट आई थी, लेकिन, जे० पी० का जीवन बचाने में वो कामयाब रहे थे। इस 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की भी जयंती है, उन्होंने, अपना पूरा जीवन, लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। वे, एक राज परिवार से थीं, उनके पास संपत्ति, शक्ति, और दूसरे संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन फिर भी उन्होंने, अपना जीवन, एक माँ की तरह, वात्सल्य भाव से, जन-सेवा के लिए खपा दिया। उनका ह्रदय बहुत उदार था। इस 12 अक्टूबर को उनके जन्म शताब्दी वर्ष के समारोह का समापन दिवस होगा, और, आज जब मैं, राजमाता जी की बात कर रहा हूँ, तो, मुझे, भी एक बहुत ही भावुक घटना याद आती है। वैसे तो, उनके साथ बहुत सालों तक काम करने का मौका मिला, कई घटना हैं। लेकिन, मेरा मन करता है, आज, एक घटना का जरूर जिक्र करूं। कन्याकुमारी से कश्मीर, हम एकता यात्रा लेकर निकले थे। डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी के नेतृत्व मे यात्रा चल रही थी। दिसम्बर, जनवरी कड़ाके के ठण्ड के दिन थे। हम रात को करीब बारह-एक बजे, मध्य प्रदेश, ग्वालियर के पास शिवपुरी पहुँचे, निवास स्थान पर जा करके, क्योंकि, दिन-भर की थकान होती थी, नहा-धोकर के सोते थे, और, सुबह की तैयारी कर लेते थे। करीब, 2 बजे होंगें, मैं, नहा-धोकर के सोने की तैयारी कर रहा था, तो, दरवाजा किसी ने खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला तो राजमाता साहब सामने खड़ी थी। कड़ाके की ठण्ड के दिन और राजमाता साहब को देखकर के मैं हैरान था। मैंने माँ को प्रणाम किया, मैंने कहा, माँ आधी रात में! बोले, कि, नहीं बेटा, आप, ऐसा करो, मोदी जी दूध पी लीजिए ये गर्म दूध पीकर के ही सो जाइए। हल्दी वाला दूध खुद लेकर के आईं। हाँ, लेकिन जब, दूसरे दिन मैंने देखा, वो, सिर्फ मुझे ही नहीं, हमारी यात्रा की व्यवस्था में, जो 30-40 लोग थे, उसमें ड्राइवर भी थे, और भी कार्यकर्ता थे, हर एक के कमरे में जाकर के, खुद ने रात को 2 बजे सबको दूध पिलाया। माँ का प्यार क्या होता है, वात्सल्य क्या होता है, उस घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ। यह हमारा सौभाग्य है कि ऐसे महान विभूतियों ने हमारी धरती को, अपने त्याग और तपस्या से सींचा है। आईये, हम सब मिल करके, एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जिस पर, इन महापुरुषों को गर्व की अनुभूति हो। उनके सपने को अपने संकल्प बनाएं। 

मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के इस कालखंड में, मैं, फिर एक बार आपको याद कराऊंगा, mask अवश्य रखें, face cover के बिना बाहर ना जाएँ। दो गज की दूरी का नियम, आपको भी बचा सकता है, आपके परिवार को भी बचा सकता है। ये कुछ नियम हैं, इस कोरोना की ख़िलाफ, लड़ाई के हथियार हैं, हर नागरिक के जीवन को बचाने के मजबूत साधन हैं। और, हम ना भूलें, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढ़िलाई नहीं। आप स्वस्थ रहें, आपका परिवार स्वस्थ रहे, इसी शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत धन्यवाद। नमस्कार। 




EPS 5 PENSIONERS | A VOICE OF EPS 95 PENSIONER FOR EPS 95 PENSION HIKE, 65 लाख पेंशनधारकों के लिए जरुरी जानकारी

जैसा की सभी ईपीएस 95 पेंशनधारक जानते की ईपीएस 95 के तहत मिलाने वाली पेंशन बढ़ोतरी की सभी ईपीएस 95 पेंशनधारको द्वारा की जा रही है, पर अभी तक पेंशन बढ़ोतरी नहीं हुई है और ईपीएस 95 पेंशन बढ़ोतरी के प्रयास जारी है। इसी बिच पेंशनधारकों द्वारा आवाज उठाई जा रही है। आज इस आर्टिकल में ऐसे ही एक आदरणीय ईपीएस 95 पेंशनधारक जिनका नाम है वेणुगोपालन टी उनके द्वारा जो आवाज उठाई गई है तो उसी के बारे में जानने वाले है।

 

माननीय वेणुगोपालन टी द्वारा लिख गया है..... 

संयोग से मैं एक ईपीएफ पेंशनभोगी हूं जो केंद्रीय पीएसयू से 20 साल की सेवा प्रदान करने के बाद 50 साल की उम्र में सेवा छोड़ रहा है और 20 साल बाद भी मेरी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद प्रति माह न्यूनतम 1000 तय किए गए पैलेट्री रु.831 ड्राइंग है।

सौभाग्य से मैं अपने ईपीएफ पेंशन पर निर्भर नहीं हूं क्योंकि मुझे अन्य स्रोतों और मेरे पेशे से आय है। लेकिन मैं यह देखता हूं कि कई कर्मचारियों को 2003 तक मेरे संचय को छोड़ दिया गया है, जिसमें सेवानिवृत्ति के बाद 1000 प्रति माह तक ऐसे पेंशन पेंशन शामिल हैं, जो दोनों सिरों को पूरा करने के लिए अपने जीवन का संघर्ष कर रहे हैं, उनके सेवानिवृत्ति लाभ और ग्रेच्युटी और पेंशन राशि खर्च के लिए खर्च उनके घर के निर्माण, बच्चों की शिक्षा / विवाह या स्वयं, सहज या अन्य परिवार के सदस्यों के मेडिकल खर्चों के लिए..ये किसी भी ईएसआई या सीपीएसयू की अन्य चिकित्सा सुविधा द्वारा कवर नहीं किए गए हैं, जो हाल ही में 2007 से सेवानिवृत्त हुए गोरों ने किए और कुछ ने अपने लाभों में निवेश किया व्यापार लेकिन असफल रहे थे। 

 

पूर्व कर्मचारी पूरे भारत में असंगठित हैं। केरल राज्य के व्यक्ति जहाँ मैं भी असंगठित हैं और हम epf पेंशनरों के लिए किसी भी संगठन के सदस्य नहीं हैं। 

मुझे यह भी पता चलता है कि व्यक्तियों की समस्या 2003 से पहले सेवा छोड़ दी गई थी और जो 2003 tp 2014 के बीच में थे और 2014 के बाद के लोग अलग-अलग प्रतिष्ठानों के कर्मचारी हैं (जैसे हमारे) और अन्य को अलग से निपटाया जाना है।

प्रभावित व्यक्तियों में से कुछ अब वरिष्ठ वरिष्ठ नागरिक 80 वर्ष की आयु तक पहुँच रहे हैं और अन्य भी शारीरिक रूप से कठिन शारीरिक आंदोलन के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

हमारी श्रेणी के लिए जो मांग की जाती है वह डीए के साथ न्यूनतम 3000 प्रति माह की एक सभ्य पेंशन है जिसमें न्यूनतम 7500 पेंशन + डीए की सामान्य मांग के बावजूद 1000 की वर्तमान न्यूनतम पेंशन में वृद्धि है। 2003 - 2014 के बीच सेवानिवृत्त हुए योश को न्यूनतम वेतन के साथ अंतिम रूप से प्राप्त वास्तविक वेतन पर पेंशन मिलनी चाहिए।

 

यह सुझाव अनुमान पर आधारित है कि इस अवधि के दौरान वेतन आमतौर पर बढ़ाया गया था। 2014 के बाद वे 15000 से ऊपर के वास्तविक वेतन पर योगदान देने का विकल्प चुन सकते हैं और सरकार के कर्मचारियों और अन्य चयनित बैंक, सार्वजनिक क्षेत्रों की तुलना में एक सभ्य पेंशन प्राप्त कर सकते हैं। केरल राज्य में असहाय व्यक्तियों और वरिष्ठ नागरिकों को सामाजिक कल्याण पेंशन अब 1400 प्रति माह कर दी गई है। मैं समझता हूं कि किसी और राज्य में यह लगभग 2000 है।

तो क्या यह उचित नहीं है कि हम अपने EPF न्यूनतम पेंशन को 3000 तक तय करें, अगर हम किसी भी तरह का तनाव नहीं उठा रहे हैं, क्योंकि मैं समझता हूं कि epf fund में लगभग 5 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग इसके लिए किया जा सकता है और कई खातों में कोई दावेदार नहीं हैं । केरल उच्च न्यायालय ने आने वाले सभी मामलों में फैसले दिए हैं।

 

इससे पहले कि वे छूटे हुए प्रतिष्ठानों के लोगों सहित वास्तविक वेतन पर पेंशन का भुगतान करें और कुछ संगठनों ने इसे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के परिणाम के रूप में लागू किया है क्योंकि EPFO ​​और केंद्रीय सरकार ने SC के अनुकूल आदेशों की समीक्षा करके चुनौती दी है और इस मामले को खुली अदालत में ही सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद सुना जाएगा। ।

मैंने देखा है कि कुछ सांसदों ने इस मामले को ईमानदारी से उठाया है, जिनमें प्रेमचंद्रन भी शामिल हैं, जिन्होंने केरल को मुख्य भूमिका दी है। लेकिन फिर भी मुझे संदेह है कि वे पेंशनरों के सभी क्षेत्रों की समस्याओं के साथ नहीं हैं, हालांकि उन्होंने कुछ मुद्दों को संबोधित किया है।

मैं आशा करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि कोई व्यक्ति समस्या का सकारात्मक समाधान खोजने के लिए प्रभावी नेतृत्व करेगा। 

आदरणीय वेणुगोपालन टी कोच्चि




Friday, September 25, 2020

VERY IMPORTANAT DOCUMENTS FOR EPS 95 PENSIONERS | EPFO ISSUE INSTRUCTION ON DEALING WITH MATTERS OF HIGHER PENSION

EPS 95 HIGHER PENSION CASE STATUS | EPS 95 CASES STATUS IN SC | EPS 95 PENSION HIKE


In todays small article for EPS 95 Pensioner I am sharing all the enclosures as attached with the EPFO HQ letter dt. 16.9.2020. 

This file contains the following documents, please download all documents 


1. EPFO HQ Legal Div. Letter dt. 16.09.2020: Click Here to Download

2. EPFO HQ Legal Div. Letter dt. 21.07.2020 with annexures: Click Here to Download


3. Actuarial Valuation Reports: Click Here to Download

4. Model Calculation Sheets: Click Here to Download

5. Synopsis for Conference prepared by Legal Division: Click Here to Download

6. Supreme Court order dt. 6.2.2020 in WPC no. 233 of 2018: Click Here to Download

7. Kerala High Court Order dt. 04.08.2020 and 19.08.2020 in links are below


CoC No. 498 of 2020: Click Here to Download

and CoC No. 1007 of 2020: Click Here to Download

8. HC Madhya Pradesh Orders dt. 3.3.2020 in WP no. 20572 of 2018 and WP no. 7994 of 2019: Click Here to Download

9. P&H High Court Order dt. 14.1.2020 in CWP no. 19985 of 2018: Click Here to Download


EPS 95 PENSIONERS INFORMATION: Very Important Information Sought from EPFO by RTI, Every EPS 95 Pensioner Must Know

As all EPS 95 Pensiners know, EPFO HQ had issued a circular on 23.3.2017 regarding implementation of orders dt. 4.10.2016 of the Supreme Court regarding Higher Pension. I had been seeking information from time to time regarding the number of EPS 95 Pensioners who have expired after the issue of said circular dt. 23.3.2017 and had been seeking such information for the years 2017-18 & onwards but every time EPFO HQ as well as Zonal Offices had transferred applications here & there filed.


Finally, following RTI application after collecting the relevant information so that EPFO may not be able to refuse/transfer application. Here is the text of my application dated 31.8.2020

Relates to Head Office - IS Division Your kind attention is invited towards

a) Section 8(j) of the RTI Act, 2005 wherein it has been provided that THE INFORMATION WHICH CANNOT BE DENIED TO THE PARLIAMENT OR A STATE LEGISLATURE SHALL NOT BE DENIED TO ANY PERSON.


b) Information provided by the IS Division to the Pension Division in r/o Rajya Sabha Parliament Unstarred Question no. 428 /Question Diary no. S-929

c) The above information had been provided to the Pension Division through the centralised data being maintained by IS Division

d) The above information had been provided vide email by Ms. Leena Aggarwal, AD (IS) from email ID leena.aggarwal@epfindia.gov.in to rc.is@epfindia.gov.in with a copy to sathya.bama@epfindia.gov.in on 14.11.2019 at 2:53PM

e) The said information had further been provided by IS Division (rc.is@epfindia.gov.in) to Pension Division (rc.pension@epfindia.gov.in) on 14.11.2019 at 3:03PM


f) The aforesaid information had been provided by MoL&E in its reply on 20.11.2019 in the Rajya Sabha wherein it had been informed that from 1995 to till date 624009 member pensioners had expired In view of above, please provide me the following information Year wise number of member pensioners of EPS 1995 expired during the following period:

a. 2017-18

b. 2018-19

c. 2019-20

d. 2020- till date

Additional fee for the documents may be sought from Parveen Kohaliji as original application filed by him only through this RTI Online Portal. The reply has been received today and is being shared. It is a matter of great concern that a large number of pensioners have been deprived of the benefit of Higher Pension allowed by the Supreme Court only due to bad intentions of EPFO.

Credit Respected  Parveen Kohaliji


Thursday, September 24, 2020

EPS 95 PENSIONERS NEWS | आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत EPS 95 पेंशनर्स के साथ हो पंतप्रधान श्री. नरेंद्र मोदीजी से गुजारिस

जानते हैं आप? आत्मनिर्भर भारत अभियान

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट के इस दौर में भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था। इस पैकेज को आत्मनिर्भर भारत अभियान का नाम दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि इस बड़े राहत पैकेज से भारत में लोगों को कामकाज करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी और यह कोशिश की जाएगी कि अगले कुछ सालों में भारत अपनी जरूरत की अधिकतर चीजों के लिए खुद पर निर्भर हो जाए. इस हिसाब से अभियान का नाम आत्मनिर्भर भारत अभियान रखा गया है। 


केंद्र सरकार ने नया लेबर कोड लाकर श्रमिकों के हित में एक बड़ा काम किया है. सरकार ने कहा है कि नए लेबर कोड की वजह से पूरे देश में एक जैसी न्यूनतम मजदूरी की व्यवस्था करने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही सभी श्रमिकों को समय पर भुगतान कराने में भी मदद मिलने की उम्मीद है। इस समय न्यूनतम वेतन का फायदा सिर्फ 30 फ़ीसदी श्रमिक उठा पाते हैं. इसके साथ ही सभी मजदूरों को नियुक्ति के लिए अपॉइंटमेंट लेटर दिया जाएगा। इसके साथ ही हर इम्पलॉई का सालाना हेल्थ चेकअप अनिवार्य कर दिया जाएगा।

इसी को देखते हुए ई.पी.एस. 95 पेंशनर्स की लगातार आवाज बनते जा रहे ईपीएस 95 पेंशनर्सपुत्र, सुदर्शन बैस ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को सम्बोधित करते हुए सभी ईपीएस 95 पेंशनर्स के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना को पेंशनधारको से सुरु करने का अनुरोध किया है।


EPS 95 पेंशनर्सपुत्र, सुदर्शन बैस की प्रधानमंत्री से गुजारिस

आदरणीय पंतप्रधान,
श्री नरेंद्र मोदीजी,
भारत सरकार

विषय:- सर आपके आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत हम ई.पी.एस 95 पेंशनर्स के साथ हो बस यही गुजारिश.

आदरणीय सर,
आपने जब से आत्म निर्भर भारत का नारा दिया है हम सेवानिवृत्त, बूढ़े, बेसहारा ई.पी.एस. 95 पेंशनर्स के जीवन में खोई हुई आत्मनिर्भरता की भावना जैसे पुन: जागृत हो गई हो जैसे महसूस हो रही है।

सर हम आपको याद दिलाना चाहते है हम 65 लाख ई.पी.एस 95 पेंशनर्स आझादी के बाद से पी.एस.यू, निजी क्षेत्र में बड़ी ईमानदारी और मेहनत से 30-35 वर्ष लगभग सेवा करते आए है। सर कम तनख्वाह होने के बावजूद भी हम अपने मासिक उत्पन्न में से पी.एफ में नियमित तौर पे अपना अंशदान बिना पूछे बेझिझक कटवाते आए है क्यूंकि हमे अपने देश की सरकार और न्यायप्रणाली पर पूरा भरोसा था। पर हमारी सेवानिवृत्त होने के बाद हमारा भरोसा पूरी तरह चकनाचूर हो गया, किसी को 500 किसी को 200 किसी को 800 ऐसे लगभग ज्यादा से ज्यादा 2500 तक प्रतिमाह पेंशन मिल रही है पिछले 20 सालों से इस महंगाई से टक्कर देने में असमर्थ हो रहे है अपना दर्द अंदर ही अंदर समेटे हुए जीते आए है। 


पर सर सच कहु आपके आत्मनिर्भर भारत के नारे ने हम गरीब पेंशनर्स को एक छोटीसी आशा की किरन दिखाई दे रही है सर आप ही सोचो जरा अपने जीवन में 30-35 वर्ष मेहनत करके अपने देश के तरक्की में अपना पूरी ईमानदारी से योगदान देकर भी अगर कोई बुजुर्ग पेंशनर आत्म निर्भर नही होता है तो इसमें देश का और देश के न्यायप्रणाली का अपमान नही होगा क्या? सर हम सब 65 लाख ई.पी.एस 95 पेंशनर्स आपकी ओर समस्त भारत सरकार की और आशा भरी नजरों से देख रहे है उम्मीद है भारत के पंतप्रधान और समस्त भारत सरकार हम ई.पी.एस. 95 पेंशनर्स को जरुर आत्मनिर्भर बनाके, हमे इंसाफ दिलाएगी।
धन्यवाद सर।

आपका,
सुदर्शन भगवानसिंह बैस,
ई.पी.एस 95 पेंशनर्सपुत्र



 

EPS 95 PENSIONER HIGHER PENSION CORT ORDER FOR INFORMATION IN THE VIEW UPCOMING HEARING IN SUPREME COURT ON REVIEW PETITION

EPS 95 HIGHER PENSION ORDER | EPS 95 CASE STATUS IN SUPREME COURT | 9 SEPT CBT MEETING DETAILS


The Supreme Court in the computer generated sheets, given the next hearing date of EPFO review petition is on 16 -10- 2020. Almost all EPS 95 pensioners  are awaiting for Supreme Court judgement.

The EPFO willfully litigated by filing again Review Petition against the interests of poor pensioners. The EPFO  on behalf of the Government to spending crores of public money to costly Advocates with wilful litigation without even thinking for solution.


Solutions  to EPs 95 pension are many. But, litigation in the Supreme Court is only one.

In this crucial time, the Government has to spray cool water on the heads of poor pensioners duly changing the  gear with positive attitude.

All the cases mentioned in the EPFO HQ Legal Division's directive dt. 16.9.2020 are concerning Post 1.9.2014 Retirees- Copies of the orders can Download by clicking below links. 

Request Please appraise your lawyers to plead for early hearing based upon the RTI information regarding death of a large number of pensioners after 23.3.2017.

1. KHC - Contempt Case 498 of 2020 : BPCL Exempted and Post 1.9.2014 Retirees

Click Here to Download Copy of Contempt Case 498 of 2020 


2. KHC - Contempt Case 1007 of 2020:  CENTRE FOR WATER RESOURCES DEVELOPMENT
AND MANAGEMENT - Post 1.9.2014 Retirees

Click Here to Download Copy of Contempt Case 1007 of 2020

3. Pb & Hr HC - CWP 19985 of 2018 - Un-exempted - Haryana Agro Industries Corp. - Post 1.9.2014 Retiree

Click Here to Download Copy of Pb & Hr HC - CWP 19985 of 2018

4. MP HC - CWP 20572 of 2018 - Un-exempted - Co-op Bank Employees Pensioners Association -  Post 1.9.2014 Retirees

Click Here to Download Copy of P HC - CWP 20572 of 2018


5. MP HC - CWP 7994 of 2019 - Un-exempted - MP Rajya Van Vikas Nigam - Post 1.9.2014 Retirees

Click Here to Download Copy of MP HC - CWP 7994 of 2019

6. SC - Review Petition by EPFO No.: 1430-1431 of 2019 - Post 1.9.2014 Retirees

Click Here to Download Copy of 1430-1431 of 2019-PARTIAL

7. SC - SLP by UOI No.: 16721-16722 of 2019 - Post 1.9.2014 Retirees

Click Here to Download Copy of SLP by UOI No.: 16721-16722 of 2019



 

Every EPS 95 Pensioners Must Read | सभी 65 लाख EPS 95 पेंशनधारक इस जानकारी को जरूर जान ले। एक EPS 95 पेंशनधारक की पुकार........

जेस्ट - नागरिक श्रेष्ठ - भारत राष्ट्रीय संघर्ष समिति की जीत कमांडर अशोकरावजी राउत सर आगे बढ़ें! आपके साथ हमारे पास 6.5 मिलियन पेंशनभोगी हैं। EPS95 पेंशन धारक जागो, जागो, तुम्हारे साथ कितना अन्याय हो रहा है। वह जानकारी पढ़ें। यह पेंशन धारक का एक अनुरोध है। EPS95 संघर्ष समिति के औरंगाबाद जिला सचिव: - श्री कमलाकर पंगरकर साहेब और महिला अध्यक्ष: - श्रीमती कविता भालेराव मैडम, शर्मा मैडम, बडवे मैडम, शारजाह मैडम, पालकिया मैडम, जोशी मैडम, भारत की महिला मंडल पैथन तालुका के अध्यक्ष: -विष्णु अन्ना बोदखे पाटिल ने मुझसे पूछा है कि श्री गोविंदप्पा डांगे ने लिखा है कि पेंशन वृद्धि के लिए उन्होंने अब तक क्या किया है और क्या हुआ है। यदि भारत में किसी का सबसे ज्यादा इलाज हो रहा है, तो ई.पी. एस 95 पेंशन धारकों पर आयोजित किया जा रहा है। इसलिए, हमारे भगवान माननीय श्री राउत साहब ने वर्ष 2015 में EPS 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति की स्थापना की।

 

इस संगठन में, संगठित / असंगठित क्षेत्र, अर्थात्। एसएसईबी, सहकारी चीनी कारखानों, जिला बैंक, भारतीय खाद्य निगम, कृषि विकास महामंडल, एमआईडीसी, वन विभाग जैसे कुल 187 ने जांच की और अप्रकाशित खाते वर्तमान में सेवा में हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि कमांडर राउत साहब ने कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनरों की पेंशन बढ़ाने के लिए भारत के 27 राज्यों में एकमात्र संगठन स्थापित किया है। यह अनुचित था जब भारत 65 लाख पेंशनरों से स्वतंत्र नहीं था और हमारा भारत 74 साल पहले स्वतंत्र हो गया था। फिर भी, पेंशन धारक के साथ अभी भी गलत व्यवहार किया जा रहा है। जिस प्रकार ब्रिटिश शासन के दौरान हमारे साथ गलत व्यवहार किया जा रहा था, वैसे ही भारत में सभी जातियों और धर्मों के लोगों ने हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए मिलकर लड़ाई लड़ी। और अंग्रेजों को खदेड़ दिया। यह योजना 16 नवंबर, 1995 को लागू की गई थी। 07 जनवरी, 1996 को, भविष्य निधि संघ के अधिकारियों ने घोषणा की और प्रचारित किया कि यह योजना सरकारी पेंशन योजना की तुलना में 10% अधिक लाभदायक होगी। अधिकारी ने कहा था कि आपकी संचित पूंजी वापस कर दी जाएगी।


तो अब अपने पेंशन अधिकारों के बारे में जागो !!! जागो !!!! उठो !!!

भाइयों और बहनों, !!!

जैसा कि हम सभी जानते हैं, जिस विभाग में आप कार्यरत हैं, छूट का मतलब है कि सभी विभागों में सभी वरिष्ठ अधिकारी और कर्मी जिनका अपना पीएफ ट्रस्ट और निदेशक मंडल है, 34 से 35 साल के ईमानदार काम के बाद सेवानिवृत्ति के बाद और आपको एक अल्प पेंशन मिलती है, यानी आपको केवल 1000 रुपये से 2000 से 2500 हजार तक की पेंशन मिलती है। तो बिलकुल नहीं !!!

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 तो यह है कि रु। ५००० या ६५०० हजार रुपये की वेतन सीमा के भीतर, मासिक सदस्यता ५,४१ रुपये थी, और अब हम १२५ रुपये प्रति माह की दर से १५०० रुपये ईपीएस 1995 पेंशन फंड में १५,००० रुपये तक का भुगतान कर रहे हैं। समान पेंशन फंड के कुल बैलेंस पर आपको प्रति माह मिलने वाली ब्याज की राशि, केवल ईपीएफओ की राशि जो आपको आपकी मासिक पेंशन मिल रही है, फॉर्मूला पेंशनरी सैलरी × पेंशन योग्य सेवा + 2 = 70 = मासिक पेंशन के अनुसार !!! यह सरल गणित है !!! 

अब एक पल के लिए सोचिए कि एक बुजुर्ग दंपती को केवल रु। की पेंशन मिलती है। इसका मतलब यह है कि प्रत्येक पति और पत्नी के पास केवल 16 रुपये 50 पैसे की पेंशन है। नहीं नहीं !!



भाइयों और बहनों जो वर्तमान में सेवा कर रहे हैं और नियमित रूप से रुपये की वेतन सीमा से 1250 रुपये के पेंशन फंड में योगदान कर रहे हैं। क्या हम सभी को 1000, 1500, रु। 2000 की अल्प पेंशन चाहिए?
क्या आपको पेंशन के माध्यम से समाज में और यहां तक ​​कि अपने घर में भी एक गरिमापूर्ण जीवन जीने की जरूरत है ???

अब उन लोगों के बारे में थोड़ा और सोचिए जिन्होंने ईमानदारी से अपने जीवन भर काम किया है, सभी सरकारी करों को अपने स्थायी वेतन से घटाकर, कम वेतन पर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और नौकरी करने के बावजूद निरंतर कर्ज का सामना कर रहे हैं और अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए बहुत ईमानदारी से काम करते हैं, भारत को महाशक्तियों के कगार पर लाया गया है, जिसमें एक सेवानिवृत्त व्यक्ति और उसकी पत्नी को 33 रुपये की दैनिक पेंशन मिल रही है, और एक कैदी के लिए जो बड़े अपराधों के लिए जेल गया है और पेंशन के लिए एक भी रुपया नहीं चुका रहा है, वही सरकार प्रति दिन 88 रुपये खर्च कर रही है। तो यह अन्याय हमारे साथ क्यों हो रहा है ???

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यदि आप अल्प पेंशन वृद्धि के लिए कहते हैं, तो इसके लिए कोई पैसा नहीं है। एक विधायक या सांसद के रूप में केवल पांच साल कहने वाली सरकार में, पेंशन वृद्धि के लिए पूछने का एकमात्र समय यह है कि इन देशभक्तों की पेंशन को तुरंत बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दिया गया है !!! नहीं !! इन देशभक्तों और राजनेताओं का कार्यकाल केवल पाँच वर्ष है। ये देशभक्त राजनेता नियमित रूप से कोई पेंशन नहीं देते हैं। इसके अलावा, उनकी विधवा को भी पूर्ण 100% पेंशन मिलती है। इन राजनेताओं के लिए पेंशन का कोई कानून या योजना नहीं है। और हम अपनी संचित पूंजी को वापस प्राप्त करते हैं। हम 1250 रुपये की कटौती करते हैं। इसलिए देखें कि हमें कितना मिलना चाहिए। 25 जून, 1975 को जब देश में आपातकाल की स्थिति घोषित की गई थी, तो 15 दिन और एक महीने तक जेल में रहने वालों को 15,000 रुपये और 10,000 रुपये की पेंशन लागू की गई थी। सरपंच को 5,000 रुपये दिए गए थे। सरकार को कितनी और क्या घोषणा करनी चाहिए? उन्हें चोट मत करो, उन्हें भी चोट मत करो।



इसके विपरीत, ईपीएस 1995 योजना का एक पिछला नियम था कि ईपीएस -95 सदस्यों की पेंशन योजना जो प्रति माह 1250 रुपये की सदस्यता का भुगतान करती है, की समीक्षा हर तीन साल में की जानी चाहिए, लेकिन अब यह एक नियम / कानून है। और फिर भी यही कारण है कि 1995 से 2020 तक 25 वर्षों की लंबी अवधि में, हमारी देशभक्त सरकार ने कभी भी ईपीएस -95 योजना को संशोधित नहीं किया और एक बार भी पेंशन में वृद्धि की ????  हमारी मांगें राज्यसभा, केरल, तमिलनाडु क्या कारण है कि इन देशभक्तों की सरकार पेंशन को लेकर 04 अक्टूबर 2016 को नई दिल्ली की माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हमें दिए गए न्याय को लागू नहीं कर रही है ???

भाइयों और बहनों !!!!

हम पिछले पांच वर्षों से कमांडर राउत साहब के नेतृत्व में विभिन्न मुद्दों और अन्याय से लड़ रहे हैं। उन्होंने भविष्य के कार्यालय को घेर लिया, सरकारी खजाने में भीख मांगने के माध्यम से एकत्र धन को फेंक दिया, आधा नग्न आंदोलन किया। उन्होंने 05 दिसंबर, 2018 को पेंशन बढ़ाने के लिए भारत के सभी सांसदों के बंगलों के सामने चटनी की रोटी के लिए आंदोलन किया। 06/07 दिल्ली में जंतर मंतर पर तीन दिन की भूख हड़ताल और आत्मदाह था, और दिल्ली में तीन बार मार्च किया, और अपनी स्वैच्छिक मृत्यु के अपने हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रपति को डेढ़ लाख पेंशनभोगी भेजे। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि कमांडर साहब और उनकी पत्नी। मैंने खून के हस्ताक्षर भेजे हैं, मैं आपको इसके बारे में बताना चाहूंगा। नो टू नो 637 क्वार्टर डे चल रहा है। आगे कहते हुए, मैं यह कहना चाहूंगा कि अब कमांडर साहब ने NAC नामक एक चैनल शुरू किया है, यह अभियान मोबाइल व्हाट्सएप और कागज और इंटरनेट के माध्यम से चल रहा है।


प्रमुख मांगें: -

  • 1. ई पी एफ ओ ने 31 मई 2017 के आदेश को निरस्त कर दिया और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार पेंशन में वृद्धि की या 7500 रुपये प्रति माह।
  • 2. डी। ए। बढ़नी चाहिए।
  • 3. चिकित्सा परिवार को मुफ्त मिलना चाहिए,
  • 4. खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ प्राप्त करें
  • 5. संचित पूंजी लौटाएं
  • 6. केरल और तेलंगाना को राज्य के अनुसार प्रति माह 5000 रुपये का ईपीएस 95 पेंशनर्स सुरक्षा सम्मान अनुदान शुरू करना चाहिए।
  • 7. ई पी एस स्कीम से वंचित कर्मचारियों को सदस्य बनाया जाना चाहिए और प्रति माह 5000 रुपये पेंशन दी जानी चाहिए।
  • 8. ई.पी.एस. नियमानुसार हर तीन साल में 95 योजनाओं में संशोधन और वृद्धि की जानी चाहिए।
  • 9> देश की 30% कामकाजी आबादी के अनुसार, केंद्र और राजा में आर्थिक बजट स्थापित किया जाना चाहिए।
  • 10. लोगों को केंद्र और राज्य में 10 से 30 प्रतिशत श्रमिकों की पेंशन के लिए प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए
  • 11. पेंशनरों को भारत आयुष्मान योजना में शामिल करने का अनुरोध किया जाता है। कमांडर साहब की राष्ट्रीय संघर्ष समिति 1995 की समन्वय समिति अखिल भारतीय स्तर पर 2015 के बाद से, सेवानिवृत्त लोगों का यह संगठन जो ईमानदारी से पेंशन मुद्दे को अखिल भारतीय स्तर पर अपने आंदोलन को हल करने की कोशिश कर रहा है। अगर वे ईमानदारी से हमारे शरीर, मन और धन का समर्थन करते हैं, तो हम में से किसी को भी निश्चित रूप से एक सफल और गरिमापूर्ण जीवन के लिए बढ़ी हुई पेंशन मिलेगी, इसमें कोई संदेह नहीं है !!!!!! आपकी बैठक की घोषणा !! कमांडर राउत साहब ने लाखों में उपस्थित होने के लिए जो कुछ भी किया था। वादे करना !!!

दोस्त,

यह बहुत महत्वपूर्ण है कि यह जानकारी दैनिक आधार पर वर्तमान में सभी क्षेत्रों में काम करने वाले अधिक से अधिक कर्मचारियों तक पहुंचे !!!

यह भी पढ़े: 30 सितंबर से EPS मेंबर्स को मिलेगा EPS 95 Pension की नई सुविधा का लाभ, EPFO ने दी बड़ी राहत

प्रिय मित्रों,

हम, इसलिए, EPFO ​​की सरकार और प्रशासन जानबूझकर आपकी मांगों की अनदेखी कर रहे हैं, भले ही वे कानूनी और न्यायसंगत हों। यह करोड़ों की कीमत है, क्योंकि यह बड़ी संख्या चुनावों में निर्णायक शक्ति (मूल्य) को बढ़ाएगी ताकि हम निश्चित रूप से सरकार को अपनी मांगों पर ध्यान देने के लिए मजबूर कर सकें। जाना, आना, समय और खर्च सब कुछ महंगा है, इसलिए शारीरिक रूप से एक साथ आना और कुछ भी करना संभव नहीं है !!!



उपरोक्त सभी को ध्यान में रखते हुए, गैर-महंगा/महत्वहीन महंगा डिजिटल मीडिया (मोबाइल / इंटरनेट) का उपयोग एकता को मजबूत करने के लिए बहुत प्रभावी ढंग से किया जा सकता है, यह समय की आवश्यकता है। हम करेंगे मेरे डांगेप्पा परिवार की ओर से, मैं देवड़ी देव महादेव के चरणों में देवदी देव महादेव के शीघ्र निवृत्ति के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं। आपके राष्ट्रपति माननीय कमांडर साहब आपको जो कुछ भी करने का आदेश देते हैं, हम सब उपस्थित रहें और लाखों लोगों की उपस्थिति में, हमारे कमांडर साहब अपनी 60 इंच की छाती को मजबूत करके अपनी पेंशन में वृद्धि करेंगे और यह दिखाएंगे कि राष्ट्र दुनिया में कहां है, जहां वरिष्ठ नागरिक हैं, नागरिकों को इतने दयनीय दिन बिताने पड़ते हैं। हम किसी भी पार्टी को दोष नहीं देते हैं। क्योंकि एक ने अन्याय शुरू किया, दूसरे ने ट्रिगर खींचा, लेकिन हमारा सवाल यही है कि लोकसभा का काम क्या है? अगर अन्याय हो रहा है, तो इसे जारी रखा जाना चाहिए या इसे हटा दिया जाना चाहिए? फिर पेंशन कब बढ़ाई जाएगी? इस पुस्तिका को पढ़ने के बाद, यह एक विनम्र प्रार्थना है कि इसे किसी दूसरे नियोजित या सेवानिवृत्त व्यक्ति को भेजा जाए !!! 


विनीत: - 

पैठण तालुका के अध्यक्ष श्री विष्णु अन्ना बोधे पाटिल आपके पेंशनर पैठण। 

उपाध्यक्ष: - श्री गोविंदप्पा डांगे पैठान और सभी अधिकारियों और सदस्यों की जानकारी के लिए। आपके साथ हमारे पास 6.5 मिलियन पेंशनर्स हैं