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Sunday, May 30, 2021

EPS 95 Pension Hike Latest News: Very Important meeting finish on EPS 95 Pension 7500+Hike+DA, Medical Facilities, Higher Pension, See Details Now

Meeting held on 29 May 2021 the meeting was organised at Bangalore by Mr Ramakant, master Manjunath and other core committee members of Karnataka state NAC.


THE MAIN POINT DISCUSSED TODAY, WAS THAT THE AGITATION OF FASTING ON 1ST JUNE BY ALL EPS PENSIONERS SHOULD BE MADE SUCCESS AT THE NATIONAL LEVEL IN ORDER TO DRAW ATTENTION OF PRIME MINISTER AND GOVERNMENT OF INDIA SEEKING JUSTICE TO THE EPS 95 PENSIONERS WHO ARE DRAWING MEAGRE PENSION OF 1000 ONLY WHICH IS NOT SUFFICIENT FOR THE LIVELIHOOD OF PENSIONER AND SPOUSE.


IMPORTANCE OF PROVIDING MEDICAL FACILITIES THROUGH ESI CORPORATION TO ALL PENSIONERS IS DISCUSSED AT LENGTH. BECAUSE OF CORONA THERE IS IMMEDIATE NEED OF MEDICAL CARE TO ALL EPS 95 PENSIONERS.

Saturday, December 26, 2020

Court Order on Pension Payment: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पेंशन जारी करने को लेकर सुनाया बड़ा फैसला

HIGHER PENSION NEWS | PENSION NEWS | EPS 95 PENSION HIKE


हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पेंशन जारी करने को लेकर पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के खिलाफ दो रिट याचिकाओं का निपटारा किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि विश्वविद्यालय हर महीने की 10 तारीख तक कर्मचारियों की पेंशन जारी करने के लिए सभी प्रयास करेगा।


विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कमचारी पेंशन राशि प्राप्त करने में देरी का विरोध कर रहे हैं, और सेवानिवृत्त कमचारीयो ने अदालत में रिट याचिका दायर की थी। शाम सिंह और अन्य द्वारा एक मामला दायर किया गया था जबकि दूसरा गुरमेल सिंह और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा उसी कारण से दायर किया गया था।

सेवानिवृत्त कमचारीयों ने पहले कहा है कि विश्वविद्यालय अपने वेतन को उनके खातों में जमा करने में देरी कर रहा है। विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार, कई बार इसमें सेवारत कमचारीयों के वेतन को जारी किया था, लेकिन उसी अवधि के लिए पेंशन राशि जारी करने में देरी हुई।


न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी की पीठ ने कहा कि दो रिट याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं की शिकायत थी कि वे सेवानिवृत्त कर्मचारी थे और उनकी पेंशन समय पर जारी नहीं की जा रही थी। विश्वविद्यालय के वकील ने कहा कि कुछ प्रक्रियात्मक देरी के कारण पेंशन में देरी हुई थी, लेकिन यह जानबूझकर नहीं था और कहा कि कर्मचारियों की पेंशन को जल्द से जल्द जारी करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे थे।


अदालत ने याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय हर महीने की 10 तारीख तक कर्मचारियों की पेंशन जारी करने के लिए सभी प्रयास करेगा ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किसी तरह का पूर्वाग्रह न हो।

कोर्ट के फैसले का सारांश:

विश्वविद्यालय हर महीने की 10 तारीख तक पेंशन जारी करने का प्रयास करेगा, ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किसी तरह का पूर्वाग्रह न हो।


Sunday, September 27, 2020

PM Modi's Mann Ki Baat with the Nation, 27 September 2020 | मन की बात | प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरुरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है। लेकिन, इतने लम्बे समय तक, एक साथ रहना, कैसे रहना, समय कैसे बिताना, हर पल खुशी भरी कैसे हो ? तो, कई परिवारों को दिक्कतें आईं और उसका कारण था, कि, जो हमारी परम्पराएं थी, जो परिवार में एक प्रकार से संस्कार सरिता के रूप में चलती थी, उसकी कमी महसूस हो रही है, ऐसा लग रहा है, कि, बहुत से परिवार है जहाँ से ये सब कुछ खत्म हो चुका है, और, इसके कारण, उस कमी के रहते हुए, इस संकट के काल को बिताना भी परिवारों के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया, और, उसमें एक महत्वपूर्ण बात क्या थी? हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं। हमें, जरुर एहसास हुआ होगा, कि, हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो, आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है। ऐसी ही एक विधा जैसा मैंने कहा, कहानी सुनाने की कला story telling। साथियो, कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता।


‘where there is a soul there is a story’

कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें। मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक (A wandering ascetic) के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गाँव, नए लोग, नए परिवार, लेकिन, जब मैं परिवारों में जाता था, तो, मैं, बच्चों से जरुर बात करता था और कभी-कभी बच्चों को कहता था, कि, चलो भई, मुझे, कोई कहानी सुनाओ, तो मैं हैरान था, बच्चे मुझे कहते थे, नहीं uncle, कहानी नहीं, हम, चुटकुला सुनायेंगे, और मुझे भी, वो, यही कहते थे, कि, uncle आप हमें चुटकुला सुनाओ यानि उनको कहानी से कोई परिचय ही नहीं था। ज्यादातर, उनकी जिंदगी चुटकुलों में समाहित हो गई थी।

साथियो, भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-गोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी है, जहाँ, हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है, जहाँ, कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गयी, ताकि, विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। हमारे यहाँ कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियाँ कहने की प्राचीन पद्धति है। इसमें ‘कताकालक्षेवम्’ भी शामिल रहा। हमारे यहाँ तरह-तरह की लोक-कथाएं प्रचलित हैं। तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है। इसे ‘विल्लू पाट्’ कहा जाता है। इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है। भारत में कठपुतली की जीवन्त परम्परा भी रही है। इन दिनों science और science fiction से जुड़ी कहानियाँ एवं कहानी कहने की विधा लोकप्रिय हो रही है। मैं देख रहा हूँ कि कई लोग किस्सागोई की कला को आगे बढाने के लिए सराहनीय पहल कर रहे हैं। मुझे gaathastory.in जैसी website के बारे में जानकारी मिली, जिसे, अमर व्यास, बाकी लोगों के साथ मिलकर चलाते हैं। अमर व्यास, IIM अहमदाबाद से MBA करने के बाद विदेशों में चले गए, फिर वापिस आए। इस समय बेंगलुरु में रहते हैं और समय निकालकर कहानियों से जुड़ा, इस प्रकार का, रोचक कार्य कर रहे है। कई ऐसे प्रयास भी हैं जो ग्रामीण भारत की कहानियों को खूब प्रचलित कर रहे हैं। वैशाली व्यवहारे देशपांडे जैसे कई लोग हैं जो इसे मराठी में भी लोकप्रिय बना रहे हैं।

 

चेन्नई की श्रीविद्या वीर राघवन भी हमारी संस्कृति से जुड़ी कहानियों को प्रचारित, प्रसारित, करने में जुटी है, वहीँ, कथालय और The Indian story telling network नाम की दो website भी इस क्षेत्र में जबरदस्त कार्य कर रही हैं। गीता रामानुजन ने kathalaya.org में कहानियों को केन्द्रित किया है, वहीँ, The Indian story telling network के ज़रिये भी अलग-अलग शहरों के story tellers का network तैयार किया जा रहा है I बेंगलुरु में एक विक्रम श्रीधर हैं, जो बापू से जुड़ी कहानियों को लेकर बहुत उत्साहित हैं। और भी कई लोग, इस क्षेत्र में, काम कर रहे होंगे - आप ज़रूर उनके बारे में Social media पर शेयर करेंI

आज हमारे साथ बेंगलुरु Story telling society की बहन Aparna Athreya और अन्य सदस्य जुड़े हैं। आईये, उन्हीं से बात करते हैं और जानते हैं उनके अनुभव।

प्रधानमंत्री:- हेलो

Aparna :- नमस्कार आदरणीय प्रधानमंत्री जी। कैसे हैं आप ?

प्रधानमंत्री :- मैं ठीक हूँ। आप कैसी है Aparna जी ?

Aparna :- बिल्कुल बढ़िया सर जी। सबसे पहले मैं Bangalore Story Telling Society की ओर से धन्यवाद देना चाहती हूँ कि आपने हमारे जैसे कलाकारों को इस मंच पर बुलाया है और बात कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री:- और मैंने सुना है कि आज तो शायद आप की पूरी टीम भी आपके साथ बैठी हुई है।

Aparna :- जी... जी बिल्कुल। बिल्कुल सर।

प्रधानमंत्री :- तो अच्छा होगा की आप की टीम का परिचय करवा दें| ताकि ‘मन की बात’ के जो श्रोता हैं उनको परिचय हो जाए कि आप लोग कैसा बड़ा अभियान चला रहे है।

Aparna:- सर। मैं Aparna Athreya हूँ, मैं दो बच्चों की माँ हूँ, एक भारतीय वायुसेना के अफसर की बीवी हूँ और एक passionate storyteller हूँ सर। Storytelling की शुरुआत 15 साल पहले हुई थी जब मैं software industry में काम कर रही थी। तब मैं CSR projects में voluntary काम करने के लिए जब गई थी तब हजारों बच्चों को कहानियों के माध्यम से शिक्षा देने का मौका मिला और ये कहानी जो मैं बता रही थी वो अपनी दादी माँ से सुनी थी। लेकिन जब कहानी सुनते वक़्त मैंने जो ख़ुशी उन बच्चों में देखी, मैं क्या बोलू आपको कितनी मुस्कराहट थी, कितनी ख़ुशी थी तो उसी समय मैंने तय किया कि Storytelling मेरे जीवन का एक लक्ष्य होगा, सर।


प्रधानमंत्री:- आपकी टीम में और कौन है वहाँ ?

Aparna:- मेरे साथ हैं, शैलजा संपत।

शैलजा:- नमस्कार सर।

प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी।

शैलजा:- मैं शैलजा संपत बात कर रही हूँ। मैं तो पहले teacher थी, उसके बाद जब मेरे बच्चे बड़े हुए तब मैंने theatre में काम शुरू किया और finally कहानियों को सुनाने में सबसे ज्यादा संतृप्ति मिला। प्रधानमंत्री:- धन्यवाद !

शैलजा:- मेरे साथ सौम्या है।

सौम्या:- नमस्कार सर !

प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी !

सौम्या:- मैं हूँ सौम्या श्रीनिवासन। मैं एक psychologist हूँ। मैं जब काम करती हूँ, बच्चे और बड़े लोगों के साथ उसमें मैं कहानियों के द्वारा मनुष्य के नवरसाओं को जगाने में कोशिश करती हूँ और उसके साथ चर्चा भी करती हूँ। ये मेरा लक्ष्य है – ‘Healing and transformative storytelling’।

Aparna:- नमस्ते सर !

प्रधानमंत्री:- नमस्ते जी।

Aparna: मेरा नाम Aparna जयशंकर है। वैसे तो मेरा सौभाग्य है कि मैं अपनी नाना-नानी और दादी के साथ इस देश के विभिन्न भागों में पली हूँ इसलिए रामायण, पुराणों और गीता की कहानियाँ मुझे विरासत में हर रात को मिलती थी और Bangalore Storytelling Society जैसी संस्था है तो मुझे तो storyteller बनना ही था। मेरे साथ मेरी साथी लावण्या प्रसाद है।

प्रधानमंत्री:- लावण्या जी, नमस्ते !


लावण्या:- नमस्ते, सर ! I am an Electrical Engineer turned professional storyteller. Sir, I grew up listening to stories from my grandfather. I work with senior citizens. In my special project called ‘Roots’ where I help them document their life stories for their families.

प्रधानमंत्री:- लावण्या जी आपको बहुत बधाई। और जैसा आपने कहा मैंने भी एक बार ‘मन की बात’ में सबको कहा था कि आप परिवार में अपने दादा-दादी, नाना-नानी है तो, उनसे, उनकी बचपन की कहानियाँ पूछिए और उसको tape कर लीजिये, record कर के लीजिये बहुत काम आयेगा ये मैंने कहा था। लेकिन मुझे अच्छा लगा कि एक तो आप सबने जो परिचय दिया अपना उसमें भी आपकी कला, आपकी communication skill और बहुत ही कम शब्दों में बहुत ही बढ़िया ढंग से आपने अपना परिचय करवाया इसलिए भी मैं आपको बधाई देता हूँ।

लावण्या:- Thank you sir! Thank you !

अब जो हमारे श्रोता लोग हैं ‘मन की बात’ के उनका भी मन करता होगा कहानी सुनने का। क्या मैं आपको request कर सकता हूँ एक-दो कहानी सुनाएँ आप लोग?

समूह स्वर: जी बिल्कुल, ये तो हमारा सौभाग्य है जी।

“चलिए चलिए सुनते हैं कहानी एक राजा की । राजा का नाम था कृष्ण देव राय और राज्य का नाम था विजयनगर । अब राजा हमारे थे तो बड़े गुणवान । अगर उनमें कोई खोट बताना ही था, तो वह था अधिक प्रेम अपने मंत्री तेनाली रामा की ओर और दूसरा भोजन की ओर। राजा जी हर दिन दोपहर के भोजन के लिए बड़े आस से बैठते थे - कि आज कुछ अच्छा बना होगा और हर दिन उनके बावर्ची उन्हें वही बेजान सब्जियाँ खिलाते थे - तुरई, लौकी, कददू, टिंडा उफ़। ऐसे ही एक दिन राजा ने खाते खाते गुस्से में थाली फ़ेंक दिया और अपने बावर्ची को आदेश दिया या तो कल कोई दूसरी स्वादिष्ट सब्ज़ी बनाना या फिर कल मैं तुम्हें सूली पे चढ़ा दूंगा । बावर्ची, बिचारा, डर गया। अब नयी सब्ज़ी के लिए वह कहाँ जाये । बावर्ची भागा भागा चला सीधे तेनाली रामा के पास और उसे पूरी कहानी सुनाई । सुनकर तेनाली रामा ने बावर्ची को उपाय दिया । अगले दिन राजा दोपहर के भोजन के लिए आये और बावर्ची को आवाज़ दिया । आज कुछ नया स्वादिष्ट बना है या मैं सूली तैयार कर दूँ । डरे हुए बावर्ची ने झट पट से थाली सजाया और राजा के लिए गरमा-गर्म खाना परोसा । थाली में नयी सब्जी थी । राजा उत्साहित हुए और थोड़ी सी सब्ज़ी चखी । ऊंह वाह ! क्या सब्जी थी ! न तुरई की तरह फीकी थी न कददू की तरह मीठी थी । बावर्ची ने जो भी मसाला भून के, कूट के, डाला था, सब अच्छी तरह से चढ़ी थी ।


उंगलिया चाटते हुए संतुष्ट राजा ने बावर्ची को बुलाया और पुछा कि यह कौन सी सब्ज़ी हैं ? इसका नाम क्या हैं ? जैसे सिखाया गया था वैसे ही बावर्ची ने उत्तर दिया । महाराज, ये मुकुटधारी बैंगन है । प्रभु, ठीक आप ही की तरह यह भी सब्जियों का राजा है और इसीलिए बाकी सब्ज़ियों ने बैंगन को मुकुट पहनाया । राजा खुश हुए और घोषित किये आज से हम यही मुकुटधारी बैंगन खाएंगे ! और सिर्फ हम ही नहीं, हमारे राज्य में भी, सिर्फ बैंगन ही बनेगा और कोई सब्ज़ी नहीं बनेगी। राजा और प्रजा दोनों खुश थे । यानि पहले-पहले तो सब खुश थे कि उन्हें नई सब्जी मिली है, लेकिन जैसे ही दिन बढ़ते गये सुर थोड़ा कम होता गया । एक घर में बैंगन भरता तो दूसरे के घर में बैगन भाजा । एक के यहाँ कत्ते का सांभर तो दूसरे के यहाँ वांगी भात । एक ही बैंगन बिचारा कितना रूप धारण करे । धीरे-धीरे राजा भी तंग आ गए । हर दिन वही बैगन ! और एक दिन ऐसा आया कि राजा ने बावर्ची को बुलाया और खूब डांटा । तुमसे किसने कहा कि बैंगन के सर में मुकुट है । इस राज्य में अब से कोई बैगन नहीं खायेगा । कल से बाकी कोई भी सब्ज़ी बनाना, लेकिन बैंगन मत बनाना । जैसी आपकी आज्ञा, महाराज कहके बावर्ची सीधा गया तेनाली रामा के पास । तेनाली रामा के पाँव पड़ते हुए कहा कि मंत्री जी, धन्यवाद, आपने हमारी प्राण बचा ली । आपके सुझाव की वजह से अब हम कोई भी सब्जी राजा जी को खिला सकते हैं। तेनाली रामा हॅसते हुए कहाँ, वो मंत्री ही क्या, जो, राजा को खुश न रख सके। और इसी तरह राजा कृष्णदेवराय और मंत्री तेनाली रामा की कहानियाँ बनती रही और लोग सुनते रहे ! धन्यवाद।

प्रधानमंत्री: आपने, बात में, इतनी exactness थी, इतनी बारीकियों को पकड़ा था मैं समझता हूँ बच्चे, बड़े जो भी सुनेंगे कई चीजों का स्मरण रखेंगे। बहुत बढ़िया ढंग से आपने बताया और विशेष coincidence ऐसा है कि देश में पोषण माह चल रहा है, और, आप की कथा भोजन से जुड़ी हुई है।

महिला: जी

प्रधानमंत्री: और, मैं जरुर, ये जो story tellers आप लोग हैं व और भी लोग हैं। हमें किस प्रकार से हमारे देश की नई पीढ़ी को हमारे महान महापुरुष, महान माताएं-बहनें जो हो गई हैं। कथाओं के माध्यम से उनके साथ कैसे जुड़ा जाए। हम कथा-शास्त्र को और अधिक कैसे प्रचारित करें, popular करें, और, हर घर में अच्छी कथा कहना, अच्छी कथा बच्चों को सुनाना, ये जन-जीवन की बहुत बड़ी credit हो। ये वातावरण कैसे बनाएं, उस दिशा में हम सबने मिल करके काम करना चाहिए, लेकिन, मुझे, बहुत अच्छा लगा आप लोगों से बात करके, और मैं, आप सब को बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। धन्यवाद।

समूह स्वर: धन्यवाद सर।

कहानी के द्वारा, संस्कार सरिता को आगे बढ़ाने वाली इन बहनों को हमने सुना। मैं, जब उनसे फोन पर बात कर रहा था, इतनी लम्बी बात थी, तो, मुझे लगा कि ‘मन की बात’ के समय की सीमा है, तो, मेरी उनसे जो बातें हुई है, वो सारी बातें, मैं, मेरे NarendraModiApp पर upload करूँगा - पूरी कथाएँ, ज़रूर वहाँ सुनिए। अभी, ‘मन की बात’ में तो, मैंने, उसका बहुत छोटा सा अंश ही आपके सामने प्रस्तुत किया है। मैं, ज़रूर आपसे आग्रह करूँगा, परिवार में, हर सप्ताह, आप, कहानियों के लिए कुछ समय निकालिए, और ये भी कर सकते हैं कि परिवार के हर सदस्य को, हर सप्ताह के लिए, एक विषय तय करें, जैसे, मान लो करुणा है, संवेदनशीलता है, पराक्रम है, त्याग है, शौर्य है - कोई एक भाव और परिवार के सभी सदस्य, उस सप्ताह, एक ही विषय पर, सब के सब लोग कहानी ढूँढेंगे और परिवार के सब मिल करके एक-एक कहानी कहेंगे।

आप देखिये, कि, परिवार में कितना बड़ा खजाना हो जाएगा, Research का कितना बढ़िया काम हो जाएगा, हर किसी को कितना आनन्द आएगा और परिवार में एक नयी प्राण, नयी उर्जा आएगी - उसी प्रकार से हम एक काम और भी कर सकते हैं। मैं, कथा सुनाने वाले, सबसे, आग्रह करूँगा, हम, आज़ादी के 75 वर्ष मनाने जा रहें हैं, क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको, कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं! विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब, हमारी नयी पीढ़ी को, कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं। मुझे विश्वास है कि आप लोग ज़रूर इस काम को करेंगे। कहानी कहने की ये कला देश में और अधिक मजबूत बनें, और अधिक प्रचारित हो और सहज बने, इसलिए, आओ हम सब प्रयास करे। 


मेरे प्यारे देशवासियो, आईये, कहानियों की दुनिया से अब हम सात समुन्द्र पार चलते हैं, ये आवाज़ सुनिए!

“नमस्ते, भाइयो और बहनों, मेरा नाम सेदू देमबेले है। मैं West Africa के एक देश माली से हूँ। मुझे फरवरी में भारत में visit पे सबसे बड़े धार्मिक त्यौहार कुम्भ मेला में शामिल होने का अवसर मिला। मेरे लिए ये बहुत ज्यादा गर्व की बात है। मुझे कुम्भ मेला में शामिल होकर बहुत अच्छा लगा और भारत के culture को देखकर बहुत कुछ सीखने को मिला। मैं विनती करना चाहता हूँ, कि, हम लोगों को एक बार फिर भारत visit करने का अवसर दिया जाए, ताकि हम और, भारत के बारे में, सीख सकें। नमस्ते।” 

प्रधानमंत्री: है न मज़ेदार, तो ये थे माली के सेदू देमबेले। माली, भारत से दूर, पश्चिम अफ्रिका का एक बड़ा और Land Locked देश है। सेदू देमबेले, माली के एक शहर, Kita के एक पब्लिक स्कूल में शिक्षक हैं, वे, बच्चों को English, Music और Painting, drawing पढ़ाते हैं, सिखाते हैं। लेकिन उनकी एक और पहचान भी है - लोग उन्हें माली के हिंदुस्तान का बाबू कहते हैं, और, उन्हें ऐसा कहलाने में बहुत गर्व की अनुभूति होती है। प्रत्येक रविवार को दोपहर बाद वे माली में एक घंटे का रेडियो कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, इस कार्यक्रम का नाम है Indian frequency on Bollywood songs। इसे वे पिछले 23 वर्षों से प्रस्तुत करते आ रहे हैं। इस कार्यक्रम के दौरान वे French के साथ-साथ माली की लोकभाषा ‘बमबारा’ में भी अपनी commentary करते हैं और बड़े नाटकीय ढ़ंग से करते हैं। भारत के प्रति उनके मन में अगाध प्रेम है। भारत से उनके गहरे जुड़ाव की एक और वजह ये भी है, कि, उनका जन्म भी 15 अगस्त को हुआ था I सेदू जी ने दो घंटे का एक और कार्यक्रम अब प्रत्येक रविवार रात 9 बजे शुरू किया है, इसमें वे बॉलीवुड की एक पूरी फिल्म की कहानी French और बमबारा में सुनाते हैं। कभी-कभी किसी emotional scene के बारे में बात करते समय वे स्वयं भी, और उनके श्रोता भी, एक-साथ रो पड़ते हैं। सेदू जी के पिता ने ही भारतीय संस्कृति से उनकी पहचान करवाई थी। उनके पिता, cinema, theatre में काम करते थे और वहाँ भारतीय फ़िल्में भी दिखाई जाती थी। इस 15 अगस्त को उन्होंने हिंदी में एक video के माध्यम से भारत के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दी थी। आज, उनके बच्चे भारत का राष्ट्रगान आसानी से गाते हैं। आप, ये दोनों video ज़रूर देखें और उनके भारत प्रेम को महसूस करें। सेदू जी ने जब कुम्भ का दौरा किया था और उस समय वे उस delegation का हिस्सा थे, जिससे मैं मिला था, भारत के लिए उनका, इस प्रकार का जूनून, स्नेह और प्यार वाकई हम सब के लिए गर्व की बात है।


मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे यहाँ कहा जाता है, जो, ज़मीन से जितना जुड़ा होता है, वो, बड़े-से-बड़े तूफानों में भी उतना ही अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण हैं। संकट के इस काल में भी हमारे देश के कृषि क्षेत्र ने फिर अपना दमख़म दिखाया है। साथियो, देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गाँव, आत्मनिर्भर भारत का आधार है। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है। मुझे, कई ऐसे किसानों की चिट्ठियाँ मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है। जो मैंने उन से सुना है, जो मैंने औरों से सुना है, मेरा मन करता है, आज ‘मन की बात’ में उन किसानों की कुछ बातें जरूर आप को बताऊँ। हरियाणा के सोनीपत जिले के हमारे एक किसान भाई रहते हैं उनका नाम हैं श्री कंवर चौहान। उन्होंने बताया है कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियाँ बेचने में बहुत दिक्कत आती थी। अगर वो मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियाँ बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियाँ तक जब्त हो जाती थी। लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ। चार साल पहले, उन्होंने, अपने गाँव के साथी किसानों के साथ मिलकर एक किसान उत्पादक समूह की स्थापना की। आज, गाँव के किसान Sweet Corn और baby Corn की खेती करते हैं। उनके उत्पाद, आज, दिल्ली की आजादपुर मंडी, बड़ी Retail Chain तथा Five Star होटलों में सीधे supply हो रहे हैं। आज, गाँव के किसान sweet corn और baby corn की खेती से, ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इसी गाँव के 60 से अधिक किसान, net house बनाकर, Poly House बनाकर, टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, इसकी, अलग-अलग variety का उत्पादन करके, हर साल प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रूपये तक की कमाई कर रहें हैं। जानते हैं, इन किसानों के पास क्या अलग है! अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है। अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। फल-सब्जियों के लिए ही नहीं, अपने खेत में, वो जो पैदा कर रहें हैं - धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जो उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार, जहाँ ज्यादा दाम मिले, वहीँ पर, बेचने की, अब, उनको आज़ादी मिल गई है।

साथियो, तीन–चार साल पहले ही, महाराष्ट्र में, फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली, इसका उदाहरण हैं, Sri Swami Samarth Farmer’s producer company limited - ये किसानों का समूह है। पुणे और मुंबई में किसान साप्ताहिक बाज़ार खुद चला रहे हैं। इन बाज़ारों में, लगभग 70 गाँवों के, साढ़े चार हज़ार किसानों का उत्पाद, सीधे बेचा जाता है - कोई बिचौलिया नहीं। ग्रामीण-युवा, सीधे बाज़ार में, खेती और बिक्री की प्रक्रिया में शामिल होते हैं - इसका सीधा लाभ किसानों को होता है, गाँव के नौजवानों को रोजगार में होता है।


एक और उदाहरण, तमिलनाडु के थेनि जिले का है, यहाँ पर है तमिलनाडु केला farmer produce company, ये farmer produce company कहने को तो company है, हकीकत में, ये, किसानों ने मिल करके अपना एक समूह बनाया है। बड़ा लचीली व्यवस्था है, और वो भी पांच–छ: साल पहले बनाया है। इस किसान समूह ने lockdown के दौरान आसपास के गाँवों से सैकड़ों metric tonne सब्जियाँ, फलों और केले की खरीद की, और, Chennai शहर को, सब्जी combo kit दिया। आप सोचिये, कितने नौजवानों को उन्होंने रोजगार दिया, और मज़ा ये है, कि, बिचौलियोँ ना होने के कारण, किसान को भी लाभ हुआ, और, उपभोक्ता को भी लाभ हुआ। ऐसा ही एक लखनऊ का, किसानों का समूह है। उन्होंने, नाम रखा है ‘इरादा फार्मर प्रोडयूसर’ इन्होंने भी, lockdown के दौरान किसानों के खेतों से, सीधे, फल और सब्जियाँ ली, और, सीधे जा करके, लखनऊ के बाज़ारों में बेची - बिचौलियों से मुक्ति हो गई और मन चाहे उतने दाम उन्होंने प्राप्त किये। साथियो, गुजरात में बनासकांठा के रामपुरा गाँव में इस्माइल भाई करके एक किसान है। उनकी कहानी भी बहुत दिलचस्प है। इस्माइल भाई खेती करना चाहते थे, लेकिन, अब, जैसे ज्यादातर सोच बन गई है, उनके परिवार को भी लगता था कि इस्माइल भाई ये कैसी बात कर रहे हैं। इस्माइल भाई के पिता खेती करते थे, लेकिन, इसमें उनको अक्सर नुकसान ही होता था। तो पिताजी ने मना भी किया, लेकिन, परिवार वालों के मना करने के बावजूद इस्माइल भाई ने तय किया कि वो तो खेती ही करेंगे। इस्माइल भाई ने सोच लिया था, कि खेती घाटे का सौदा है, वो, ये सोच, और स्थिति, दोनों को, बदलकर दिखायेंगे। उन्होंने, खेती शुरु की, लेकिन, नये तरीकों से, innovative तरीके से। उन्होंने, drip से सिंचाई करके, आलू की खेती शुरू की, और आज, उनके आलू, एक पहचान बन गए हैं। वो, ऐसे आलू उगा रहें हैं, जिनकी quality बहुत ही अच्छी होती है। इस्माइल भाई, ये आलू, सीधे, बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेचते हैं, बिचौलियों का नामों-निशान नहीं, और परिणाम - अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अब तो उन्होंने, अपने पिता का सारा कर्जा भी चुका दिया है और सबसे बड़ी बात जानते हैं! इस्माइल भाई, आज, अपने इलाके के सैंकड़ों और किसानों की भी मदद कर रहे हैं। उनकी भी ज़िंदगी बदल रहे हैं।

साथियो, आज की तारीख में खेती को हम जितना आधुनिक विकल्प देंगे, उतना ही, वो, आगे बढ़ेगी, उसमें नये-नये तौर-तरीके आयेंगे, नये innovations जुड़ेंगे। मणिपुर की रहने वाली बिजयशान्ति एक नये innovation के चलते ख़ूब चर्चा में है, उन्होंने कमल की नाल से धागा बनाने का start up शुरू किया है। आज, उनके innovation के चलते कमल की खेती और textile में एक नया ही रास्ता बन गया है। 

मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आपको अतीत के एक हिस्से में ले जाना चाहता हूँ। एक-सौ-एक साल पुरानी बात है। 1919 का साल था। अंग्रेजी हुकूमत ने जलियांवाला बाग़ में निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया था। इस नरसंहार के बाद एक बारह साल का लड़का उस घटनास्थल पर गया। वह खुशमिज़ाज और चंचल बालक, लेकिन, उसने जलियांवाला बाग में जो देखा, वह उसकी सोच के परे था। वह स्तब्ध था, यह सोचकर कि कोई भी इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। वह मासूम गुस्से की आग में जलने लगा था। उसी जलियांवाला बाग़ में उसने अंग्रेजी शासन के खिलाफ़ लड़ने की कसम खायी। क्या आपको पता चला कि मैं किसकी बात कर रहा हूँ? हाँ! मैं, शहीद वीर भगतसिंह की बात कर रहा हूँ। कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगतसिंह की जयन्ती मनायेंगे। मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूँ। क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एक हुकूमत, जिसका दुनिया के इतने बड़े हिस्से पर शासन था, इसके बारे में कहा जाता था कि उनके शासन में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। इतनी ताकतवर हुकूमत, एक 23 साल के युवक से भयभीत हो गयी थी। शहीद भगतसिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे, चिन्तक थे। अपने जीवन की चिंता किये बगैर भगतसिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आज़ादी में बहुत बड़ा योगदान रहा। शहीद वीर भगतसिंह के जीवन का एक और खूबसूरत पहलू यह है कि वे team work के महत्व को बख़ूबी समझते थे। लाला लाजपतराय के प्रति उनका समर्पण हो या फिर चंद्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु समेत क्रांतिकारियों के साथ उनका जुड़ाव, उनके लिये, कभी व्यक्तिगत गौरव, महत्वपूर्ण नहीं रहा। वे जब तक जिए, सिर्फ एक mission के लिए जिए और उसी के लिये उन्होंने अपना बलिदान दे दिया - वह mission था भारत को अन्याय और अंग्रेजी शासन से मुक्ति दिलाना। मैंने NaMoApp पर हैदराबाद के अजय एस. जी का एक comment पढ़ा। अजय जी लिखते हैं - आज के युवा कैसे भगत सिंह जैसे बन सकते हैं ? देखिये! हम भगत सिंह बन पायें या ना बन पायें, लेकिन, भगत सिंह जैसा देश प्रेम, देश के लिये कुछ कर-गुजरने का ज़ज्बा, जरुर, हम सबके दिलों में हो। शहीद भगत सिंह को यही हमारी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। चार साल पहले, लगभग यही समय था, जब, surgical strike के दौरान दुनिया ने हमारे जवानों के साहस, शौर्य और निर्भीकता को देखा था। हमारे बहादुर सैनिकों का एक ही मकसद और एक ही लक्ष्य था, हर कीमत पर, भारत माँ के गौरव और सम्मान की रक्षा करना। उन्होंने, अपनी ज़िंदगी की जरा भी परवाह नहीं की। वे, अपने कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ते गए और हम सबने देखा कि किस प्रकार वे विजयी होकर के सामने आये। भारत माता का गौरव बढ़ाया।


मेरे प्यारे देशवासियो, आने वाले दिनों में हम देशवासी, कई महान लोगों को याद करेंगे, जिनका, भारत के निर्माण में अमिट योगदान है। 02 अक्टूबर हम सबके लिए पवित्र और प्रेरक दिवस होता है। यह दिन माँ भारती के दो सपूतों, महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिन है। 

पूज्य बापू के विचार और आदर्श आज पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं, महात्मा गाँधी का जो आर्थिक चिन्तन था, अगर उस spirit को पकड़ा गया होता, समझा गया होता, उस रास्ते पर चला गया होता, तो, आज आत्मनिर्भर भारत अभियान की जरूरत ही नहीं पड़ती। गाँधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी, भारत की खुशबू थी। पूज्य बापू का जीवन हमें याद दिलाता है कि हम ये सुनिश्चित करें कि हमारा हर कार्य ऐसा हो, जिससे, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति का भला हो। वहीं, शास्त्री जी का जीवन, हमें, विनम्रता और सादगी का संदेश देता है। 11 अक्टूबर का दिन भी हमारे लिए बहुत ही विशेष होता है। इस दिन हम भारत रत्न लोक नायक जय प्रकाश जी को’ उनकी जयंती पर स्मरण करते हैं। जे० पी० ने हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभाई है। हम, भारत रत्न नानाजी देशमुख को भी याद करते हैं, जिनकी जयंती भी, 11 तारीख को ही है। नानाजी देशमुख, जय प्रकाश नारायण जी के बहुत निकट साथी थे। जब, जे० पी० भ्रष्टाचार के खिलाफ़ जंग लड़ रहे थे, तो, पटना में उन पर प्राणघातक हमला किया गया था। तब, नानाजी देशमुख ने, वो वार, अपने ऊपर ले लिया था। इस हमले में नानाजी को काफ़ी चोट आई थी, लेकिन, जे० पी० का जीवन बचाने में वो कामयाब रहे थे। इस 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया जी की भी जयंती है, उन्होंने, अपना पूरा जीवन, लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया। वे, एक राज परिवार से थीं, उनके पास संपत्ति, शक्ति, और दूसरे संसाधनों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन फिर भी उन्होंने, अपना जीवन, एक माँ की तरह, वात्सल्य भाव से, जन-सेवा के लिए खपा दिया। उनका ह्रदय बहुत उदार था। इस 12 अक्टूबर को उनके जन्म शताब्दी वर्ष के समारोह का समापन दिवस होगा, और, आज जब मैं, राजमाता जी की बात कर रहा हूँ, तो, मुझे, भी एक बहुत ही भावुक घटना याद आती है। वैसे तो, उनके साथ बहुत सालों तक काम करने का मौका मिला, कई घटना हैं। लेकिन, मेरा मन करता है, आज, एक घटना का जरूर जिक्र करूं। कन्याकुमारी से कश्मीर, हम एकता यात्रा लेकर निकले थे। डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी के नेतृत्व मे यात्रा चल रही थी। दिसम्बर, जनवरी कड़ाके के ठण्ड के दिन थे। हम रात को करीब बारह-एक बजे, मध्य प्रदेश, ग्वालियर के पास शिवपुरी पहुँचे, निवास स्थान पर जा करके, क्योंकि, दिन-भर की थकान होती थी, नहा-धोकर के सोते थे, और, सुबह की तैयारी कर लेते थे। करीब, 2 बजे होंगें, मैं, नहा-धोकर के सोने की तैयारी कर रहा था, तो, दरवाजा किसी ने खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला तो राजमाता साहब सामने खड़ी थी। कड़ाके की ठण्ड के दिन और राजमाता साहब को देखकर के मैं हैरान था। मैंने माँ को प्रणाम किया, मैंने कहा, माँ आधी रात में! बोले, कि, नहीं बेटा, आप, ऐसा करो, मोदी जी दूध पी लीजिए ये गर्म दूध पीकर के ही सो जाइए। हल्दी वाला दूध खुद लेकर के आईं। हाँ, लेकिन जब, दूसरे दिन मैंने देखा, वो, सिर्फ मुझे ही नहीं, हमारी यात्रा की व्यवस्था में, जो 30-40 लोग थे, उसमें ड्राइवर भी थे, और भी कार्यकर्ता थे, हर एक के कमरे में जाकर के, खुद ने रात को 2 बजे सबको दूध पिलाया। माँ का प्यार क्या होता है, वात्सल्य क्या होता है, उस घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ। यह हमारा सौभाग्य है कि ऐसे महान विभूतियों ने हमारी धरती को, अपने त्याग और तपस्या से सींचा है। आईये, हम सब मिल करके, एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जिस पर, इन महापुरुषों को गर्व की अनुभूति हो। उनके सपने को अपने संकल्प बनाएं। 

मेरे प्यारे देशवासियो, कोरोना के इस कालखंड में, मैं, फिर एक बार आपको याद कराऊंगा, mask अवश्य रखें, face cover के बिना बाहर ना जाएँ। दो गज की दूरी का नियम, आपको भी बचा सकता है, आपके परिवार को भी बचा सकता है। ये कुछ नियम हैं, इस कोरोना की ख़िलाफ, लड़ाई के हथियार हैं, हर नागरिक के जीवन को बचाने के मजबूत साधन हैं। और, हम ना भूलें, जब तक दवाई नहीं, तब तक ढ़िलाई नहीं। आप स्वस्थ रहें, आपका परिवार स्वस्थ रहे, इसी शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत धन्यवाद। नमस्कार।