Tuesday, October 6, 2020

SUPREME COURT LATEST JUDGEMENT: सुप्रीम कोर्ट ने कहा पुनर्विचार याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एसएलपी सुनवाई योग्य नहीं, यदि मुख्य फैसले को चुनौती नहीं दी गयी

EPS 95 HIGHER PENSION CASE STATUS | EPS 95 HIGHER PENSION ORDER | EPS 95 SUPREME COURT ORDER


हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज किये जाने के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका (SLP) की सुनवाई नहीं की जा सकती, जब तक रिट याचिका में मुख्य फैसले को चुनौती नहीं नहीं दी जाती। तीन-सदस्यीय बेंच ने कहा कि जब हाईकोर्ट के मुख्य फैसले को किसी भी तरीके से प्रभावित नहीं किया जा सकता है, तो उस फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिज किये जाने को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर विशेष अनुमति याचिका द्वारा कोई राहत नहीं दी जा सकती।


केस का नाम : टी. के. डेविड बनाम कुरुप्पमपडी सर्विस को ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड

केस नं. विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर – 10482 / 2020

कोरम: न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी।

इस मामले में, कोऑपरेटिव ट्रिब्यूनल ने कुरुप्पमपडी सर्विस कोऑपरेटिव बैंक के एक कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फैसला सुनाया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए कर्मचारी ने केरल हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी। एकल पीठ ने रिट याचिका खारिज कर दी थी। बाद में रिट अपील भी खारिज हो गयी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एसएलपी भी खारिज कर दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की गयी, जो खारिज हो गयी।


पुनर्विचार याचिका को खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एसएलपी की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की खंडपीठ के समक्ष विचार के लिए मुद्दा था कि जब डिवीजन बेंच के फैसले को न तो चुनौती दी गयी है, न ही चुनौती दी जा सकती है, तो क्या मौजूदा विशेष अनुमति याचिका सुनवाई योग्य होगी? इस मामले में बेंच ने दो फैसलों - 'बुसा ओवरसीज एंड प्रोपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य बनाम भारत सरकार एवं अन्य (2016) 4 एससीसी 696' और 'दिल्ली नगर निगम बनाम यशवंत सिंह नेगी, (2013) 2 एससीआर 550' का उल्लेख किया, जिनमें यह व्यवस्था दी गयी थी कि ऐसी एसएलपी सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट ने इस एसएलपी को खारिज करते हुए कहा :


"जब हाईकोर्ट के मुख्य आदेश को चुनौती नहीं दी जाती है तो पुनर्विचार याचिका को निरस्त करने संबंधी उसके आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका को सुनवाई योग्य न मानने का औचित्य आसानी से समझा जा सकता है। जब मुख्य फैसले के खिलाफ एसएलपी पहले ही खारिज हो गयी है तो इसका अर्थ है कि यह दोनों पक्षों के बीच अंतिम फैसला रहा और याचिकाकर्ता के इशारे पर अन्य पक्षकारों को प्रभावित होने नहीं दिया जा सकता।

जब हाईकोर्ट के मुख्य फैसले को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं किया जा सकता तो उसके खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को हाईकोर्ट द्वारा खारिज किये जाने के फैसले को चुनौती देने के लिए दायर की गयी विशेष अनुमति याचिका के माध्यम से भी कोई राहत नहीं दी जा सकती। यह कोर्ट वैसी विशेष अनुमति याचिका को नहीं सुनती जिसमें राहत नहीं दी जा सकती। इसका कारण यह है कि इस कोर्ट ने 'बुसा ओवरसीज एंड प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य' मामले में व्यवस्था दी है कि जब हाईकोर्ट के मुख्य आदेश को चुनौती नहीं दी गयी है तो उसे खारिज किये जाने के फैसले को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई न किया जाना अब दृष्टांत सिद्धांत बन चुका है। हम इस मामले में भी उपरोक्त दृष्टांत को दोहराते हैं।"

   

CLICK HERE TO DOWNLOAD SUPREME ORDER COPY FOR JUDGEMENT ON SLP(C) No.-010482 - 2020


0 Post a Comment:

Post a Comment